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अगर एक व्यक्ति की दोनो किडनी खराब हो जाए तो वो कितने दिनों तक जिंदा रह सकता हैं:

मानव शरीर को सुचारू रूप से चलाने के किडनी का स्वस्थ्य होना बहुत जरूरी होता है।आजकल हमारी दैनिक जीवनचर्या के बदलने के कारण लोगो मे किडनी के खराब होने की समस्या बढ़ती जा रही हैं।किडनी के खराब होने पर हमारा शरीर सही तरीके से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। किडनी के खराब होने पर हमारा पाचन तंत्र बहुत ही ज्यादा कमजोर हो जाता है,जिसके कारण से हम कुछ भी पचाने में असमर्थ हो जाते है। कुछ व्यक्तियों को किडनी की खराबी के कारण बार बार डाइलिलीस करवाना पड़ता है,जिसका खर्चा एक आम व्यक्ति के बजट से बाहर हो जाता है।तो चलिए आज इस लेख में किडनी खराब होने के लक्षण, दोनों किडनी खराब होने पर आदमी कितना दिन जिंदा रह सकता है  के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करते है।

किडनी खराब होने लक्षण

किडनी (गुर्दा) क्या है (what is kidney in Hindi):

किडनी मानव शरीर या कई जानवरो में पाए जाने वाला अंदरूनी अंग है।मानव शरीर में दो किडनी पाई जाती है।किडनी रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त पानी (मूत्र के रूप में) में बाहर निकालते हैं और शरीर में रसायनों (जैसे सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम) को संतुलित रखने में मदद करते हैं। किडनी भी हार्मोन बनाते हैं जो रक्तचाप (ब्लड प्रेशर)को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं(RBC) को बनाने के लिए अस्थि मज्जा (bone marrow) को उत्तेजित करते हैं।

किडनी के कार्य (Kidney functions in Hindi):

शरीर के गंदगी को शरीर से बाहर निकालने का काम किडनी ही करती है. इसलिए एक तरह से किडनी को शरीर की छलनी का कहा जा सकता है. ऐसे में यदि किडनी ही खराब हो जाए, तो सेहत पर इसका निश्चित रूप से असर पड़ता है।

किडनी विफलता के चरण (stages of kidney failure in Hindi):

किडनी विफलता को शॉर्ट टर्म में (CKD) के नाम से जाना जाता हैं।किडनी खराब होने के मुखायतः पांच चरण में बाटा गया है।किडनी विफलता के चरणों को ग्लोमेरुलर निस्पंदन की क्रिया,eGFR (Estimated glomerular filtration rate) की क्रिया से मापा जाता है।अगर आप एक स्वस्थ व्यक्ति है तो ऐसे में आपका eGFR 90-120 मिली / मिनट होता है। जबकि स्वथ्य वृद्धों में यह eGFR 90-120 मिली / मिनट सकता है।

CKD का प्रथम चरण (CKD first stage):

किडनी की विफलता के प्रथम चरण में व्यक्ति की किडनी के कार्य करने की क्षमता 90 – 100 % होती है। इस चरण में eGFR 90 मि.ली. प्रति-मिनिट से ज्यादा रहता है। इस चरण में मरीज को लक्षण दिखने शुरू नहीं होते हैं।

CKD का दूसरा चरण (2nd stage of CKD):

दूसरे चरण में व्यक्ति के किडनी की कार्य क्षमता 85–90% होती है।eGFR 60 से 89 मि.ली. प्रति-मिनिट होता है। इस चरण के मरीजों में सामान्य तौर पर किसी भी प्रकार का कोई लक्षण नहीं दिखता। हालांकि कुछ मरीजों में रात में बार-बार पेशाब जाने या उच्च रक्तचाप होने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते है।

CKD का तीसरा चरण (3rd stage of CKD):

चरण में eGFR 30 से 59 मि.ली. प्रति-मिनिट होता है। इस चरण में भी दूसरे चरण के समान रात में बार-बार पेशाब जाने या उच्च रक्तचाप होने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

CKD का चौथा चरण (Fourth stage of CKD):

CKD के चौथे चरण में eGFR 15 से 29 मि.ली. प्रति-मिनिट तक की कमी आ जाती है। इस चरण में हल्के लक्षण सामने आने लगते हैं ये लक्षण बहुत तेज भी हो सकते हैं।

