मां बनना हर औरत का सपना होता है, ऐसे में जव वो गर्भवती होती है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है।प्रेगनेंसी के ये नौ महीने हर मां के लिए बहुत ही खास होता है।हर गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के पहले महीने से डिलीवरी का डर सताने लगता है। खासकर उन महिलाओ को जो पहली बार मां बनने वाली होती है।क्योंकि उनके लिए सब कुछ नया होता है ।अगर आप गांव में या फिर फैमिली के साथ रहती है तो ऐसे में आप अपनी समस्याओं के बारे में अपने मां या सांस से पूछ लेती है लेकीन वो महिलाएं जो घर के बाहर अकेले अपने पति के साथ या फिर अकेले रहती है ,उन्हे बताने वाला कोई नहीं होता है,वो अपनी समस्याओं को यूट्यूब या फिर गूगल पर सर्च करती है की उनकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या फिर सी सेक्शन से होगी।
तो चलिए आज इस लेख में हम गर्भवती महिलाओ की नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण और उन सभी महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे जो एक गर्भवती महिलाओं को जानना जरूरी है।
डिलीवरी के प्रकार (Delivery Types in Hindi):
सामान्यतः डिलीवरी दो प्रकार से की जाती है ।
1. नॉर्मल डिलीवरी:
नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा वर्जिनिया के रास्ते से बाहर निकाला जाता है।इसमें किसी प्रकार के ऑपरेशन को जरूरत नहीं होती है।लेकिन अगर आपका वर्जिनिया का आकार छोटा है तो ऐसे में डॉक्टर डिलीवरी के समय थोड़ा सा चीरा लगाते है,जिससे बच्चा आसानी से निकल आता है।
नॉर्मल डिलीवरी में बहुत ज्यादा दर्द होता है।लेकिन नॉर्मल डिलीवरी में महिला एक महीने के अंदर रिकवर हो जाती है
2. सिजेरियन डिलीवरी:
सिजेरियन डिलीवरी को ही सी –सेक्शन डिलीवरी कहते है।जब महिला नॉर्मल डिलीवरी कराने के कंडीशन में नही होती है,या फिर डिलीवरी के दौरान कोई प्राब्लम हो जाती है,तो ऐसे में डॉक्टर को सी सेक्शन का सहारा लेना पड़ता है।सी सेक्शन में डॉक्टर पेट को कटकर और गर्भाशय में चीरा लगाकर बच्चे को बाहर निकाल लेते है फिर उसे टांके लगाकर बंद कर देते है।जो कुछ दिनो में अपने आप ही घुल जाता है।
सी–सेक्शन के कारण:
- जब बच्चा पेट में उल्टा या तिरछा हो जाता है।
- बच्चे के गले में नाली फस जाने पर
- बच्चे के दिल की धड़कन असामान्य होने पर
- अगर बच्चा पेट में पॉटी कर देने पर
- मां के पेट में जुड़वा बच्चे होने पर
- मां की मेडिकल रिपोर्ट सामान्य न होने पर जैसे की ब्लड प्रेशर शुगर,थायराइड,अस्थमा आदि।
- मां को लेबर पेन न होने पर
- अगर बच्चा सातवे या आठवें महीने में होने पर
- बच्चे को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ना मिलने पर।
सी सेक्शन के नुकसान
हालाकि नॉर्मल डिलीवरी में दर्द बहुत होता है लेकिन ये सी सेक्शन की तुलना में ज्यादा बेहतर माना जाता है।जैसे की
