योग की अनेक मुद्रा होती हैं उन्ही में से उत्तानपादासन योग भी एक प्रमुख आसन हैं,उत्तानपादासन के बारे में बात करें तो इस योग के नियमित अभ्यास करने से आप शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से खुद को फिट रख सकते है, इस आसन का अभ्यास महिला, पुरुष और छ से सात साल के बच्चे और बच्चियां भी कर सकते है, उत्तानपादासन आसन के नियमित रूप से अभ्यास करने पर आप न सिर्फ टोंड बॉडी पा सकते हैं बल्कि इससे गैस और एसिडिटी जैसी समस्या भी दूर रहती है। आज हम आपको उत्तानपादासन के फायदे, नुकसान, उत्तानपादासन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
उत्तानपादासन क्या है (what is uttanapadasana in Hindi):
उत्तानपादासन योग एक संस्कृत भाषा का शब्द है, यह संस्कृत के तीन शब्दो उत्ताना, पाद, और आसन से मिलकर बना हुआ है, इसमें उत्तान का अर्थ होता हैं, ऊपर उठा हुआ, पाद का अर्थ होता है, पैर और आसन का अर्थ होता है मुद्रा या स्थिति।
इस आसन का नाम उत्तानपादासन इसलिए रखा गया क्योंकि इस आसन में पीठ के बल लेटकर पांव ऊपर उठाए जाते हैं, इसीलिए इसे यह नाम दिया गया है। यह आसन द्विपादासन नाम से भी प्रसिद्ध है।
इसको अंग्रेजी में रेस्ड फीट योगा (Raised Feet yoga) या (Extended Leg Pose) कहा जाता है। उत्तानपादासन कब्ज, मोटापा, और पेट संबंधी अन्य समस्याओं से निजात दिलाता है। इस आसन से पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने और पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद मिलती है। इसके अभ्यास से नाभि भी अपने स्थान पर आ जाती है। जिन लोगों को ऐब्स या सपाट पेट की इच्छा हो, वो इस आसन को रोजाना कर सकते हैं।
उत्तानपादासन की विधि (Method of Uttanapadasana in Hindi):-
उत्तानपादासन योग जिसे रेस्ड फीट योगा के नाम से भी जाना जाता हैं, इस आसन का अभ्यास करना आसान है, उत्तानपादासन के फायदे पाने के लिए इस आसन का अभ्यास सही तरीके से करना बहुत जरूरी हैं, नीचे लेख में उत्तानपादासन की विधि बताई गई हैं।
Step:1- उत्तानपादासन योग का अभ्यास करने के लिए एक शांत, हवादार, वातावरण का चुनाव करे।
Step:2- अब योग मैट आराम से पीठ के बल सीधे लेट जाएं। ध्यान रहे पैरों की बीच दुरी नहीं होनी चाहिए और हाथ शरीर के निकट रखे।
Step:3- सांस लेते हुए पांवों को मोड़े बगैर धीरे-धीरे 30 डिग्री पर उठाएं। आप 45 डिग्री या 60 डिग्री तक भी कर सकते है।
Step:4- धीरे धीरे सांस लें और फिर धीरे धीरे सांस छोड़े और इसी मुद्रा में अपनी क्षमता के अनुसार कुछ क्षण तक रहें।
Step:6- अब इस आसन से बाहर निकलने के लिए लम्बा सांस छोड़ते हुए दोनों पांव नीचे लाएं।
Step:7- इस प्रकार इस आसन का एक चक्र पूरा हुआ।
Step:8- इस तरह से आप इस आसन का अभ्यास 3 से 5 चक्र तक करें।
उत्तानपादासन के फायदे (Benefits of Uttanapadasana in Hindi):-
उत्तानपादासन जिसे रेस्ड फीट योगा के नाम से जाना जाता हैं, अगर इस आसन को सही तरीके से किया जाय तो इस आसन के अनेकों लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं, नीचे लेख में उत्तानपादासन के फायदे के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान किया गया है;
1. पेट की चर्बी कम करने में फायदेमंद:
अगर आप पेट की चर्बी से परेशान हैं तो आपको उत्तानपादासन करनी चाहिए। उत्तानपादासन के फायदे की बात करें तो इस आसन के अभ्यास से पेट की चर्बी को कम करने और पेट को अंदर करने में अहम भूमिका माना जाता हैं, योग विशेषज्ञ इस आसन के बारे में कहते हैं कि यह आसन इतना पावरफुल है कि इसके नियमित अभ्यास करने से शरीर में एब्स (abs) बनने लगते हैं। यह मोटापा और पेट के तोंद को कम करने में मदद करता है।
2. नाभि संतुलन में फायदेमंद:
