नीम को हमारे हिंदू धर्म में एक विशेष दर्जा दिया गया है,हमारे हिंदू धर्म में नीम के पेड़ को मां दुर्गा का रूप माना जाता है,हमारे भारत देश के गांव की महिलाएं इस नीम के पेड़ की रोज पूजा करती है। और हमारे गावो में नीम को हर मर्ज का इलाज कहा जाता है।हमारे आयुर्वेद चिकित्सा में भी नीम को एक प्राकृतिक वरदान माना गया है।नीम का पेड़ हो,या नीम की पत्ते,नीम की छाल,नीम का तेल,ये सभी हमारे शरीर में होने वाले रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते है,नीम को संस्कृत में निम्बवृक्षः कहते है।नीम को हमारे आयुर्वेद में ही नही बल्कि अंग्रेजी दवा में भी प्रयोग किया जाता है।आजकल नीम के साबुन,नीम का पानी, नीम फेसवॉश, और चीजे मार्केट में बेची जा रही है। आज हम इस लेख में नीम के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, परंतु इससे पहले नीम से जुड़ी कुछ आवश्यक जानकारियां
नीम का वानस्पतिक नाम:
नीम का वनस्पति नाम (Azadirachta indica) अजादिरछा इंडिका हैं।
नीम में मौजूद पोषक तत्व:
नीम में मुख्य रूप सेविटामिन सी, फाइबर, प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट, फैट (वसा), अमीनो एसिड,कैल्शियम(ca), नाइट्रोजन(N), फॉस्फोरस(P)), पोटेशियम(K), टैनिक एसिड
आदि पाए जाते है।
नीम के कुल का नाम
नीम के कुल का नाम (महोगनी परिवार) है।
नीम की तासीर:
नीम की तासीर ठंडी होती हैं
नीम के फायदे (Neem ke fayde in Hindi):
नीम के एक नही अनेक फायदे है। नीम में मौजूद एंटी-एजिंग गुणों और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण नीम हमे हानिकारक UV किरणों, बढ़ते प्रदूषण से,और हानिकारक बैक्टीरिया से स्किन की देख भाल करता है। नीम में मौजूद पोषक तत्व, हमारे स्किन पर होने वाले झुर्रियों को कम करते हैं।जिससे हमारी त्वचा में चमक रहती है और हम और भी जवान दिखते हैं।
अगर आपको फंगल इंफेक्शन है तो ऐसे में भी नीम फायदेमंद होता है। इसके एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण हानिकारक बैक्टीरिया का मारते है ,और फंगस को दूर रखते हैं। इस प्रकार नीम त्वचा के लिए उत्तम है और स्किन से संबंधी सभी रोगों से हमे बचाने में मदद करती है। चलिए अब इस लेख में नीम के फायदे के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते हैं।
1.एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण:
गर्मी हो या ठंडी हो इंफेक्शन का खतरा किसी को भी और किसी भी मौसम में हो सकता है ।और इसके पीछे का कारण छोटे-छोटे बैक्टीरिया होते हैं जो हमे नजर नहीं आते हैं।
बारिश के मौसम में हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या अन्य मौसमी की तुलना में बढ़ जाते है।जिसके कारण से हमे फोड़ा,फुंसी होने की संभावना बढ़ जाती है,क्योंकि नीम एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगस गुणों से समृद्ध होता है।ऐसे में नीम का उपयोग इससे बचाव में मदद कर सकता है।
प्रयोग:
- फोड़ा फुंसी, या शरीर में infection होने पर आप नीम के पत्ते को पानी में डालकर इसे पंद्रह से बीस मिनट तक अच्छे से गर्म करे और उसके बाद पानी के गुनगुना होने के बाद उस जगह को अच्छे से साफ कर ले,ऐसा दिन में दो से तीन बार करे।
