Ads

Piles treatment in Hindi: बवासीर का एक नही पंद्रह आयुर्वेदिक इलाज,जानिए संपूर्ण जानकारी

 बवासीर को पाइल्स या hemorrhoids के नाम से जाना जाता हैं सामान्यतः बवासीर एक आम समस्या है जो किसी को भी किसी भी  प्रभावित कर सकती है। अधिकतर देखा गया है लगभग 60% से ज्यादा लोग किसी न किसी उम्र में बवासीर की समस्या हो जाती है,बवासीर होने का मुख्य कारण फाइबर की कमी और पानी का कम सेवन है। फाइबर की कमी से आपको कब्ज हो सकता है जिससे बवासीर की बीमारी हो जाती है।बवासीर बहुत ही ज्यादा कष्टदायक बीमारी होती है,बवासीर होने पर व्यक्ति को मल त्याग के दौरान होने वाली परेशानी बहुत ही असहनीय होती है।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

विषय सूची 

बवासीर क्या है

बवासीर के प्रकार

भगंदर क्या है

बवासीर के कारण

बवासीर के लक्षण

बवासीर क्यों होता है

 बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

बवासीर का आयुर्वेदिक दवा

बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिए

डॉक्टर से संपर्क कब करे

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बवासीर के कीड़े कैसे होते हैं

बवासीर में अंडा खाना चाहिए या नहीं

बवासीर में चावल खाना चाहिए या नहीं

बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं

बवासीर में अदरक खाना चाहिए या नहीं


बवासीर क्या है (what is hemorrhoids):


पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति के गुदा के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से या बाहर के हिस्से में स्किन जमाकर होकर मस्से जैसी बन जाती है और इसमें से कई बार खून निकलने के साथ ही दर्द भी होता है। मल त्याग के दौरान, जोर लगाने पर ये मस्से बाहर आ जाते है,और फिर अंदर चले जाते हैं।जैसे जैसे समस्या बढ़ने लगती है मस्सा बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।बवासीर होने पर व्यक्ति को मल त्याग के रास्ते में जलन और खुजली हो सकता हैं।


बवासीर के प्रकार (types of hemorrhoids):

बवासीर दो प्रकार से हो सकता है।


खूनी बवासीर (bloody piles):

इस प्रकार के बवासीर में मरीज को पीड़ा नही होती है,इस बवासीर में शौच के रास्ते से मल त्यागते वक्त खून आता है।बवासीर के शुरुवात में ये खून बहुत हल्का सा मल के साथ चिपका हुआ आता है,लेकिन समस्या बढ़ने पर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ खून बाहर आता है।इस बवासीर में गुदा के पास एक मस्सा बनता है,जो मल मल त्याग के दौरान, जोर लगाने पर ये मस्से बाहर आ जाते है,और फिर अंदर चले जाते हैं।जैसे जैसे समस्या बढ़ने लगती है मस्सा बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।


बादी बवासीर (hemorrhoids piles):

बादी बवासीर  होने पर व्यक्ति को पेट से संबंधित बीमारिया जैसे (पेट खराब होना,गैस बनना,कब्ज बनाना) जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है।ये सब समस्याएं बवासीर के कारण से होती है ना की पेट खराब होने से।टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से शौच का रास्ता छोटा पड़ता है।जिसके कारण से मल कड़ा होने पर वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी भाषा में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीड़ा होती है।


भगंदर क्या है (What is Fistula in Hindi):

बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। भगन्दर में शौच  के रास्ते के बगल से एक छेद  सा हो जाता है जो शौच की नली में चला जाता है। और फोड़े का रूप ले लेता है।और ये फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से मल भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।


बवासीर के कारण (Causes of Hemorrhoids in Hindi):