जो लोग नाभि उतरने जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं उनके लिए यह आसन बेहद लाभकारी है.नाभि को संतुलित करने में भी उत्तानपादासन के फायदे देखे जा सकते हैं, योग विशेषज्ञ के अनुसार इस आसन के अभ्यास से नाभि केंद्र संतुलित होता है। अगर नाभि अपने जगह से हट गई हो तो इसके लिए उत्तानपादासन सबसे बेहतरीन योग है। नाभि को संतुलित करने में यह आसन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है
3. पैरों के लिए फायदेमंद:
उत्तानपादासन का अभ्यास पैरों के लिए फायदेमंद माना जाता हैं, योग विशेषज्ञ कहते हैं की इसके नियमित अभ्यास से आप अपने पैरों को मजबूत एवं सबल बना सकते हैं। इस आसन के अभ्यास से में पैरों को ऊपर उठात वक्त पेट और पैरों की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और मसल्स टाइट होती है। इससे पैर में होने वाली सनसनाहट और दर्द की शिकायत दूर हो जाती है। इस आसन को करने से पैरों में सूजन की समस्या से छुटकारा मिलता है।
4. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद:
पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए उत्तानपादासन के फायदे देखने को मिल सकते हैं, योग विशेषज्ञ कहते है कि अगर आपको अपने पेट की पेशियों को मजबूत बनाना हो तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें। यह पेट की पेशियों को सबल ही नहीं बनाता बल्कि इसके निर्माण में भी सहायक करता है। यह बेहतर मल त्याग में मदद करता है, अपच से बचाता है, एसिड रिफ्लक्स और कब्ज आपके पाचन तंत्र के कामकाज में भी सुधार करता है, यह एसिडिटी, अपच को रोकता है और शरीर से टाॅक्सिंस को बाहर निकालने में भी मदद करता है। यह आपके पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है और भोजन को पचाने में मदद करता है। यह आसन कब्ज को हमेशा हमेशा के लिए ख़त्म कर सकता
5. कूल्हे और जोड़ों को मजबूत बनाने में फायदेमंद:
कूल्हे के जोड़ो को मजबूत बनाने में भी उत्तानपादासन के फायदे देखने को मिलते है, योग विशेषज्ञ के अनुसार रोजाना इस आसन का अभ्यास करने से कूल्हे के मांशपेशिओ की अच्छे से मालिश होती है, जिस कारण से इस आसन के दौरान कूल्हे के जोड़ों व उसके आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है और साथ ही इनमें लचीलापन बढ़ता है।
6. रक्त परिसंचरण बढ़ने में फायदेमंद:
खराब रक्त प्रवाह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। योग गुरु के अनुसार नियमित रूप से उत्तानपादासन अभ्यास करने से शरीर के कई हिस्सों में रक्त की आपूर्ति में सुधार देखने को मिल सकती है और वे अंग सक्रिय रूप से काम करने लगते हैं। कई अध्ययनों से इस बात का पता चला है कि उत्तानपादासन रक्त संचार को बढ़ाता है। इस आसन को करते वक्त जब आप फर्श पर लेट जाते हैं, तब यह मुद्रा आपके हृदय और संचार प्रणाली पर दबाव से राहत देती है और रक्त प्रवाह को बढ़ाती है।
7. प्रजनन अंगों के लिए फायदेमंद:
प्रजनन अंग में सुधार करने के लिए भी उत्तानपादासन के फायदे देखने को मिल सकते हैं, योग गुरु के अनुसार नियमित रूप से उत्तानपादासन के से प्रजनन अंगों के कार्य में सुधार होता है,
8. घुटने के दर्द के लिए फायदेमंद:
ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित लोगों की स्थिति में सुधार के लिए सामान्य उपचार और दवाओं के अलावा योग को एक रूढ़िवादी उपचार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हाल ही में किए गए एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है, कि नियमित रूप से योग का अभ्यास करने से घुटने के दर्द की समस्या को कम किया जा सकता हैं, योग विशेषज्ञ कहते है की घुटने के दर्द को कम करने के लिए उत्तानपादासन के फायदे देखने को मिल सकते हैं।