- और उस इंफेक्शन वाली जगह पर थोड़ा सा नीम के पत्ते को पीसकर लगा ले,ऐसा करने से आस पास के बैक्टीरिया मर जायेंगे।
- सुबह खाली पेट दो से तीन नीम के पत्ते को चबाए,ऐसा करने से आपका खून साफ होगा।
2.चिकन पॉक्स में प्रयोग:
चिकन पॉक्स में छोटे –छोटे लाल दाने या फिर बड़े दाने जल के साथ हो सकते है,ऐसे तेज बुखार,शीत–जुकाम,होना और दाने की जगह पर असहनीय खुजली होता है।और अगर हम अपने हाथो से इस जगह खुजली कर देते है तो ऐसे में संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ जाता हैं। इस तरह खुजलाने से हमारे शरीर पर घाव भी हो सकते है,और जो ठीक होने के बाद हमारे शरीर पर दाग के निशान भी बन सकते हैं ।
प्रयोग:
- जिस व्यक्ति को चिकन पॉक्स हुआ है उसके बिस्तर पर नीम के पत्ते डाल दे और जब उसे खुजली हो तो नीम की टहनियों से खुजाए।
- नीम के पत्ते को पानी में गरम करने के बाद ,पानी को गुनगुना होने के बाद इस पानी से रोगी को नहलाए।
- नहाने के बाद और नहाने से आधा घंटा पहले नारियल के तेल में और काली मिर्च पाउडर डालकर अच्छे से मिला ले,और उन दानो पर नीम के पते की मदद से लगाए।
- ये आपके दानो को ठीक करने में मदद करेगा और खुजली को भी काम करने में मदद करेगा।
3.मधुमेह में प्रयोग:
अगर आप का शुगर लेवल बढ़ा हुआ है तो ऐसे में नीम की आपके मधुमेह की समस्या को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है। नीम नीम में मौजूद कड़वाहट ब्लड शुगर कम करने में मदद करता है।।
प्रयोग:
- ऐसे में अगर आप सुबह खाली पेट दो चार नीम के पत्ते चबाकर खाएं तो ये आपके मधुमेह को नियंत्रित करने के साथ ही आपके रक्त को शुद्ध करने में मदद करेगा।
- आप नीम की काली चाय बनाकर पी सकते है।
- आप नीम की दातुन भी कर सकते है, दातुन करने से दांत तो मजबूत होते ही है साथ ही नीम का रस मुंह के माध्यम से पेट तक जाता है।जो आपके पेट को भी साफ रखता है,और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।
4.ब्लड प्रेशर में प्रयोग:
अगर आपका ब्लड प्रेसर हाई है तो ऐसे में नीम आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है। क्योंकि नीम में ब्लड प्रेशर के स्तर को कम करने के गुण मौजूद हैं एक शोध के मुताबिक, नीम में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के गुण की पुष्टि हुई है । ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बचाव या उसे नियंत्रित करने के लिए नीम का उपयोग लाभकारी हो सकता है।
प्रयोग: अगर आपका ब्लड प्रेसर हाई रहता है तो सुबह खाली पेट तीन से चार पत्ते नीम के खाए और थोड़ा सा गुनगुना पानी पिए ये आपके ब्लडप्रेशर,पेट की समस्याओं के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
5. कैंसर से बचाव के लिए प्रयोग:
नीम में इतने पोषक तत्व है की वो कैंसर जैसी बीमारी से भी लड़ सकते है, नीम के बीज,नीम के पत्ते,नीम के पेड़ ,नीम की छाल,नीम के फूल ये सभी विभिन्न प्रकार के कैंसर के लिए कीमोप्रिवेंटिव, एंटी कैंसर और एंटीट्यूमर गुण उत्पन्न करते है।खासतौर से, प्रोस्टेट कैंसर, महिलाओ में हो रहे स्तनों का कैंसर, पेट के कैंसर से बचाव के लिए नीम लाभकारी सिद्ध हो सकता है,