बवासीर होने के कई कारण हो सकते है

  • कब्ज की समस्या
  • लगातार पेट खराब होने के कारण
  • मल का नियम से त्याग न करना 
  • मल को देर तक रोक के रखना।
  • मल को त्यागते वक्त बहुत ज्यादा जोर लगाना।
  • पोषण संबंधी कारक (कम फाइबर वाला आहार)
  • पानी कम पीना।
  • बहुत ज्यादा मसालेदार या तीखा खाने से।
  • नियमित व्यायाम न करना
  • लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण
  • आनुवंशिकी  के कारण (जेनेटिक्स)
  • हेमरॉइडल वेन्स में खराब वाल्व होना
  • पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन
  • देर तक बैठे रहना
  • ज़्यादा देर तक खड़े होकर काम करना।
  • मोटापा
  •  महिलाओ में गर्भावस्था के दौरान 
  • धूम्रपान और शराब का सेवन।


बवासीर के लक्षण (symptoms of piles in Hindi):


  • गुदा वाले हिस्से में खुजली,जलन
  • गुदा वाले हिस्से में दर्द, खासकर लंबे समय तक बैठे रहने पर
  • आपके गुदा वाले हिस्से के पास एक या ज़्यादा सख्त, कोमल गांठ 
  • मल त्याग के दौरान और बाद में बेचैनी
  • मल में खून आना।
  • शौच के वक्त म्यूकस का आना।
  • बार-बार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल न निकलना।
  • शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना।
  • शौच के बाद भी पेट साफ ना हेने का आभास होना।

बवासीर क्यों होता है (Why piles happen in Hindi):

हमारे शौच के रास्ते (गुदा) की स्किन बहुत ही ज्यादा नरम होती है।बवासीर होने का मुख्य कारण लंबे समय तक कब्ज होने के कारण मल कड़ा होने पर शौच करते वक्त अत्यधिक बल लगाना पड़ता है जिसके कारण से शौच के रास्ते में सूजन या फिर कट लग जाता है।जब ये समस्याएं बार बार होने लगती है तो गुदा के अंदरूनी और बाहर स्किन के पास में मस्सा जैसा बनने लगता है,जो बाद में बवासीर का रूप ले लेता है।


बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज
(Ayurvedic treatment for piles in Hindi):

बवासीर को घरेलू उपाय से ठीक किया जा सकता हैं।

1.एलोवेरा के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Use Aloe vera for Piles Treatment in Hindi):

एलोवेरा अपने सुखदायक प्रभाव के लिए जाना जाता है।  इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह त्वचा के संक्रमण, जलन और जलन के लिए एक लोकप्रिय उपाय है।  इसे विभिन्न रूपों में लिया जा सकता है बवासीर में राहत पाने में मदद कर सकता है।यह आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के पाइल्स के इलाज में लाभदायक है। गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को शांत करता है।


इसे भी पढ़े:एलोवेरा जूस के फायदे

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

*गुदा के बाहर के मस्सों में एलोवेरा जेल लगाएं। यह जलन और खुजली को शांत करता है। 

*इसके अलावा एलोवेरा को काट कर फ्रीजर में रखें अब इस ठंडी एलोवेरा से प्रभावित जगह पर सिकाई करें|

*एलोवेरा के 200-250 ग्राम गूदे को खाएं। इससे कब्ज नही होगी और मलत्यागने में आसानी होगी।


2.बादाम के तेल के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Treatment of piles using almond oil in Hindi):


बादाम में मौजूद एंटी–ऑक्सीडेंट और एंटी फंगल गुणों के कारण बादाम को कई बीमारियो से लड़ने में सक्षम माना जाता है।बादाम का तेल भी बादी बवासीर के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय के रूप में कार्य कर सकता है। 

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

बादाम के तेल को रुई में भीगों ले उसके बाद बवासीर के मस्से पर लगाए।इससे जलन और सूजन धीरे धीरे कम होगी।

इस विधि को आप दिन में दो से तीन बार प्रयोग में ला सकते है।

3.जैतून के तेल के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Hemorrhoids treatment with olive oil in Hindi):


जैतून के तेल में भी सूजन ठीक करने के गुण होते हैं,विशेष रुप से लंबे समय से चले आ रहे सूजन को कम करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।जैतून के तेल को बादी बवासीर के मस्सों पर लगाएं सूजन में राहत होगी और दर्द भी कम होगा।इसके अलावा कैंसर, अल्जाइमर, ह्रदय रोग, मधुमेह और गठिया जैसी बीमारीयों को भी दूर कर सकता है।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