- मां को रिकवर होने में समय लगता है
- मां को उठने बैठने में परेशानी होती है।
- मां अपने बच्चे को दूध पिलाने में परेशानी महसूस करती है।
- महिलाओ में खून की कमी हो जाती है।
- अगर आपका पहला बच्चा सी सेक्शन से हुआ हो तो दूसरे बच्चे की सी सेक्शन डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
- सी सेक्शन डिलीवरी का खर्चा नॉर्मल डिलीवरी से महंगा पड़ता है।
- सी सेक्शन डिलीवरी में महिला को छ महीने तक वजन समान को उठाने की मनाही होती है।
- सी सेक्शन डिलीवरी में महिला को बहुत ही अलका भोजन करना पड़ता है।
नॉर्मल डिलीवरी कराने के उपाय:
नॉर्मल डिलीवरी कराने के लिए महिला को प्रेगनेंसी के शुरूवाती महीने से ही अपनी देखभाल और कुछ साधारण से टिप्स अपनाकर नॉर्मल डिलीवरी करा सकती है।
1.सही खान– पान:
अगर आप एक प्रेग्नेंट वुमन है ,और आप अपना नॉर्मल डिलीवरी चाहती है तो ऐसे में आप अपने खाने पीने की चीजों पर विशेष ध्यान दे।
- हरी सब्जियों(पालक,खीरा,मेथी, राई गाजर,लौकी,भिंडी आदि)सब्जियों को सेवन करे
- फलों का सेवन (सेब,अनार,केला,अंगूर आदि) का सेवन करे।
- आप तूर की दाल में थोड़ा सा देसी घी डालकर रोज पिए,ये आपके नॉर्मल डिलीवरी में मदद करेगा।
2.खूब पानी पिएं:
अगर आप प्रेग्नेंट है तो ऐसे में खूब सारा पानी पिए ये आपको और आपके बच्चे दोनो के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिला को उल्टी,मतली होने की संभावना बढ़ जाती है।जिससे महिला का शरीर dehydrate हो सकता है।ऐसे में पानी आपके शरीर को हाइड्रेट रखने में सहायक होता है
*आप नारियल पानी भी पी सकते है।
*आप संतरे,अंगूर अनार आदि का जूस भी पी सकते है।
3.मॉर्निंग वॉक करें:
अगर आप गर्भवती महिला है तो ऐसे में आप अगर मॉर्निंग वॉक करती है,तो ये आपकी नॉर्मल डिलीवरी कराने में मदद कर सकता है।
आप खाने के बाद भी दस से पंद्रह मिनट तक वॉक करे।रात में सोने से पहले या खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहल सकती है।
4.अध्यात्मिक चीजों से जुड़े:
जी हा! अगर आप अपना नॉर्मल डिलीवरी चाहती है,तो ऐसे में आप अध्यात्म से जुड़े,आध्यात्मिक किताबे पढ़े,आध्यात्मिक वीडियो देखे,प्रवचन सुने,सुबह थोड़ी देर तक मेडिटेशन करे,ये सब चीजे आपके दिमाग को स्थिर और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने में मदद करेंगी।जो एक गर्भवती महिला और उसके बच्चे दोनो के लिए बहुत आवश्यक होता है।
5. पर्याप्त नींद ले:
अगर आप एक गर्भवती महिला है,तो ऐसे में आपको कम से कम सात से आठ घंटे तक जरूर सोना चाहिए।ये आपके लिए तथा आपके बच्चे दोनो के लिए लाभकारी होगा।पर्याप्त मात्रा में ना सोने से आपको कई सारी दिक्कतो का सामना करना पड़ सकता है,जैसे सिर दर्द,ब्लड प्रेसर,अत्यधिक क्रोध आना ।
