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रक्तचाप(ब्लड प्रेशर)क्या होता है?? हाई ब्लड प्रेशर को ठीक करने के उपाय।।।

 पुराने समय में ब्लड प्रेशर जैसी समस्या ना के बराबर थी परंतु समय में परिवर्तन के साथ साथ इस बीमारी ने भी अपना विशाल रूप पकड़ना शुरू कर दिया,पहले ये बीमारी 60 वर्ष के व्यक्तियो को होती थी परंतु अब इस बीमारी के शिकार 25 वर्ष के युवा लोगो को भी हो रही है।

भारत लगभग 33% शहरी और 25% ग्रामीण भारतीय उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं। इनमें से 25% ग्रामीण और 42% शहरी भारतीय अपनी उच्च रक्तचाप की स्थिति से अवगत हैं। केवल 25% ग्रामीण और 38% शहरी भारतीयों का उच्च रक्तचाप का इलाज किया जा रहा है। ग्रामीण भारतीय उच्च रक्तचाप से ग्रस्त आबादी के दसवें और शहरी आबादी के पांचवें हिस्से का रक्तचाप नियंत्रण में है।

ब्लड प्रेसर क्या है

हमारे शरीर में जो हृदय होता है वो लगातार धड़कता रहता है,और रक्त को एक खास दबाव में पूरे शरीर में भेजता है इसी दबाव को रक्तचाप/रक्तद्दाब कहते है।

और इसी के द्वारा ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्व शरीर में पहुंचाए जाते है।हृदय द्वारा रक्त पंप के कारण रक्त की दीवारों पर दबाव पड़ता है इसी दबाव से ब्लड प्रेशर नापा जाता है। 

(सिस्टोलिक प्रेशर या प्रकूंचक) यह प्रकिया तब होती है जब आपका हार्ट (हृदय)सिकुड़ता है,जिससे ब्लड हमारे शरीर के हर क्षेत्र में पहुंचता है।

(डिस्टोलिक प्रेशर या प्रसारक) इस प्रक्रिया में हार्ट(हृदय) फैलता है और ब्लड वापस से अपने जगह पर आ जाता है।

सामान्य तौर पर ब्लड प्रेशर 120/80,इसका मतलब होता है की ब्लड जाने का प्रेशर 120(सिस्टोलिक)और ब्लड आने का प्रेशर 80(डेस्टोलिक) है।अगर ये प्रेशर बढ़ता तो भी समस्या उत्पन्न होती है,और यदि ये प्रेशर कम होता है तो भी 

ब्लड प्रेशर नापने के लिए रक्तचाप मापी (स्फिगनो मीटर) का प्रयोग करते है। जो हमारे सिस्टोलिक और डेस्टोलिक प्रेशर की माप करके हमे पता चलता है की हमारा ब्लड प्रेशर हाई है या लो ब्लड प्रेशर।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार

हाई ब्लड प्रेशर

ऐसी स्थिति जिसमें धमनी की दीवारों के विरुद्ध रक्त का बल बहुत अधिक होता है। अर्थात जिस नालियों से ब्लड हमारे शरीर में जाता है उन नालियों की दीवारों पर अधिक प्रेशर लगता है और कभी कभी इतना ज्यादा बढ़ जाता जिससे नसे फटने का खतरा हो जाता है।

 आमतौर पर उच्च रक्तचाप को 140/90 से ऊपर रक्तचाप के रूप में परिभाषित किया जाता है, और यदि दबाव 180/120 से ऊपर है तो इसे गंभीर माना जाता है।

 

उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन चार अलग-अलग चरणों में श्रेणियां हैं:

(चरण– 1) प्री-हाइपरटेंशन: इसमें ब्लड का प्रेशर 120/80 से 139/89 के रेंज होता है।

(चरण– 2) माइल्ड हाइपरटेंशन: इसमें ब्लड का प्रेशर 140/90 से 159/99 की रेंज में होता है।

