शरीर में अगर कोई बीमारी हो जाती है तो व्यक्ति को तुरंत पता चल जाता है ,और वो इसका इलाज भी करा लेता है किंतु मानसिक बीमारी के बारे में लोगो को कम जागरूकता होती है,या फिर लोग इसपर ध्यान ही नही देते है।यदि आप दिमागी रूप से परेशान है या स्ट्रेस में रहते हो तो आप गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हो।स्ट्रेस हर किसी को होता है,परंतु यदि आप हद से ज्यादा स्ट्रेस ले रहे हो तो फिर ये एक खतरे की घंटी हो सकती है। हमारे गावों में बड़े बुजुर्गो ने कहा गया है की चिंता चिता के समान है जैसे गेहूं में घुन लग जाने पर गेहूं अंदर से खोखला हो जाता है,वैसे ही मनुष्य अत्यधिक चिंता से अपने अंदर अनेक प्रकार की बीमारियो को जन्म देता है जिससे वह अंदर से खोखला होता चला जाता है।
एंजायटी (घबराहट) क्या है (What is anxiety in Hindi?):-
एंसाइटी को हिंदी में कई नामों से जाना जाता है जैसे की व्याकुलता, उत्कंठा,उद्धेग,उत्सुकता,घबराहट,सोच,आदि।
अगर सामान्य तौर पर बात की जाए तो, एंग्जाइटी एक डिसऑर्डर है जो डर, चिंता, भय या डर और घबराहट, भावुकता या नर्वसनेस के कारण हो सकता है। ये भावनाएं हमारे व्यवहार पर असर डाल सकती हैं और अगर लंबे वक्त तक बनी रहें तो ये हमें शारीरिक रूप से भी प्रभावित कर सकती हैं। हमे मिर्गी के दौरे भी आने शुरू हो सकते है ।
भारत में की एंग्जाइटी स्थिति
कि भारत के अलग-अलग महानगरों में लगभग 15.20% लोग एंग्जाइटी की चपेट में है।
• इसकी एक बहुत बड़ी वजह है नींद का पूरा न होना । लगभग 50% लोग ऐसे हैं जो अपनी नींद को पूरा नहीं कर पाते ।
• जो देश इस समय विकसित हैं, उनमें भी लगभग 18% युवा एंग्जाइटी के चपेट में आ चुके है।
एंजायटी अटैक के लक्षण (Symptoms of anxiety attack in Hindi):-
- घबराहट, बेचैनी या तनाव महसूस करना
- हृदय गति का बढ़ना
- तेजी से सांस लेना
- पसीना आना
- शरीर या हाथ में कम्पन शुरू हो जाना
- हाथ पैर एक दम ठंडे पड़ जाना
- बार बार पेट खराब हो जाना।
- कमजोरी या थकान महसूस होना
- वर्तमान चिंता के अलावा किसी और चीज के बारे में ध्यान केंद्रित करने या सोचने में परेशानी
- सोने में परेशानी
- .चिंता को नियंत्रित करने में कठिनाई होना
- चिंता को ट्रिगर करने वाली चीजों से बचने का आग्रह करना।
- .आपके दिमाग में निगेटिव विचारो का आना(इसे ऐसे समझते है की मानो अपने अपने भाई को फोन लगाया और उसने फोन नही उठाया ,तो आपके विचार में निगेटिव विचार का आना जैसे कही उसके साथ कुछ गलत तो नहीं हो गया हो,कही मेरे भाई का एक्सीडेंट तो नही हो गया है ,ऐसा सोचकर घबराना)
- आपके दिमाग में हमेशा विचार चलते ही रहते है दिमाग कभी स्थिर ही नहीं होता है।
घबराहट के लिए योग (yoga for anxiety in Hindi):-
योग एंग्जायटी या किसी भी बीमारी को ठीक करने का एक प्राकृतिक और शान्तिकारक उपाय है, यह न केवल हमारे शरीर पर सकारात्मक असर डालता है, अपितु यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को भी ठीक करता है। यह विश्राम की भावना को प्रेरित करता है, चिंता, तनाव को दूर करने में सहायता करता है। वैसे anxiety को ठीक करने के कई आसन है परंतु मैं यहां पर केवल उन्हीं आसन को बताना चाहूंगी जो करने में आसान है।
धनुरासन–
यह आसन करने के लिए सबसे पहले चटाई पर पेट के बल लेट जांय। अब अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हाथों से पैरों को पकड़ लें और सांस लेते हुए सिर, छाती और जांघ को उपर उठायें। शरीर के साथ कोई भी जोर जबरदस्ती ना करें।
अब इसी अवस्था में कुछ देर बने रहें, इस दौरान सांस धीरे धीरे लेते और छोड़ते रहें।
यह आसन प्रतिदिन 2 से 3 बार करें।
सावधानी
जिस व्यक्ति को रीढ़ की हड्डी का अथवा डिस्क का अत्यधिक कष्ट हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो भी यह आसन न करें।डीप बैली ब्रीथ
गहरी श्वास के प्रभाव बेजोड़ हैं। यह सीधे तंत्रिका तंत्र को शांत करता है, जिससे मन को शांति मिलती है और आराम मिलता है।
तरीका: पीठ के बल लेट जाएं। अधिक आराम महसूस करने के लिए पैरों या पीठ के नीचे एक बोल्स्टर का उपयोग करें। अपनी हथेलियों को पेट के ऊपर रखें, एक नाभि के ऊपर और दूसरी उसके नीचे।धीरे-धीरे सांस लेते समय पेट में हवा भरने की क्रिया को महसूस करें। साथ ही सांस को छोड़ते समय पेट के नीचे जाने को भी आप अनुभव करें।