6. परिवार के साथ रहे:
अगर आप गर्भवती महिला है ,तो ऐसे में परिवार का साथ बहुत ही जरूरी होता है ।क्योंकि परिवार के साथ रहने से आपको भावात्मक रूप से सहारा मिलता है,साथ ही अगर आपको कोई भी परेशानी होती है तो ऐसे में परिवार का साथ मिलता है।उनसे बात करने से आपका मन हल्का होता है।आप खुद को तनाव मुक्त महसूस करते है।अगर आप अकेले रहती है तो ऐसे में एक दाई को रख लेना चाहिए,जो आपका ध्यान रख सके।
7. योग और मेडिटेशन करे:
प्रेगनेंसी में अधिकतर महिलाएं योग करने से डरती है।लेकिन मैं आपको बता दू अगर आप प्रेगनेंसी में डेली योग करती है तो ये आपकी नॉर्मल डिलीवरी कराने में मदद प्रदान कर सकता है।आप योग में हल्के आसन को करे,मेडिटेशन करे,ये आपके साथ आपके बच्चे के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
*आप रात में सोते वक्त मेडिटेशन सॉन्ग सुन सकती है।
8. शराब–सिगरेट के सेवन से बचे:
अगर आप प्रेग्नेंट महिला है,और आप शराब और सिगरेट का सेवन करती है,तो ये आपके साथ ही आपके बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।क्योंकि सिगरेट में मौजूद विषैले पदार्थ आपके बच्चे के विकाश में अवरोध पैदा कर सकते हैं या फिर आपका गर्भपात भी हो सकता है।
9. वजन पर ध्यान दे
प्रेगनेंसी में वजन बढ़ाना आम बात है,लेकिन जब ये वजन अत्यधि मात्रा में बढ़ने लगे तो ऐसे में सावधान होने की जरूरत है।
क्योंकि आपका बढ़ता वजन आपको कई सारी बीमारियो से ग्रसित कर सकता है,जिसके कारण से आपकी नॉर्मल डिलीवरी होने में परेशानी हो सकती है।ऐसे में आप बहुत ज्यादा मीठा,मसाला,फास्ट फूड खाने से बचे।
10. शांत करने वाले गीत सुने:
अगर आप प्रेगेंट है तो ऐसे में आप को एक दम शांत करने वाले गीत सुनने चाहिए।ये आप के साथ आपके बच्चे के लिए फायदेमंद होता है , अगर आप बहुत ज्यादा हाई वॉल्यूम वाले गाने सुनते है तो इससे बच्चा डर जाता है,उसकी हार्ट रेट तेज चलने लगती है,ऐसे में बच्चे को खतरा बढ़ सकता है।
11. डायरी में लिखे:
अगर आप प्रेग्नेंट है तो ऐसे में आप अपने है एहसास को एक डायरी में लिखेपने बच्चे के बारे में,अपने डेली लाइफ के बारे में,ये सब रात में सोने से पहले लिखे,आपके साथ जो अच्छी घटना घटित हुई हो,उसे आप डेयरी में जरूर लिखे।क्योंकि ये पल दुबारा नहीं आएगा।
12. डॉक्टर से परामर्श ले:
अगर आप प्रेग्नेंट वुमन है तो ऐसे में आपको डॉक्टर से हमेशा संपर्क में रहना चाहिए।आप एक ऐसे डॉक्टर के संपर्क में रहे जो आपको प्रेगनेंसी के पहले महीने से लेकर डिलीवरी तक आपको गाइड करे।
- समय समय पर अल्ट्रासाउंड कराए।
- डॉक्टर के परामर्श के अनुसार अपना हेल्थ चेकअप कराए।
- प्रेगनेंसी के दौरान आपको जो भी परेशानी हो अपने डॉक्टर से खुलकर बताए।कोई भी बात छिपाए नही।
नॉर्मल डिलीवरी के लिए योग:
नॉर्मल डिलीवरी के लिए योग बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
प्रेगनेंसी के शुरूवाती महीने से लेकर डिलीवरी तक अगर आप कुछ आसान से प्राणायाम करती है तो ये आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। यहां पर मैं कुछ आसान से प्राणायाम के बारे में बात करूंगी जो आपके लिए लाभकारी और आसान रहेगा।
1.अनुलोम विलोम प्राणायाम:
- इस प्राणायाम को करने के लिए आप शांत और हवादार माहौल में जाए।
- योग मैट पर पद्मासन या सुखासन में एक दम सीधे बैठ जाएं।
- अब अपने बाए हांथ की तर्जनी अंगुली से अपने बाए नाक के छिद्र को बंद कर ले।
- और दाए नाक के छिद्र से धीरे धीरे सांस अंदर की और ले।
- सांस अंदर लेने के बाद थोड़ी देर सांस को रोक कर रखे।
- अब अपने दाए नाक को बंद कर ले और बाए नाक के छिद्र को छोड़ दे।
- अब धीरे धीरे अपने सांसो को बाए नाक से बाहर की और छोड़े।
- ऐसा आप 15 से 20 मिनट तक कर सकते है।
- *इस प्राणायाम को प्रेगनेंसी के पहले महीने से और प्रेगनेंसी के अंतिम महीने तक कर सकते है।
- इस प्राणायाम को करने से आपका ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहेगा।
- आपको नींद अच्छी आएगी
- आप तनाव मुक्त महसूस करेंगे
- आपके बच्चे का ऑक्सीजन लेवल अच्छा रहेगा।
शवासन:
ये प्राणायाम बहुत ही आसन प्राणायाम में से एक है,जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत हो रहा है की इसमें शव की तरह लेटे रहना है।
- इस प्राणायाम को करने के लिए आप शांत और हवादार माहौल में जाए।
- अपने योग मैट पर बैठे और आराम से लेट जाए।और अपनी आंखो को बंद कर ले।
- इस आसन को आप प्रेगनेंसी के पहले महीने से लेकर डिलीवरी तक कर सकते है।
- इस आसन में आप अपनी इच्छानुसार कितने ही मिनट में रह सकती है।
- इस आसन में आपको नींद भी आ सकती है।
फायदे:
* इस प्राणायाम को करने से आपका ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहेगा
*आप दुखी और उदास नहीं रहेंगे।
*आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी
*आप खुद को हल्का महसूस करेंगे
बटरफ्लाई(तितली आसन):
यह आसन प्रेग्नेंट महिला की नॉर्मल डिलीवरी कराने में बहुत ही सहायक सिद्ध होता है।
.इसे आसन बद्धकोण आसन के समान ही होता है।
विधि:
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले एक शांत और हवादार माहौल में जाए।
- योग मैट पर पद्मासन या सुखासन में बैठें।
- अब अपने दोनो पैरो को तलवे को मिलाए।
- अपने हाथो की अंगुलियों से दोनो पैरो के अंगूठे को एक साथ पकड़े।और एक दम सीधा बैठे ।
- अब अपने जांघों को तितली की पंख की तरह उपर नीचे करे।
- इस प्राणायाम को शुरुवात में दो से तीन मिनट करे
- इस प्राणायाम को प्रेगनेंसी के आठवें महीने से शुरू कर देना चाहिए।
फायदे:
* यह आपके पेट और एब्डोमेन में होने वाले दर्द हो मिटाता है.