इसे प्रयोग में लाने के लिए आप जैतून के तेल को रुई की मदद से बवासीर के मस्से पर लगा ले,इस विधि को दिन में दो से तीन बार करना चाहिए।


4.जीरे के प्रयोग से बवासीर का इलाज
(Treatment of piles with the use of cumin):

जीरा में बेहतरीन एंटी ऑक्सीडेंट गुण और साथ ही सूजन को कम करने मांशपेशी को आराम पहुंचने वाले के गुण पाए जाते हैं।जीरा में फाइबर भी पाया जाता हैं जो हमारे पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है।जीरा के इन्ही गुणों के कारण इसे खूनी और बादी दोनो प्रकार के बवासीर को ठीक करने के गुण होते हैं।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

  • बादी बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरे के 10 से 15 ग्राम दानों को पानी के साथ पीसकर लेप बना लें। इसे मस्सों वाली जगह पर लगाएं।

  • खूनी बवासीर में 25 ग्राम जीरा भून लें और 25 ग्राम मिश्री ले।इन दोनो को मिलाकर अच्छे से  पीस लें,और एक डिब्बे में भरकर रख ले।अब इसे दिन में 2-3 बार आधा चम्मच खाए।
  •  
  • एक गिलास मट्ठे में आधा छोटा चम्मच जीरा डालकर गर्मियों में सुबह खाली पेट पी ले,जबकि ठंडी में दोपहर में खाना खाने के बाद पीए।


5.सेब के सिरके के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Hemorrhoids treatment using apple cider vinegar in Hindi):

सेब के सिरके को बवासीर के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता हैं।ऐसा माना जाता है की सेब के सिरके में एंटी ऑक्सीडेंट और सूजन को कम करने की क्षमता होती है,जिसके कारण से इसके प्रयोग से बवासीर के मरीजों को आराम मिल सकता हैं।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

  • खूनी बवासीर में एक गिलास पानी में सेब के सिरके का एक चम्मच डालकर दिन में दो बार पिएं।
  •  बादी बवासीर में सेब के सिरके में एलोवेरा मिलाकर  में रुई भिगाकर गुदा में रखें। इससे जलन और खुजली से राहत मिलेगी।इस प्रयोग को दिन में दो से तीन बार करना है।
  • नोट:सेब के सिरके का इस्तेमाल सीधा किया जाए तो इससे आपकी स्किन पर जलन जैसी परेशानी हो सकती है। इसके अलावा ये आपकी काफी समस्याओं बढ़ा सकता है।

6.अरंडी के तेल के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Treatment of piles using castor oi in Hindi):

बवासीर के रोगियों के लिए अरंडी का तेल के तेल बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है।अरंडी के तेल में एंटी बैक्टीरियल और सूजन रोधी गुण पाए जाते है,अरंडी के तेल का इस्तेमाल कई तरह के कॉस्मेटिक्स, साबुन, मसाज ऑयल और दवाइयों में भी किया जाता है.

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

  • एक गिलास दूध में एक छोटा चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर मल को नरम करने और मलाशय की दीवारों पर दर्द कम हो सकता है।
  • 20 से 30 मिली अरंड के पत्ते का काढ़ा बनाकर 15 मिली एलोवेरा के रस में मिलाकर सुबह शाम पीने से बवासीर में लाभ होगा।

7.अजीर के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Treatment of piles with the use of Ajir in Hindi):

अजीर को बवासीर के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है।हाल ही में अजीर में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार,अंजीर में रेचक गुण (Laxative Properties) होते हैं, जिससे यह मल को पतला करने और मल त्याग में सहायता करता है।  साथ ही अंजीर में एंटी-इन्फ्टेमेटीरी गुण पाए जाते हैं जो टिश्यू और नसों की सूजन को कम करने में बहुत प्रभावी हैं।

प्रयोग विधि:

2 से तीन अंजीर एक गिलास पानी में भिगों दें। सुबह खाली पेट इसका सेवन कर, इस पानी को भी पिएं।

8.मट्ठा और अजवायन के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Treatment of piles with the use of whey and ajwain in Hindi):