प्रयोग:नीम के पत्ते को खाली पेट 3 से चार पत्ते चबाएं,और नीम की दातुन को दिन में दो बार एक बार सुबह और एक बार रात में सोने से पहले करे।
6. अस्थमा के लिए प्रयोग:
नीम में सांस से संबंधित बीमारियो से भी लड़ने की क्षमता होती है।क्योंकि नीम में एंटीऑक्सीडेंट,और एंटी–एलर्जिक गुण अस्थमा जैसे लक्षणों को कम करने में सहायक है। नीम फफड़ो से संबंधित संक्रमण को कम करने में सहायक होता है
प्रयोग:
अस्थमा के रोगी,अगर सुबह खाली पेट नीम के पत्ते और थोड़ी सी एक्सरसाइज कर लेते है,तो उन्हे अस्थमा के अटैक कम आ सकते है।
Asthama se pidit mahila kaise apna normal'delivery Kara sakati hai.7. दांतो और मसूड़ों के लिए प्रयोग:
लगभग दो व्यक्तियों में से एक व्यक्ति को दांतो से संबंधित परेशानी होती जा रहीं है।इसका कारण जब मन में आया तब कुछ भी खा लिया उसके बाद अच्छे से मुंह को साफ नही करते है,जिसके कारण से हमारा दांत खराब hone lagata है,ऐसे में दांतो और मसूड़ों के लिए नीम को किसी चमत्कारी औषधि से कम नहीं माना जाता है।
नीम के पत्ते से लेकर,नीम के फूल ,बीज, नीम का तेल ये सभी दांतो के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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प्रयोग:
- दांतो में दर्द के को ठीक करने के लिए आप सुबह शाम नीम की दानतू करे, नीम के तेल से अपने मसूड़ों की अच्छे से मालिश करे,नीम के दो,तीन पत्ते को अच्छे से चबाकर उसे थूंक दे।
- नीम के पत्ते को पानी में डालकर उबाल ले उसके बाद इस पानी को गुनगुना होने के बाद अच्छे से माउथ वॉश(कुल्ला) करे।
8. पेट के स्वास्थ में प्रयोग:
पेट से संबंधित बीमारियो के लिए नीम बहुत ही लाभकारी औषधि माना जाता है नीम में मौजूद पोषक तत्वों में इतनी ताकत होती है की वो पेट में पनप रहे विषैले बैक्टीरिया को मारकर आंत के रास्ते से बाहर निकलते है,जिससे हमारा पेट,एक दम स्वस्थ और मजबूत बन सके।
प्रयोग; नीम के पत्ते को सुबह खाली पेट 2 से 3 पत्ते चबाएं ,नीम के दातुन से भी आपके पेट में कुछ मात्रा में नीम का रस पेट के अंदर चला जाता है,नीम की चाय बनाकर पी सकते है।
9. लीवर को स्वस्थ बनाए रखने में फायदेमंद:
लिवर के लिए नीम एक लाभकारी औषधि साबित हो सकता है।नीम में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते है जो हमारे लीवर से संबंधित बीमारियो से लड़ने में मदद करते है।लीवर में पाए जाने वाले तत्व एजेडिराक्टिन-ए कंपाउंड,हेप्टोप्रोटेक्टिव लिवर को सुरक्षा प्रदान करने में मदद करते है ।ऐसे में लिवर को स्वस्थ रखने के लिए नीम का प्रयोग अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है ।
10. स्किन के लिए प्रयोग:
आजकल आपको मार्केट में ऐसे तमाम प्रोडक्ट मिल जायेंगे,जिसमे नीम को प्रयोग किया जाता है,चाहे वो नीम फेसवॉश,हो,नीम के साबुन,नीम का प्रयोग आजकल अधिकतर प्रोडक्ट में किया जा रहा है,ऐसे में अगर आपके स्किन पर बहुत सारे दाने,या फिर मुंहासे है तो इसका कारण हमारा पेट सही तरीके से साफ ना होना हो सकता है या खून का साफ ना होना।
प्रयोग:
- ऐसे में आप नीम के पते को सुबह खाली पेट रोजाना दो से तीन पत्ते चबाएं