* आपके हिप्स, थाइस और पेल्विक एरिया की एक्सरसाइज हो जाती है, जिससे डिलीवरी आसानी से हो जाती है।
मलआसन:
जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है मल+आसन,यानी की जैसे हम माल त्यागते हुए बैठते है वैसी अवस्था में बैठना।
- इस आसन को करने के लिए आप एक दम शांत माहौल में जाए।
- अब योग मैट पर जैसे आप शौच के लिए बैठती है वैसे बैठ जाए। अगर आपको ऐसे बैठने में समस्या हो रही है तो ऐसे में तकिए का इस्तेमाल करे।
- अब अपने दोनो हाथो से नमस्कार की मुद्रा बनाए।
- ध्यान रहे आपके कोहनी से घुटने संपर्क में रहना चाहिए।
- अब गहरी सांस अंदर ले और बाहर छोड़े।
- ऐसा आप शुरुवात में दो से तीन मिनट तक कर सकते है।
- इस प्राणायाम को आप सातवे महीने से स्टार्ट कर सकती है।
फायदे:
इस प्राणआयाम को करने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
*प्रेगनेंसी में महिलाओ के होने वाले पैर दर्द,कमर दर्द में आराम मिलता है।
*इस आसन का नियमित अभ्यास करने से पेल्विक फ्लोर की मसल्स को मजबूती मिलती हैं, जिससे महिला की डिलीवरी अधिक आसान होती है।
*डिलेवरी के वक्त दर्द कम होता है
डिलीवरी होने के लक्षण:
अब आइए इस टॉपिक की सबसे महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में बात करते है।
जैसे ही नौवा महीना लगता है हर गर्भवती महिला को पेट दर्द और कमर दर्द की तकलीफ बढ़ने लगती है ऐसे में कैसे पता करे की डिलीवरी पेन है या फाल्स पेन है।
किसी भी महिला के लिए यह नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें कब लेबर पेन शुरू होगा। हालांकि, आपको यह समझना चाहिए लेबर पेन अचानक से शुरू नहीं होता है बल्कि इससे कुछ घंटे पहले से ही शुरुआती संकेत मिलने शुरू हो जाते हैं।
1.बार–बार पेशाब आना:
अगर आप एक गर्भवती महिला है और आपका नौवा महीना शुरू हो गया है तो ऐसे में अगर आप को बार पेशाब आ रहा है तो इसका मतलब आपकी डिलीवरी एक हफ्ते के अंदर हो सकती है।
क्योंकि जब डिलीवरी की डेट समीप आती है तो ऐसे में बच्चे को सिर योनि के पास आ जाता है।
जिसके कारण से आपको अपने पेट के ऊपर साइड में हल्का और पेट के नीचे ज्यादा वजन महसूस हो सकता है।
2.लूज मोशन स्टार्ट होना:
अधिकतर देखा गया है की कई महिलाओ को डिलीवरी डेट पास आने पर उन्हे लूज मोशन स्टार्ट हो जाता है,बार–बार वो शौच के लिए जाति है।ऐसे में वो लेबर पेन के दर्द को नहीं समझ पाती हैं।
अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो आप समझ जाइए की आप की डिलीवरी हफ्ते के अंदर कभी भी हो सकता है।
3.म्यूकस प्लग का निकलना:
अगर प्रेगनेंट महिला है और ऐसे में आपका नौवा महिला चल रहा है,तो ऐसे में डिलीवरी के कुछ घंट पहले या एक हफ्ते पहले आपका म्यूकस प्लग निकलना शुरू हो सकता है।क्योंकि
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय ग्रीवा में म्यूकस प्लग बनता है। यह एक मोटा चिपचिपा प्लग होता है जो गर्भाशय ग्रीवा में नमी बनाए रखने और उसे बैक्टीरिया से बचाने के लिए बनता है। डिलीवरी डेट आने पर गर्भाशय ग्रीवा चौड़ी होनी शुरू हो जाती है।
जिसके कारण से म्यूकस प्लग ढीला होने लगता है और अपने आप निकल जाता है। यह बेरंग, भूरा, गुलाबी या हल्के से खून के धब्बे जैसा हो सकता है। कई महिलाओ को म्यूकस प्लग निकलने के कुछ घंटे बाद ही या हफ्ते के अंदर ही डिलीवरी हो सकती है।
4.पानी की थैली का फटना:
