कुछ ही दिनों बाद गर्मिया शुरू होने वाली है,ऐसे में गर्मियों के साथ साथ हमे कई बीमारियो का भी खतरा बढ़ जाता है।ऐसे में इस मौसम में जरा सी लापरवाही आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। वैसे बात करे तो हर मौसम में कोई न कोई बिमारिया होती रहती है,फिर चाहे ठंडी हो,या बरसात का मौसम या फिर गर्मी बीमारी का खतरा हर मौसम में में बना रहता है जैसे ठंडी में कोल्ड, कफ, फ्लू आदि। बरसात में डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियो के होने का खतरा रहता है। वैसे ही गर्मी में डायरिया, फूड पॉयजनिंग आदि होने की संभावना बहुत अधिक रहती है. तेज धूप और पसीने की वजह से हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन आदि से भी लोग बीमार हो सकते हैं,इसलिए हमे गर्मी आने से पहले ही सावधान हो जाना चाहिए ,जिससे हम आने वाली बीमारी से सावधान रहे क्योंकि बीमारी हमारे शरीर को ही नही बल्कि हमारे आर्थिक स्थिति को भी कमजोर करती है,बार बार बीमार पड़ने पर आप डॉक्टर्स के पास जाते हो और आप सभी को पता है की डॉक्टर्स के पास जाने पर आप के पॉकेट के पैसे जो आपने किसी काम के लिए बचा कर रखे थे ,वो सब खर्च हो जाता है,ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ती है,आप ठीक होने बाद भी कुछ दिन कमजोरी सी महसूस होती है।जो व्यक्ति बीमार है वो तो परेशान है ही ,साथ में पूरा परिवार परेशान हो जाता है,तो इस परेशानी से बचाने के लिए चलिए हम आपको गर्मियों में होने वाले उन बीमारियो के बारे में बात करते है।
गर्मियों में होने वाली बिमारिया (summer sickness in Hindi):
1 लू लगना (heat stroke)
गर्मियों के मौसम में गर्म हवाएं चलती है,इन गर्म हवाओं को लू कहते है।इस तरह की हवाएं अप्रैल से जून तक चलती है,और लू लगने का खतरा अधिकतर दोपहर में अत्यधिक बढ़ जाता है।अगर आप लंबे समय तक धूप में रहते हो तो आप को लू लगने का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण
- सिर में तेज दर्द
- तेज बुखार
- उल्टी, तेज सांस लेना,चक्कर आना
- कमजोरी महसूस होना या बेहोश हो जाना
- यूरिन कम पास होना
क्या करे
- लू से बचने के लिए कभी भी खाली पेट बाहर ना निकलें।
- हाइड्रेट रहें और जहां तक हो सके खुद को ढक कर ही धूप में जाएं।
- दोपहर 11 बजे से 4 बजे तक बाहर जाने से बचे।बहुत जरूरी काम होने पर ही निकले।
टाइफाइड एक गंभीर बीमारी है, यह (साल्मोनेला एन्टेरिका सेरोटाइप टाइफी )बैक्टीरिया से होता है।
टाइफाइड दूषित पानी या जूस आदि पीने से होता है. आमतौर पर जब संक्रमित बैक्टीरिया पानी के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है तब टायफाइड से संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है
टाइफाइड होने के लक्षण
- टायफाइड में तेज बुखार(103º - 104ºF)
- भूख ना लगना
- पेट में तेज दर्द होना,
- कमजोरी महसूस
- पीली-चमड़ी वाले लोगों में सपाट गुलाबी धब्बों के साथ दाने।
क्या करे
- बैक्टीरिया को दूर रखने के लिए लगातार हाथ धोना
- अपने सभी घरेलू सामान को अच्छी तरह से साफ और सैनिटाइज़ करके रखें।
- अगर आप बाहर कही भी सफर कर रहे हो तो बोतलबंद पानी खरीदें।
- उन फलों और सब्जियों का उपयोग करे जिसे छिला जा सके
- ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जो अच्छी तरह से पके हों और जो अभी भी गर्म और भाप से भरे हों।
फूड पॉइजनिंग (food poisoning in Hindi):
यह बीमारी गर्मियों में होने वाली सबसे कॉमन बीमारी होती है।यह बीमारी हमारे शरीर में बैक्टीरिया, वायरस या अन्य जीवाणु हमारे खाने के साथ पेट में चले जाते हैं जिसकी वजह से फूड पाइजनिंग जैसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है।
लक्षण
- पेट मरोड़ के साथ दर्द, जी मिचलाना,डायरिया
- दस्त, बुखार
- शरीर में दर्द
क्या करे
- इस मौसम में रोड किनारे का खाना या बाहर के खाने से बचे।
- खुले में बिक रहा खाना, ठंडा खाना, बासी खाना से बचना बहुत जरूरी है.