- और अगर आपके मुंह पर मुंहासे है तो उसके लिए आप आपने मुंहासे पर नीम की छाल को घिसकर लगाएं और पांच से दस मिनट तक रहने दे।
- उसके बाद अच्छे में मुंह को धो ले।
- याद रहे आपके स्किन पर दाने आने का कारण गलत खान–पान और कम पानी पीना भी हो सकता है ।ऐसे में सुबह खाली पेट आप पानी पिए।
- नीम के तेल का प्रयोग आप जुए और रूसी निकालने मे भी कर सकते हो
- फर्श को साफ रखने के लिए पानी में नीम के पत्ते डालकर पोछा लगा सकते है।इससे फर्श के बैक्टीरिया कम हो सकते है।
नीम के नुकसान (Disadvantages of Neem in Hindi):
हालाकि नीम के पत्ते को खाने से किसी को नुकसान नहीं होता हैं परंतु किसी भी चीज को अगर आप बहुत ज्यादा उपयोग में लायेंगे तो इससे आपको नुकसान भी हो सकता है। नीम के पत्ते को सीमित मात्रा में चबाए, नीम की दातुन को आप दिन में दो से तीन बार कर सकते है।
- अगर आप को नीम के पत्ते से एलर्जी है तो ऐसे में आप नीम के सेवन से बचे।
- अगर आपका शुगर हाई है तो ऐसे नीम का प्रयोग करे,लेकिन सीमित मात्रा में करे नही तो नीम आपके शुगर लेवल को सामान्य से भी कम कर सकता है।
- जिन लोगो का ब्लड प्रेशर लो रहता है वो नीम का सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करे,वरना आपका ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा कम हो सकता है।
- गर्भवती महिलाओ को नीम के सेवन से बचना चाहिए,गर्भवती महिलाएं नीम का दातुन कर सकती है लेकिन नीम के पत्ते या फिर नीम के बीज को खाने से उनका गर्भपात भी हो सकता है।
- छोटे बच्चो को भी नीम का सेवन अत्यंत सीमित मात्रा में करना चाहिए,नीम के दातुन कर सकते है,और कुछ भी नही।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: नीम कड़वा क्यों होता है?
उत्तर: नीम का कड़वापन ही नीम को अन्य चीजों से अलग और लाभकारी बनाता है,नीम में कड़वापन,नीम में मौजूद लिमोनाइड के कारण होता है।
प्रश्न: क्या रात में नीम के पेड़ के नीचे सोना चाहिए?
उत्तर: जी बिलकुल भी नहीं,रात में नीम के पेड़ के नीचे सोना अत्यंत हानिकारक माना गया है।क्योंकि रात में नीम का पेड़ हमे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) प्रदान करता है जो हमारे लिए अत्यंत हानिकारक होता है,आप रेट में नीम के पेड़ के नीचे न ही बैठे,और न ही सोए,दिन में आप सो सकते है।
प्रश्न: क्या गर्भवती महिलाएं नीम का सेवन कर सकती है?
उत्तर: जी नहीं!गर्भवती महिलाएं नीम के सेवन से बचना चाहिए, वे सिर्फ नीम के दातुन का सेवन कर सकती है इससे ज्यादा अगर वो नीम का सेवन करेंगी तो गर्भपात हो सकता है। इस लेख में बताया गया है।
निष्कर्ष: आशा करती हूं कि आप को नीम के फायदे और नुकसान से संबंधित लिखा मेरा ये लेख पसंद आया होगा। अगर आपको स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप हमे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।मैं आपके प्रश्नों का उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद!
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी हेतु है ये किसी भी प्रकार से दवा का विकल्प नहीं हो सकता है।ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले ।
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