CKD का पांचवा चरण (5th stage of CKD):

यह किडनी विफलता का वह चरण होता है जिसमें मरीज को डायालिसिस या किडनी प्रत्यारोपण (Kidney Transplant) की जरूरत पड़ती है। इस चरण तक आते-आते किडनी लगभग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकि होती हैं,क्योंकि यह बीमारी लंबे समय से हमारी किडनी में चली आ रही होती है।इसमें eGFR 15 मि.ली. प्रति-मिनिट से कम हो जाता है

किडनी खराब होने लक्षण (kidney failure symptoms in Hindi):

गुर्दे की विफलता, जिसे गुर्दे की विफलता के रूप में भी जाना जाता है, तब होता है जब गुर्दे रक्त से कचरे को छानने और निकालने की क्षमता खो देते हैं। गुर्दे की विफलता के शुरुआती चरणों में कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं हो सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे स्थिति बढ़ती है, निम्नलिखित लक्षण विकसित हो सकते हैं:

1. थकान और कमजोरी
गुर्दे की विफलता शरीर में विषाक्त पदार्थों का निर्माण कर सकती है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस होती है।

2. द्रव प्रतिधारण: 
गुर्दे शरीर में द्रव के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब वे ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं, तो पैरों, टखनों और टांगों के आसपास द्रव जमा हो सकता है।

3. मूत्र उत्पादन में कमी: 
किडनी खराब होने के शुरूवाती दौरान में आपको बहुत ज्यादा पेशाब,पेशाब में झाग,पेशाब में बबल जैसे लक्षण देखने को मिल सकते है लेकिन जैसे-जैसे गुर्दे की कार्यक्षमता घटती जाती है, पेशाब की मात्रा घटती जाती है।

4. सांस की तकलीफ:
गुर्दे की विफलता से फेफड़ों में तरल पदार्थ का निर्माण हो सकता है, जिससे सांस की तकलीफ हो सकती है।

5. जी मचलना और उल्टी: 
शरीर में विषाक्त पदार्थों का निर्माण होने से मतली और उल्टी हो सकती है।

6. भूख कम लगना:
शरीर में अपशिष्ट उत्पादों के जमा होने से भी भूख कम लग सकती है।

7. उच्च रक्तचाप:
गुर्दे की विफलता उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती है, क्योंकि गुर्दे रक्तचाप को नियंत्रित करने में भूमिका निभाते हैं।

8. मांसपेशियों में ऐंठन और मरोड़:
गुर्दे के कार्य में कमी से खनिजों और इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन हो सकता है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन और मरोड़ हो सकती है।

9. त्वचा पर चकत्ते और खुजली: 
शरीर में अपशिष्ट उत्पादों के निर्माण से त्वचा पर चकत्ते और खुजली हो सकती है।

10.पीठ में दर्द:
 किडनी खराब होने पर पीठ में दर्द होने की शिकायत भी हो जाती है. दरअसल, जब किडनी शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में असमर्थ रहती है, तो इससे पीठ में दर्द की समस्या हो जाती है. ऐसे में यदि आपको भी लंबे समय से पीठ में दर्द की शिकायत हो रही है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता है

11.पेट के निचले हिस्से में दर्द:
 यदि आपके पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है, तो ये भी किडनी के खराब होने का एक संकेत हो सकता है. दरअसल, मूत्र मार्ग में दर्द होना और पेट के निचले हिस्से में दर्द होना ये किडनी की इंफेक्सन का लक्षण हो सकता है. ऐसे में यदि आपको भी इस समस्या से जूझना पड़ रहा है, तो आपकी किडनी खराब हो सकती है।

यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव करते हैं, तो मूल्यांकन और उपचार के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को देखना महत्वपूर्ण है।

किडनी खराब होने के कारण होने वाली समस्याएं (due to kidney failure in Hindi):

गुर्दे की विफलता, जिसे गुर्दे की विफलता भी कहा जाता है, के शरीर के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं। गुर्दे रक्त से विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को छानने, द्रव के स्तर को विनियमित करने और खनिजों और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। जब गुर्दे विफल हो जाते हैं, तो इन कार्यों से समझौता किया जाता है, जिससे अपशिष्ट उत्पादों का निर्माण होता है और शरीर में संतुलन बिगड़ जाता है।

यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो गुर्दे की विफलता कई जटिलताओं का कारण बन सकती है, जिनमें शामिल हैं:

1. द्रव अधिभार:
गुर्दे की विफलता शरीर के चारों ओर तरल पदार्थ का निर्माण कर सकती है, संभावित रूप से दिल की विफलता या फुफ्फुसीय एडिमा (फेफड़ों में तरल पदार्थ) का कारण बन सकती है।

2. एनीमिया:
किडनी एरिथ्रोपोइटिन नामक एक हार्मोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होती है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को उत्तेजित करता है। गुर्दे की विफलता एरिथ्रोपोइटीन और बाद में एनीमिया में कमी का कारण बन सकती है।

3. खनिज और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन: 
गुर्दे शरीर में खनिजों और इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन को नियंत्रित करते हैं। जब किडनी का कार्य कम हो जाता है, तो इस नियमन से समझौता किया जाता है, जिससे असंतुलन पैदा होता है जो कई प्रकार के लक्षण और जटिलताएं पैदा कर सकता है।

4. हड्डी रोग: 
शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस के संतुलन को बनाए रखने में गुर्दे की भूमिका होती है। गुर्दे की विफलता इन खनिजों में असंतुलन पैदा कर सकती है, संभावित रूप से हड्डी की बीमारी और फ्रैक्चर का कारण बन सकती है।

5. हृदय रोग:
गुर्दे की विफलता दिल के दौरे और स्ट्रोक सहित हृदय रोग के बढ़ते जोखिम से जुड़ी है।

6. तंत्रिका क्षति:
 
गुर्दे की विफलता के परिणामस्वरूप शरीर में बनने वाले अपशिष्ट उत्पाद तंत्रिका क्षति का कारण बन सकते हैं, संभावित रूप से अंगों में झुनझुनी, सुन्नता या कमजोरी हो सकती है।

कुल मिलाकर, गुर्दे की विफलता एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए आगे की जटिलताओं को रोकने के लिए शीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है। उपचार के विकल्पों में दवाएं, डायलिसिस, या गुर्दा प्रत्यारोपण शामिल हो सकते हैं।

दोनों किडनी खराब होने पर आदमी कितना दिन जिंदा रह सकता है (How long can a person live if both kidneys fail?):

बिना किडनी के डायलिसिस पर इंसान की जिंदगी इस बात पर निर्भर करती है कि इंसान का शरीर डायलिसिस को कैसे स्वीकार रहा है। कई बार दोनों किडनी खराब होने के बाद डायलिसिस करवाने वाला व्यक्ति 5 से 10 साल तक जिंदा रह सकता है इसके अलावा जो लोग सही खानपान लेते हैं बड़े परहेज के साथ चलते हैं इसके साथ ही वैसे लोग डायलिसिस करवाते हैं तो वह 20 से 25 साल तक जीवित रह सकते हैं।लेकिन अगर व्यक्ति डायलिसिस कराने में असमर्थ है तो ऐसे में व्यक्ति एक हफ्ते से पंद्रह दिन या फिर कुछ महीनो तक जीवित रह सकते है।

किडनी खराब होने पर क्या खाएं (What to eat when kidney failure):

गुर्दे की विफलता के प्रबंधन में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब गुर्दे ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं, तो संतुलित और स्वस्थ आहार खाना महत्वपूर्ण होता है जिसमे सोडियम,पोटेशियम, प्रोटीन में कम होता है। गुर्दे की विफलता से निपटने के दौरान क्या खाना चाहिए इसके लिए यहां कुछ सामान्य दिशानिर्देश दिए गए हैं:

 1. सोडियम को सीमित करें: 
सोडियम में उच्च आहार से उच्च रक्तचाप और द्रव प्रतिधारण हो सकता है, जो किडनी पर तनाव डाल सकता है। अपने सोडियम सेवन यानी नमक  को प्रति दिन 2-3 ग्राम से अधिक नहीं सीमित करने का लक्ष्य रखें।