- घर पर भी बहुत ज्यादा मसालेदार सब्जियां न खाए,पानी का सेवन जितना करेंगे उतना ही आपके लिए फायदेमंद रहेगा
- कच्चे आम का जलजीरा बनाकर पिए।
चिकन पॉक्स (chicken pox in Hindi):
चिकन पॉक्स होने का कारण होता है( वरिसेल्ला ज़ोस्टर )नाम का विषाणु इस बीमारी में पूरे शरीर में छोटे या फिर बड़े दाने निकल आते है,इसमें रोगी को बुखार और जुकाम के लक्षण भी हो सकते है।जिन लोगों की इम्यूनिटी कम होती है उन्हें आसानी से यह बीमारी अपने चंगुल में ले सकता है।
लक्षण
- शरीर मैं दर्द
- गले में खरास
- खांसी
- थकान
- बुखार
- चेचक होने पर शरीर में डिहाईड्रेशन होता है इसलिए ज़रूरी है कि बीमार व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाते रहें। पानी को उबाल कर ठंडा कर सेवन किया करे
- ज्यादा तेल औऱ मसाले वाला खाना ना खिलाएं। खाने में बिना मसाले की मूंग की दाल,दलिया या खिचड़ी देना बेहतर होता है
- नीम की पत्तियों का इस्तेमाल करे,नीम की पत्तियों को रोगी के बिस्तर पर और गरम पानी में नीम की पत्तियां डालकर नहाने से भी काफी आराम मिलेगा।
- पीड़ित व्यक्ति हाथों में सूती या किचन में इस्तेमाल होने वाले दस्ताने पहने रहे।खासकर रात को सोते समय इस टिप को ज़रूर आज़माएं।
- कैलामाइन लोशन खुजली लगाएं।ये खुजली को कम करने में मदद कर सकता है।
खसरा (Measles)
यह मीजल्स वायरस के कारण होता है।खसरा एक अत्यधिक वायरल बीमारी है जो तेजी से फैल सकती है, यह संक्रमित व्यक्ति के खाँसने , छींकने से उनकी सांस की बूंदों के माध्यम से फैलता है। यह श्वसन पथ और फिर शरीर के बाकी हिस्सों को संक्रमित करता है ।
लक्षण
- इसमें तेज बुखार
- लाल चकत्ते
- खांसी, बहती नाक
- आंखें लाल और पानी वाली आंखें।
- संतरे, और अंगूर जैसे विटामिन C से भरपूर खाद्य पदार्थ का उपयोग करे
- पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां, आदि ।
- चिकना भोजन, वसा और परिष्कृत वस्तुओं से युक्त भोजन से परहेज करें।
- कॉफी और कोल्डड्रिंक जैसे कैफीन युक्त और मीठे पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना।
पीलिया(Jaundice):
गर्मियों में पीलिया बीमारी का खतरा बहुत तेजी से बढ़ जाता है।
यह लिवर की बीमारी है।जॉन्डिस या पीलिया एक बीमारी है जो शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने के कारण होती है। बिलीरुबिन का निर्माण लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने के कारण ऊतकों और खून में होता है।
लक्षण
- थकान रहना,पेट में दर्द,वजन घटना
- उल्टी और जी मिचलाना,बुखार,भूख न लगना
- कमजोरी महसूस होना,शरीर में खुजली होना
- नींद न आना
- फ्लू जैसे लक्षण
- ठंड लगना
- गहरे रंग का पेशाब,धूसर या पीले रंग का मल
- त्वचा के रंग में बदलाव
क्या करे
- डाइट में दूध शामिल करें और नियमत दूध पिएं।
- ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करे
- हाई फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
- सुरक्षित और स्वस्थ भोजन व साफ पानी का सेवन करें।
- संक्रमण के दौरान वसायुक्त और तेल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने के लिए तरल पदार्थों का सेवन करें।
- कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के साथ पाचन को बेहतर बनाने वाले फलों को डाइट में शामिल करें।
- अधिक शराब न पिएं। नशीले पदार्थों का सेवन ना करें।
स्किन पर घमौरी या रैशेज होना:
घमौरी हमारे शरीर में ज्यादा तापमान बढ़ने से निकलती है।इन घमोरियो से जलन और चुभन भी महसूस होती है।घमौरियां तब होती हैं, जब आपकी कुछ पसीने वाली नलिकाएं अवरुद्ध हो जाती हैं। पसीना भाप बनने के बजाय, त्वचा के नीचे फंस जाता है, जिससे सूजन और दाने होते हैं।
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