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9. कमर मजबूत करने में फायदेमंद:
अत्यधिक देर तक एक स्थिति में खड़े रहना या बैठकर काम करने से कमर में दर्द होना स्वाभाविक है, कमर के दर्द को ठीक करने और इसे मजबूत बनाने के लिए उत्तानपादासन योग को लाभकारी बताया गया है, योग विशेषज्ञ की माने तो इस आसन के अभ्यास से पहले पहले तो यह आपके कमर को परेशान कर सकता है लेकिन कुछ अभ्यास के बाद यह आपके कमर को मजबूत करते हुए कमर दर्द को कम और मजबूत करता है।
10. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में फायदेमंद:
रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर हम बार बार बीमार पड़ते हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को बढ़ाने के लिए योग को एक बेहतर विकल्प माना जा सकता हैं, हमारे योगशास्त्र में immunity को बढ़ाने के लिए उत्तानपादासन योग को बहुत ही बेहतरीन बताया गया हैं। योग विशेषज्ञ के अनुसार उत्तानपादासन नियमित अभ्यास से ब्लड का संचार सही तरीके से होता है, इस कारण से ये हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता हैं।
11. ऊर्जा बढ़ाने में फायदेमंद:
दिनभर काम करने से आप खुद को थका हुआ या फिर कमजोर महसूस करते है तो ऐसे में आप अपने ऊर्जा को बढ़ाने के लिए उत्तानपादासन योग का सहारा ले सकते है, योग विशेषज्ञ के अनुसार उत्तानपादासन का नियमित अभ्यास से आप अपने शरीर की ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं। इस आसन के अभ्यास से आप खोई हुई ऊर्जा को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
12. मानसिक रोगों को दूर करने में फायदेमंद:
चिंता-तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं मौजूदा समय की बड़ी चुनौतियों में से एक है।मानसिक स्वास्थ्य विकारों के जोखिम को कम करने और चिंता-अवसाद जैसी समस्याओं से बचे रहने के लिए सभी लोगों को दिनचर्या में योगासनों को शामिल करना चाहिए।जिन लोगों को चिंता, तनाव व अवसाद जैसी समस्याएं रहती हैं उनके लिए भी उत्तानपादासन को फायदेमंद माना जाता हैं। इन समस्याओं को दूर करने के साथ ही साथ उत्तानपादासन अभ्यास करने से मूड भी अच्छा बना रहता है। और इस आसन के अभ्यास से घबराहट की समस्या कम होती है।
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उत्तानपादासन की सावधानियां (Precautions of Uttanapadasana in Hindi):-
उत्तानपादासन, जिसे रेज़्ड लेग पोज़ या एक्सटेंडेड लेग पोज़ के रूप में भी जाना जाता है, पेट और निचले शरीर के लिए एक फायदेमंद योग आसन है। हालाँकि, इस मुद्रा का अभ्यास करते समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। उत्तानपादासन के लिए यहां कुछ सावधानियां दी गई हैं:
1. यदि आपको पहले से कोई चोट या स्थिति है तो इससे बचें:
यदि आपको पेट, पीठ या पैरों में कोई चोट या स्थिति है, जैसे कि हर्निया, कटिस्नायुशूल, या पीठ के निचले हिस्से में दर्द, तो उत्तानपादासन से बचने या संशोधित करने की सलाह दी जाती है। मार्गदर्शन के लिए किसी योग्य योग प्रशिक्षक या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लें।
2. गर्भावस्था के दौरान:
उत्तानपादासन गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है, खासकर गर्भावस्था के बाद के चरणों में, क्योंकि इसमें पैरों को उठाना पड़ता है और पेट पर दबाव पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान इस आसन को करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या प्रसवपूर्व योग प्रशिक्षक से परामर्श लें।
3. पर्याप्त रूप से वार्मअप करें:
उत्तानपादासन का अभ्यास करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आपने शरीर को पर्याप्त रूप से वार्मअप कर लिया है। मांसपेशियों को तैयार करने और तनाव या चोट को रोकने के लिए पेट, कूल्हों और पैरों के लिए हल्के स्ट्रेच करें।