(चरण– 3)मध्यम उच्च रक्तचाप: इसमें ब्लड का प्रेशर 160/110 से 179/109 है।

(चरण– 4)गंभीर उच्च रक्तचाप: जिसमें ब्लड का प्रेशर 180/110 या उससे भी अधिक हो जाता है

ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण

.जोखिम

.धूम्रपान

.मोटापा

.तनाव(स्ट्रेस)

.कम या ज्यादा शारीरिक गतिविधि

.नमक और शराब का अधिक सेवन

.अवैध पदार्थों का प्रयोग

.आनुवंशिकी

.स्लीप एपनिया जैसी चिकित्सीय स्थिति

.किडनी की पुरानी बीमारी

.शारीरिक बदलाव

.किडनी से संबंधित समस्याएं

ब्लड प्रेशर बढ़ने के लक्षण

जैसा कि ऊपर बताया गया है, आमतौर पर हाई बीपी की वजह से कोई लक्षण नजर नही आते हैं, इसलिए हाई बीपी और इसकी जटिलताओं से बचने के लिए रक्तचाप के स्तर की नियमित रूप से जांच कराना महत्वपूर्ण होता है।

हालांकि ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाने पर कुछ लोगों को निम्न लक्षण हो सकते हैं।

.नाक से खून बहना

.सिर दर्द

.सांस लेने में दिक्कत

.चक्कर आना

.सीने में दर्द

.मूत्र में खून आना

हाई ब्लड प्रेशर से होने वाली बिमारिया–

.हार्ट अटैक

.हार्ट फेलियर

.छाती में दर्द

.स्ट्रोक

.पागलपन

.क्रोनिक किडनी डिजीज 

हाई ब्लड प्रेसर को ठीक करने के लिए आसन

शवासन

शव का अर्थ होता है मृत अर्थात अपने शरीर को शव के समान बना लेने के कारण ही इस आसन को शवासन कहा जाता है। इस आसन का उपयोग प्रायः योगसत्र को समाप्त करने के लिए किया जाता है। यह एक शिथिल करने वाला आसन है और शरीर, मन और आत्मा को नवस्फूर्ति प्रदान करता है। ध्यान लगाने के लिए इसका सुझाव नहीं दिया जाता क्योंकि इससे नींद आ सकती है।यह सबसे आसान आसन है।इसे कोई भी कर सकता है,बच्चे नवयुवक बूढ़े कोई भी इसे कर सकता है।

फायदे:

यह आसन तनाव को दूर करता है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मनोविकार, दिल की बीमारी वगैरह में भी इस योगासन से लाभ होता है। इस योगासन से शरीर की थकान भी दूर होती है और मन को शांति मिलती है। शवासन करने से याददाश्त, एकाग्रशक्ति भी बढ़ती है।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार

सुखासन

आलती पालती मारकर बैठ जाएं और अपने रीढ़ की हड्डी को सीधा करके अपने हाथो को अपने घुटनो पर तपस्वी की मुद्रा में रख लें और सामान्य रूप से सांस लें।

सावधानी:

गर आपको घुटने में चोट है तो इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए। अगर आप गर्भवती हैं, तो इस मुद्रा या किसी अन्य योग मुद्रा को करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह ले।

फायदे:

शरीर में ब्लडसर्कुलेशन बेहतर होता है

हृदय से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा कम हो जाता है.

ये आसन तनाव कम करने में मदद कर सकता है।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार

भुजंगासन

भुजंगासन को हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए।

पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और हाथो को जमीन पर रखकर आसमान की तरफ गर्दन और चेहरा उठाएं और साथ में अपने पैर के टखने मिलते हुई होने चाहिए।

शरीर के वजन को हथेलियों पर डाल दे और कोहनी मुड़ी हुई और सिर पीठ की ओर जाता हुआकंधे कान से दूर होने चाहिए। और शरीर तना हुआ होना चाहिए।ऐसा 15 से 20 सेकंड करके अपने शरीर को आराम दें और बाद ने दुबारा करें। ऐसा आप 5 से 6 बार कर सकते है।

सावधानी;