मट्ठा और अजवायन दोनो को बवासीर के लिए किसी अमृत से कम नहीं माना जाता है।मट्ठा और अजवायन हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करते है।साथ ही मट्ठा में पानी की मात्रा ज्यादा होती है,जिसके कारण से हमारा बॉडी dehydrate होने से बच जाती है।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

एक गिलास मट्ठा में एक छोटा चम्मच अजवाइन पाउडर और स्वादानुसार काला नमक डालकर दोपहर में खाना खाने के बाद पी सकते हैं।

10.नींबू के प्रयोग से बवासीर का इलाज (treatment of piles using lemon in Hindi):

नींबू को बवासीर के लिए फायदेमंद माना जाता है।नींबू बादी और खूनी दोनो प्रकार के बवासीर के लिए फायदेमंद माना जाता हैं।क्योंकि नींबू में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है।और ये पेट को साफ रखने में सहायक होता है।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

  • नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे पाइल्स में फायदा पहुँचता है।
  • खली पेट आधे कटे निम्बू के रस को निचोड़कर सामान्य ताप वाले दूध में मिलाकर फटने से पहले उसको पीना चाहिए
  • एक बड़ा नींबू का रस निकाल लें और फिर उसमें सेंधा नमक मिक्स करें इस सेंधा नमक और नींबू के रस को एक गिलास पानी में मिलाकर दोपहर में खाना खाने के पंद्रह मिनट बाद पी ले।ये बवासीर बीमारी में अपना असर दिखाएगा खास करके यह खूनी बवासीर में आराम पहुंचाता है साथ में अमाशय के आसपास दर्द और सूजन की समस्या को भी कंट्रोल में करता हैं।
  • एलोवेरा जेल में हल्का सा नींबू का रस मिक्स करके इसे रुई की सहायता से मल त्यागने वाले स्थान पर लगाएं तो खुजली जलन और मल त्यागने में काफी आराम महसूस होगा।


11.पपीते के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Treatment of piles with the use of papaya in Hindi):

पपीते को बवासीरके लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाया है।पपीते में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट,और फाइबर की मात्रा आपके पाचन तंत्र औरकाई सारी बीमारियो के लिए लाभकारी माना जाता है।

इसे भी पढ़ें:पपीता खाने के फायदे


बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

  • पपीते के दूध को रूई की मदद से बवासीर के गांठ वाली जगह पर रोज रात में सोने से पहले लगा ले और सुबह नहाते वक्त हल्के गुनगुने पानी से धो लें।
  • रात के भोजन में पपीता खाएं। इससे कब्ज नहीं होगी। इससे मल त्याने के समय होने वाली पीड़ा नहीं होगी।या फिर
  • पपीते के बीज को सुखाकर उसका चूर्ण बना ले,और उसके चूर्ण को एक चम्मच रात में सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ खाने से पेट साफ हो जाता है।

12.नारियल के तेल के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Hemorrhoids treatment using coconut oil): 

नारियल के तेल को बवासीर के लिए फायदेमंद माना जाता हैं।नारियल के तेल पर किए गए एक शोध के अनुसार नारियल के तेल में सूजन को कम करने का गुण पाया जाता हैं,ऐसे में इसके प्रयोग से सूजन,जलन में आराम मिलता है।

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

  • नारियल के तेल को सूजन या फिर मस्से वाली जगह पर रूई की मदद से लगाने से बादी बवासीर में आराम मिलता है।
  • नारियल की जटाओं को जलाकर राख  बना लें। इसे रोज सुबह खाली पेट ताजे मट्ठे में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।

13.मूली के प्रयोग से बवासीर का इलाज (Treatment of piles using radish):

बवासीर के इलाज के लिए मूली को काफी फायदेमंद माना जाता हैं।मूली में सूजन और दर्द को कम करने का गुण पाया जाता हैं 

बवासीर का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

प्रयोग विधि:

एक मूली को अच्छे से पीस ले फिर उसमे उचित मात्रा में दूध के साथ मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बना ले ,अब इसे मस्से पर या फिर सूजन वाली जगह पर लगाए और 15 मिनट बाद धो ले।इसे दिन में दो बार करना है,इससे कुछ दिनों में लक्षणों से राहत मिल जाती है।ऐसा आपको कम से कम पंद्रह से बीस दिन लगातार करना है।


बवासीर में गर्म पानी पीने के फायदे (benefits of drinking hot water in piles in Hindi):

पानी को बवासीर के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।आप जितना अधिक पानी पिएंगे उतना ही ज्यादा आपको आराम मिलेगा।

प्रयोग विधि:

  • आप रोज सुबह खाली पेट पानी को गर्म कर ले और उस पानी के गुनगुना होने पर पी ले ऐसा करने से आपको बवासीर,पेट साफ और मोटापे को कम करने में सहायता मिलेगी
  • बाथ टब (Sitz bath) में गर्म पानी डालकर 10-15 मिनट तक बैठें। यह बवासीर के दर्द, और जलन से आराम पाने का सबसे अच्छा इलाज है


बवासीर के लिए आयुर्वेदिक दवा:

बवासीर के लिए मार्केट में कई प्रकार के आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध है।जिसका प्रयोग आप बवासीर के लिए कर सकते है।

त्रिफला चूर्ण:

ये आपको मार्केट में बड़े आसानी से मिल जाएगी,आप रोज दो बार खाना खाने के बाद शहद या फिर गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैआप चाहे तो इसे घर पर भी बना सकते है।

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि:

सामग्री:

100 ग्राम हरड़,

 200 ग्राम बहेड़ा 

 300 ग्राम आंवला

विधि:

.इसे बनाने के लिए तीनों को अच्छे से सुखाकर इनका बीज निकालकर फेंक दे।

.अब इन तीनों को अच्छे से मिक्सर में डालकर पीस ले।

.पीसने के बाद इसको एक डिब्बे में बंद करके रख दे।

.रात को सोने से पहले त्रिफला चूर्ण को गरम पानी के साथ लें।


अर्शकल्प:

बवासीर के लिए अर्शकल्प बहुत ही फायदेमंद आयुर्वेदिक दवा है बाजार में आपको पतंजलि या फिर वेदऋषि का अर्शकल्प टैबलेट आसानी से मिल जायेगा।आप इसका प्रयोग सुबह शाम खाने के बाद या फिर डॉक्टर के परामर्श से खाए।

अर्शकुतर रस: यह दवा खुली बवासीर के लिए बहुत उपयोगी होती है।


अर्शोतर चूर्ण:

यह दवा बवासीर के लिए बहुत ही उपयोगी है, इस चूर्ण में बहेड़ा, आंवला, सेंधा नमक ,नींबू का रस, सोठ और हरण मिला हुआ है यह चूर्ण बवासीर के साथ पेट को साफ रखने के लिए भी फायदेमंद होता है।इस दवा को डॉक्टर के परममर्श के अनुसार प्रयोग करे।


पाइल्स ऑफ शियाना टैबलेट:

यह टैबलेट बवासीर के लिए फायदेमंद माना जाता है।इस टैबलेट में नागकेशर,नीम,सियना, काली मिर्च,आदि कई जड़ी बूटिया सामिल है।इसका सेवन आयुर्वेद चिकित्सा के परामर्श के बाद करे।


बवासीर में क्या नहीं खाना चाहिए (what not to eat in piles):


  • बवासीर में बहुत ज्यादा तेल मशाला,मिर्च ,सफेद ब्रेड से बने हुए भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • बवासीर होने पर हमे बाहर की चीजे जैसे फुल्की,चाट,समोसा आदि नही खाना चाहिए।
  • बवासीर होने पर हमे डब्बा बंद खाना नही खाना चाहिए।
  • बवासीर होने पर रोगी को बासी भोजन नहीं करना चाहिए।
  • बवासीर में मैदे से बने पदार्थ को नहीं खाना चाहिए।
  • बवासीर होने पर ज्यादा तनाव नही लेना चाहिए।
  • बवासीर होने पर बहुत भारी सामान नहीं उठाना चाहिए।
  • अधिक देर तक एक ही जगह पर बैठे ना रहें।