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में पलने वाला बच्चा एमनिओटिक फ्लूइड की एक थैली से ढका होता है। यह शिशु को सुरक्षित रखने में मदद करती है। लेबर पेन की शुरुआत में किसी–किसी महिला की यह थैली फट जाती है और इसका बेरंग दिखने वाला पानी बाहर आ जाता है।पानी थैली फटने पर जरा भी लापरवाही ने करे क्योंकि पानी की थैली फटने से बच्चे को खतरा हो सकता है। पानी की थैली फटने के तुरंत बाद आपको हॉस्पिटल चले जाना चाहिए।
5.कमर दर्द तेज होना:
प्रेगनेंसी के दौरान कमर में दर्द हर महिला को हो सकता है,ऐसे में अगर आपका नौवा महीना चल रहा है तो लेबर पेन के शुरुवात में आपके कमर में दर्द हो सकता है
ये दर्द कमर दर्द से शुरू होकर पेट की तरफ आकर फिर बंद हो सकता है।दर्द के दौरान आपका पेट भी कड़ा हो सकता है।ये दर्द पुनः आधे घंटे बाद पुनः आकर चला जायेगा। हर बार दर्द तेज होता चला जायेगा और समय भी काम होता चला जायेगा।
अगर ऐसा आपको महसूस हो रहा है,तो आपकी delivery 24 घंटे के अंदर हो सकती है।
नोट:
*अगर आपको लगता है की डिलीवरी पेन शुरू हो गया है तो ऐसे में आप सीढ़ी पर उपर नीचे चढ़ सकती है।इससे आपकी डिलीवरी जल्दी होगी।
*आप गर्म चीजे खाए,चाय में हल्का सा देसी घी मिलाकर पी ले।
*जब दर्द बहुत तेज हो जाए तो ऐसे में दर्द आने पर अपना बच्चे को पेट के सहारे नीचे की और धक्का दे।ध्यान रहे जब दर्द तेज होने पर ये कार्य करे
*दर्द तेज होने पर आप मालासन में बैठे जिससे आपकी डिलीवरी जल्द हो सके।बैठने में दिक्कत हो तो किसी का सहारा ले।
*जब भी डिलीवरी पेन आए तो ऐसे में आप चिल्लाए नही बल्कि अपनी ऊर्जा को बचा कर रखे।
*बहुत ज्यादा घबराए नहीं अपने आने वाले बेबी के बारे में सोचे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न: पहले आसन करना चाहिए या प्राणायाम?
उत्तर: योगाभ्यास में योग क्रम से किया जाता है,अक्सर लोगो का यही सवाल रहता है की पहले आसन करना चाहिए या फिर प्राणायाम।
पहले हमे आसन करना चाहिए,उसके बाद प्राणायाम,फिर उसके बाद ध्यान करना चाहिए।
प्रश्न: बच्चे के जन्म के समय महिला को कितना दर्द होता है?
उत्तर: बच्चे के जन्म के समय एक महिला को ऐसा कहा जाता है,जैसे बीस हड्डियां एक साथ टूट गई हो इतना दर्द होता है।
एक सोध के अनुसार डिलीवरी के दौरान एक महिला को 57 डेल के बराबर दर्द होता है।
डेल, दर्द नापने की इकाई हाेती है।
प्रश्न: बिना दर्द के नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है?
उत्तर: जी हा! अब ऐसी सुविधाएं हो गई जिसमे गर्भवती महिला को बिना किसी दर्द के नॉर्मल डिलीवरी कराई जा सकती है।इसके लिए एपिड्यूरल एनेस्थीसिया तकनीकी का इस्तेमाल किया जाता है।
इसमें महिला के पीठ के निचले हिस्से में एक इंजेक्शन दिया जाता है और एक प्लास्टिक ट्यूब के माध्यम से आपकी रीढ़ की हड्डी के चारों ओर दबा दिया जाता हैं।
निष्कर्ष:
आशा करती हू की आपको मेरा ये लेख पसंद आया होगा।अगर आप मुझसे स्वास्थ्य से संबंधी कोई प्रश्न पूछना चाहते है,या अपनी राय शेयर करना चाहते है तो कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।मैं आपके प्रश्न के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद!
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी हेतु है।ये किसी भी प्रकार की दवा का विकल्प नहीं हो सकता है।ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले।
0 टिप्पणियाँ