पीठ में चोट 

कार्पल टनल सिंड्रोम 

सिरदर्द (Headaches)

पेट के निचले हिस्से में सर्जरी

हरनिया 

फायदे:

फेंफड़ों की शुद्धि के लिए भुजंगासन किया जाता है।

सोने की समस्या और ख़ून की खराबी की भी भुजंगासन सही कर सकता है

पित्ताशय मजबूत होता है और पाचन क्रिया में फायदा मिलता है।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार

बालासन

चाइल्ड पोज़ या बालासन बहुत ही आरामदायक मुद्रा है। यह पेट में तंत्रिका तनाव को शांत करता है, जो चिंता के परिणामस्वरूप होता है। यह मन के विचारों को शांत करने में मदद करता है।

विधि: अपने घुटनों पर बैठें। अपने कूल्हों को एड़ी पर टिकाएं और सिर को नीचे लाते हुए चटाई पर ले जाएं। अपने हाथों को साइड पर आराम करने दें। यदि आपको सिर को नीचे लाना मुश्किल है, तो एक बोल्स्टर का उपयोग करें, इसे पैरों के बीच रखें और उस पर अपने धड़ को आराम दें।बालासन का अभ्यास 1 से 3 मिनट तक किया जाना चाहिए। इसे करने में किसी किस्म के दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है। बालासन से हिप्स, जांघों और टखने में खिंचाव पैदा होता है। जबकि ये कमर, गर्दन और कंधों को मजबूत बनाने में मदद करता है।

फायदे :

यह आसन तनाव को दूर करता है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मनोविकार, दिल की बीमारी वगैरह में भी इस योगासन से लाभ होता है। इस योगासन से शरीर की थकान भी दूर होती है और मन को शांति मिलती है। शवासन करने से याददाश्त, एकाग्रशक्ति भी बढ़ती है।


हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार

सेतुबंधासन

पीठ के बल सीधे लेटकर आसन की शुरुआत करें।

घुटनों और कोहनियों को मोड़ें।पैरों को फर्श पर कूल्हों के पास और अपने हाथों को सिर के दोनों तरफ मजबूती से रखें।दोनों हाथों और पैरों को जमीन पर सहारा देते हुए धीरे-धीरे अपने शरीर को हवा में उठाने की कोशिश करें। देखें कि इस समय आपका शरीर ब्रिज के समान बन जाएगा।इसी मुद्रा में 20-30 सेकंड के लिए रहें। अब धीरे-धीरे शरीर को पहले जैसी मुद्रा में वापस लाएं।

फायदे-:

यह आसन न केवल ब्लड प्रेशर को प्रभावी ढंग से कम करता है, बल्कि गठिया के दर्द से राहत दिलाने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए बेहतर है।


हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार



विपरीत करनी आसन

आप योगा मैट को दीवार के किनारें बिछा के अपने दोनों पैरों को दीवार की ओर करके सीधे लेट जाएं।अब अपने दोनों पैरों को ऊपर उठा के दीवार पर टिका लें। अब दोनों पैरों को दीवार के सहारे सीधा कर लें और अपनी कमर पर 90 डिग्री का कोण बनायें। आप चाहें तो अपनी सुविधा के लिए हिप्स के नीचे किसी तकिया को रख सकते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण और उपचार

सावधानी:

 इस आसन को महिलाएं मासिक धर्म के दौरान ना करें।

 अगर आपको मोतियाबिंद जैसी गंभीर समस्या है तो इस आसन से बचें।

 यदि आपको पीठ दर्द की समस्या है तो अपनी 

कूल्हे या घुटने की चोट वाले व्यक्ति को इस आसन को करने से बचना चाहिए।

फायदे:

विपरीत करनी आसन को करने के लिए आपको अपनी सांस को नियंत्रित रखना पड़ता है, जो श्वसन संबंधी समस्याओं को ठीक करता है। यह आसन आंखों और कानों की समस्याओं में सुधार करता है। यह आसन रक्त के प्रवाह को भी नियंत्रित करता है।


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