4. उचित संरेखण बनाए रखें:
उत्तानपादासन करते समय अपने पैरों, पीठ और गर्दन के संरेखण पर ध्यान दें। पीठ के निचले हिस्से को सहारा देकर और व्यस्त रखकर अत्यधिक तनाव से बचें। शरीर पर अनावश्यक तनाव को रोकने के लिए उचित तकनीक का उपयोग करें और किसी भी झटकेदार हरकत से बचें।
5. आवश्यकतानुसार संशोधित करें:
यदि आपको दोनों पैरों को एक साथ जमीन से ऊपर उठाना चुनौतीपूर्ण लगता है, तो आप एक समय में एक पैर उठाकर या घुटनों को थोड़ा मोड़कर शुरू कर सकते हैं। जैसे-जैसे आपकी ताकत और आराम का स्तर बढ़ता है, धीरे-धीरे पूर्ण मुद्रा तक अपना काम करें।
6. अपने शरीर को सुनें:
अपने शरीर को सुनना महत्वपूर्ण है और अपनी सीमा से परे जबरदस्ती या दबाव नहीं डालना चाहिए। यदि आपको अभ्यास के दौरान कोई दर्द, असुविधा या चक्कर महसूस होता है, तो तुरंत मुद्रा से बाहर आएँ और योग प्रशिक्षक से मार्गदर्शन लें।
(Note):-
हमेशा एक योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में योग का अभ्यास करें, खासकर यदि आप शुरुआती हैं या विशिष्ट स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ हैं। वे व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं, उचित संरेखण सुनिश्चित कर सकते हैं, और यदि आवश्यक हो तो संशोधन या विकल्प पेश कर सकते हैं।
उत्तानपादासन करने से पहले यह आसन करें (Uttanpadasana karne se pehle ye aasan kare):-
उत्तानपादासन आसन करने से पहले आप नीचे बताए गए आसनों का अभ्यास कर सकते है, इन आसनों का अभ्यास करने से आपकी बॉडी उत्तानपादासन आसन करने के लिए तैयार हो जाएगी
- कर्नापीड़ासन (Karnapidasana)
- पिण्डासन (Pindasana)
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मत्स्यासन (Matsyasana)
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हलासन (Halasana)
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ऊर्ध पदमासन (Urdhva Padmasana)
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सर्वांगासन (Savangasana)
उत्तानपादासन करने के बाद ये आसन करें - Uttanpadasana karne ke baad ye aasan Karen):-
- शीर्षासन (Sirsasana)
- बद्ध पद्मासन (Baddha Padmasana)
- पद्मासन (Padmasana)
- उत्प्लुतिः या तुलासन (Utplutih/ Tulasana)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तानपादासन किन रोगियों को नहीं करना चाहिए?
उत्तानपादासन का अभ्यास निम्न रोगियों को नहीं करना चाहिए:
- शरीर के किसी हिस्से में गंभीर दर्द होना
- किसी हिस्से में चोट लगी होना
- हृदय से संबंधित कोई बीमारी होने पर
- हरनिया की शिकायत होने पर
- उच्च रक्तचाप होने पर
- गर्भावस्था या मासिक धर्म के दौरान
उत्तानपादासन कब करें?
- उत्तानपादासन का अभ्यास सुबह के वक्त किया जाना उत्तम माना जाता है , इसलिए इस आसन का अभ्यास सुबह के वक्त करना चाहिए।
- परंतु अगर आप इस आसन को सुबह के वक्त करने में असमर्थ है, तो आप इस आसन का अभ्यास शाम को कर सकते हैं,
- परंतु इस बात का ध्यान रखे की इस आसन का अभ्यास शाम में करते वक्त भोजन 4 से 6 घंटे पहले किया हो।
- और इस बात का भी ध्यान रखे की आसन से पहले आपने शौच कर लिया हो और पेट एकदम खाली हो।
निष्कर्ष (conclusions):-
इस लेख में उत्तानपादासन योग से संबंधित सभी महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार पूर्वक जानकारी देने की कोशिश की गई है, उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा, परंतु अगर आप मुझे इस लेख से संबंधित कोई सलाह या प्रश्न पूछना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद!
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