बवासीर होने पर क्या खाना चाहिए (What to eat when you have piles):

  • हरे पत्तेदार सब्जियां(पालक,लौकी,गाजर,टमाटर)
  • कच्ची सब्जियों के सलाद
  • कम से कम छह से सात लीटर पानी पिए
  • फाइबर युक्त फल खाए (सेब,संतरा,अनार,)
  • नियमित व्यायाम करे।
  • बहुत ज्यादा गर्म चीजे न खाए
  • जिसकी तासीर गर्म हो ऐसे चीजों का सेवन ना करे।
  • सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पिए

  • कम से कम सुबह दो नीम के पत्ते चबाएं।
  • नारियल पानी का सेवन करे।
  • पेय पदार्थ (बेल का रस,गन्ने का रस,तरबूज का रस) आदि का सेवन करे।

डॉक्टर के पास कब जाए:

बवासीर को सही खान पान और अपने जीवन शैली में बदलाव करके तथा कुछ घरेलू उपचार करके ठीक किया जा सकता है।परंतु जब समस्या जटिल यानी की आप का बवासीर से बहुत ज्यादा खून,दर्द,जलन या फिर उठने बैठने में परेशानी महसूस होने लगे तो ऐसे में लापरवाही बिलकुल भी न करे आप तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 


बवासीर में चावल खाना चाहिए या नहीं?

बवासीर के दौरान लोगों को ज्यादा से ज्यादा फाइबर चीजों का सेवन करने को कहा जाता है। क्योंकि फाइबर (Fiber) चीजें खाने से मल त्याग करते समय परेशानी नहीं होती है।बात करे चावल की तो अगर आप भूरे चावल का सेवन करती है तो ये बवासीर के रोगियों के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि भूरे चावल में सफेद रंग के चावल की तुलना में ज्यादा मात्रा में फाइबर पाया जाता हैं।


बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं?

दरअसल बवासीर के रोगियों को दूध के सेवन से बचना चाहिए,क्योंकि कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है की दूध के सेवन से कब्ज और पाचन संबंधी क्रियाएं खराब हो सकती है जिसके कारण से बवासीर के रोगियों को मल त्यागने में समस्या उत्पन्न हो सकती है।



बवासीर में अंडा खाना चाहिए या नहीं

बवासीर में अंडा खाना सुरक्षित माना जाता है।क्योंकि अंडे में पाए जाने वाले पोषक तत्व हमारे पाचन क्रिया को मजबूत,कब्ज, और मल को मुलायम बनाते है,जिसके कारण से हमे बवासीर में आराम मिलता है।लेकिन ध्यान रहे अंडे का सेवन एक दिन में केवल एक से दो ही अंडे खाना चाहिए और अंडा के केवल सफेद भाग का ही सेवन करना चाहिए पीले भाग को भूलकर भी न खाए और हो सके तो अंडे को उबालकर उसके सफेद भाग को खाए तो ऐसे में आपको ज्यादा लाभ मिलेगा।


बवासीर में अदरक खाना चाहिए या नहीं

बवासीर के मरीज को अदरक का सेवन नही करना चाहिए क्योंकि अदरक की तासीर गर्म होती है,और गर्म चीजें खाने से बवासीर की समस्या और भी ज्यादा जटिल हो सकती है।


निष्कर्ष: उम्मीद है की आपको बवासीर से संबंधित ये लेख आपको पसंद आया होगा परंतु फिर भी अगर आप मुझसे स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी सवाल पूछना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं, मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद!

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। ये लेख किसी भी प्रकार से किसी भी बीमारी को ठीक करने का दावा नही करता है ज्यादा जानकारी हेतु अपने नजदीकी डॉक्टर से परामर्श ले।

इसे भी पढ़े:दांत दर्द या पायरिया को ठीक करने के असरदार आयुर्वेदिक उपचार

रोज सुबह होगा पेट साफ,पेट साफ करने के घरेलू उपाय

कैसी भी खांसी हो चुटकियों में होगा ठीक :खांसी को ठीक करने के घरेलू उपचार

सर्दी जुकाम को ठीक करने के घरेलू उपाय

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