 2. अपने पोटेशियम सेवन पर ध्यान दें: 
जब किडनी ठीक से काम नहीं कर रही होती है, तो शरीर से अतिरिक्त पोटेशियम को बाहर निकालना मुश्किल हो सकता है। इससे इस खनिज का असंतुलन हो सकता है, जिससे हड्डी रोग और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं। डेयरी उत्पादों, नट्स और बीन्स जैसे हाई पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को सीमित करने की कोशिश करें।
क्या खाएं:
फल
सेब, जामुन, बेर, निम्बू, अनानास और स्ट्रॉबेरी
सब्जी
घीया, ककडी, अमियां (टिकोरा), तोरई, परवल, चुकंदर, मेंथी की सब्जी, लहसुन
अन्य पदार्थ
शहद, जायफल, राई, सोंठ, पुदीने के पत्ते, सिरका (Vinegar), लौंग, काली मिर्च,सूजी, चावल 
क्या न खाएं:
फल
केला, चीकू, पका हुआ आम, मोसंबी, शरीफा, खरबूजा, अन्नानास, आँवला, जरदालू, पीच, आलू, अमरूद, संतरा, पपीता, अनार
सूखे मेवे:
खजूर, किशमिश, काजू, बादाम, अंजीर, अखरोट
सब्जी
अरबी के पत्ते, शकरकंद, सहजन की फली, हरा धनिया, सूजन, पालक, गुवार की फली, मशरूम, कद्दू और टमाटर
दाले
अरहर की दाल, मूंग की दाल, चना, चने की दाल, उड़द की दाल
अन्य वस्तुएं :
लोना साल्ट, चोकलेट, कैडबरी, चोकलेट केक, चोकलेट आइसक्रीम,मांस मछली ,डेयरी प्रोडक्ट इत्यादि।
3. प्रोटीन का सेवन प्रबंधित करें: 
प्रोटीन एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, लेकिन बहुत अधिक प्रोटीन किडनी पर अतिरिक्त तनाव डाल सकता है। गुर्दे की विफलता की गंभीरता के आधार पर, आपका डॉक्टर आपके प्रोटीन सेवन को सीमित करने की सिफारिश कर सकता है।

4. पर्याप्त कैलोरी प्राप्त करें: 

स्वस्थ वजन बनाए रखने और मांसपेशियों की बर्बादी को रोकने के लिए पर्याप्त कैलोरी प्राप्त करना सकà महत्वपूर्ण है, जो गुर्दे की विफलता की जटिलता हो सकती है। अपनी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद के लिए दिन भर में छोटे-छोटे, बार-बार भोजन करने की कोशिश करें।

 5. हाइड्रेटेड रहें: 

हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है, लेकिन बहुत अधिक तरल पदार्थ किडनी पर अतिरिक्त तनाव डाल सकते हैं। अपने डॉक्टर से बात करें कि आपकी व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर आपको हर दिन कितना तरल पदार्थ पीना चाहिए।

6.व्यायाम करें:

आप नियमित रूप से अनुलोम–विलोम,कपालभाति प्राणायाम कर सकते हैं।ज्यादा भागदौड़ या फिर हैवी एक्सरसाइज करने से बचे।

7.धूम्रपान ना करें:

अधिकतर देखा गया है कि sam सामान्य व्यक्ति की तुलना में धूम्रपान करने वाले व्यक्त की किडनी खराब होने की संभावना 4 गुनी बढ़ जाती है अगर आपके किडनी में थोड़ा सा भी इंफेक्शन है तो ऐसे में आप को शराब, सिगरेट, तंबाकू ,आदि नशीले पदार्थ का सेवन बंद कर देना चाहिए।

 कुल मिलाकर, एक स्वस्थ आहार जो सोडियम, पोटेशियम और प्रोटीन में कम है, लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।आपके लिए सही आहार योजना विकसित करने के लिए अपने डॉक्टर और एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ के साथ सलाह या परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

इस लेख में मैने किडनी खराब होने के लक्षण के साथ ही किडनी से संबंधित कुछ विशेष बातों के बारे में बताया है।उम्मीद है कि मेरा ये लेख आपको पसंद आया होगा।अगर आप मुझसे स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी सवाल पूछना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। हरे कृष्णा हेल्थ केयर एंड फिटनेस इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।


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