गहरी सांस लेते समय अपनी आंखों को बंद रखें। शुरुआत में बहुत जल्दी नहीं पर धीरे- धीरे गहरी सांस लें। सांस लेने और छोड़ने का समय एक समान ही होना चाहिए। सांस लेते और छोड़ते समय ज्यादा ताकत न लगाएं। इस अभ्यास को करते वक्त ढीले कपड़े पहनें। इस प्रक्रिया को करीब दस से बीस मिनट तक दोहराते रहें।
नोट: यह दिन के किसी भी समय, यहां तक कि काम के बीच में भी किया जा सकता है।
2. बालासन
चाइल्ड पोज़ या बालासन बहुत ही आरामदायक मुद्रा है। यह पेट में तंत्रिका तनाव को शांत करता है, जो चिंता के परिणामस्वरूप होता है। यह मन के विचारों को शांत करने में मदद करता है।
विधि: अपने घुटनों पर बैठें। अपने कूल्हों को एड़ी पर टिकाएं और सिर को नीचे लाते हुए चटाई पर ले जाएं। अपने हाथों को साइड पर आराम करने दें। यदि आपको सिर को नीचे लाना मुश्किल है, तो एक बोल्स्टर का उपयोग करें, इसे पैरों के बीच रखें और उस पर अपने धड़ को आराम दें।बालासन का अभ्यास 1 से 3 मिनट तक किया जाना चाहिए। इसे करने में किसी किस्म के दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है। बालासन से हिप्स, जांघों और टखने में खिंचाव पैदा होता है। जबकि ये कमर, गर्दन और कंधों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
बालासन credit by pixabay.com |
यह मुद्रा शरीर में घबराहट को दूर करने में मदद करती है, जो अक्सर चिंता के साथ होती है। यह सचमुच अपने आप को बेहतर महसूस करवाने के लिए है। ये प्राणायाम से पेट संबंधी समस्या दूर हो जाती है जैसे कब्ज की समस्या।यह हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है
विधि:
अपनी पीठ के बल लेट जाएँ और पैरों को साथ में कर ले और हाथों को शरीर के साथ जोड़ लें।
गहरी लंबी साँस अंदर लें और साँस छोड़ते हुए अपने दाएँ घुटने को अपनी छाती के पास ले कर आएँ। जंघा को हाथों से पकड़ते हुए पेट पर दबाएँ।
दोबारा से एक लंबी गहरी साँस ले और छोड़ते हुए अपने सर और छाती को ज़मीन से उठाएँ। अपनी ठोड़ी को अपने दाएँ घुटने से लगाएँ।
आसन में रहें और लंबी गहरी साँसे लेते रहें।
ध्यान दे: साँस छोड़ते हुए अपने घुटने को हाथों से कस कर पकड़ लें। छाती पर दबाव बनाएँ। साँस लेते हुए, ढीला छोड़ दे।
साँस छोड़ते हुए, वापस ज़मीन पर आ जाएँ और विश्राम करें।
यह पूरी प्रक्रिया बाएँ पैर के साथ करें और फिर दोनों पैरों के साथ करें।
चाहे तो आगे-पीछे थोड़ा झूल सकते है। दाएँ-बाएँ भी ३-५ बार झूल सकते हैं और उसके बाद विश्राम करें।
पवनमुक्तासन करने में बरतें सावधानियां
जो व्यक्ति पीठ के दर्द या कमर में दर्द से पहले से ही पीड़ित हों उन्हें पवनमुक्तासन करने से बचना चाहिए।
यदि आपको उच्च रक्तचाप और गर्दन में दर्द हो तो पवनमुक्तासन करने में सावधानी बरतें।
4. भ्रामरी प्राणायाम
यह मुद्रा शरीर में घबराहट को दूर करने में मदद करती है, जो अक्सर चिंता के साथ होती है। यह सचमुच अपने आप को बेहतर महसूस करवाने के लिए है।
विधि: सबसे पहले किसी शांत और अच्छी हवादार जगह पर बैठें और अपनी आँखें बंद कर लें।
अपनी तर्जनी उँगलियों को दोनों कानों पर रखें।
अपना मुंह बंद रखते हुए नाक से ही सांस लें और छोड़ें। सांस छोड़ने के दौरान ऊँ का उच्चारण भी कर सकते हैं।
इस प्रकिया को 5 से 7 बार करे।
सावधानी –
भ्रामरी प्राणायाम के वैसे तो कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं, हालांकि, इसका गलत ढंग से अभ्यास करने से कोई लाभ नहीं मिलता है।
गर्भवती महिलाओं, कान में संक्रमण या कान में जलन, ये सभी लोग इस आसन को नही करे।
सीने में दर्द, हाई ब्लड प्रेशर या मिर्गी की समस्या के शिकार लोगों को भ्रामरी प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
प्रतिदिन करे ध्यान–
ध्यान का अभ्यास करना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकता है। यह हमें शांत करने में मदद करता है, तनाव-प्रतिक्रिया को कम करता है और स्वयं से जुड़ने में मदद करता है। जब आप शुरुआत कर रहे हों तो ध्यान का अभ्यास करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध होने वाले गाइडेड मेडिटेशन ऑडियो की मदद से ध्यान करना शुरू करें।
शांत करने वाला संगीत सुनें
यह साबित हो चुका है कि शांत करने वाली आवाजें जैसे प्रकृति की आवाजें, वाद्य संगीत और शांतिपूर्ण मंत्र सुनने से तनाव और चिंता कम हो सकती है और यहां तक कि आपका मूड भी बदल सकता है।
स्ट्रेस लेना कम करे जो भी होगा अच्छे की लिए होता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करे।
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