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फेफड़ों में पानी भरने के कारण, लक्षण, और असरदार घरेलू, इलाज फेफड़ों में पानी भरना कौन सी बीमारी है।

 हमारे शरीर में फेफड़ा एक महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों में से एक माना जाता है, परंतु जब इसी फेफड़े में पानी या तरल पदार्थ जमा होने लगता हैं तो ये फेफड़ों के कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न करते है, जिस कारण से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में बहुत ही ज्यादा कठिनाई होने लगती हैं जिस कारण से फेफड़े के साथ ही साथ हमारे शरीर की कुछ और अंतरिक अंग प्रभावित होने लगते है, फेफड़े में पानी भरने को मेडिकल भाषा में पल्मोनरी एडिमा (pulmonary edema) के रूप में जाना जाता है। पल्मोनरी एडिमा में फेफड़ो फेफड़ों की छोटी-छोटी थैलियों में द्रव पानी या तरल पदार्थ जमा हो जाता है, इस तरल पदार्थ के जमा होने के वजह से फेफड़े पर्याप्त मात्रा में हवा नहीं ले पाते हैं। ऐसे में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। आज हम इस लेख में फेफड़े में पानी भरने के लक्षण, फेफड़े में पानी भरने का कारण, फेफड़ों में पानी भरना कौन सी बीमारी है , फेफड़ों में पानी का घरेलू इलाज के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे पूरी जानकारी के लिए लेख में अंत तक बने रहे।

फेफड़ों में पानी भरने के कारण, लक्षण, और असरदार घरेलू, इलाज फेफड़ों में पानी भरना कौन सी बीमारी है।

फेफड़ों में पानी भरने के प्रकार (Types of lung filling in Hindi):-

वेट लंग डिजीज (wet lung disease) यानी फेफड़ों में पानी जमा होने के आमतौर पर दो प्रकार की होती है, जो इस प्रकार हैं 

कार्डियोजेनिक पल्मोनरी एडिमा -

फेफड़ों में पानी भरने का कारण जब हृदय में दबाव बढ़ने के कारण विकसित होता है। तो इसे मेडिकल भाषा में कार्डियोजेनिक पल्मोनरी एडिमा कहते है।

 

नॉन-कार्डियोजेनिक पल्मोनरी एडिमा -

जब फेफड़े में पानी भरने का कारण हृदय में दबाव बढ़ने के कारण विकसित नहीं होता है। वेट लंग डिजीज का यह प्रकार पल्मोनरी एडिमा का प्रकार होता है।

फेफड़े में पानी भरने का कारण (Causes of water filling in lungs in Hindi):-

पल्मोनरी एडिमा में फेफड़ों की छोटी-छोटी थैलियों में द्रव पानी या तरल पदार्थ जमा हो जाता है, इस तरल पदार्थ के जमा होने के वजह से फेफड़े पर्याप्त मात्रा में हवा नहीं ले पाते हैं। फेफड़े में पानी भरने के कई कारण हो सकते हैं, 


हृदय की समस्याएं:

दिल के रोग फेफड़ों में पानी भरने या जमा होने का एक प्रमुख कारण हो सकती हैं। आपको बता दू दिल के रोग होने पर हार्ट हमारे फेफड़ों तक सही तरीके से रक्त को पंप नहीं कर पाता है। जिसकी वजह से फेफड़ों में रक्त नहीं पहुंच पाता है, फेफड़ो में रक्त ना पहुंचने के कारण खाली जगहों में द्रव जमा होने लगता है। इसका असर रक्त वाहिकाओं पर पड़ता है और सांस लेने में कठिनाई होने लगती हैं।


निमोनिया 

आपकी जानकारी के लिए बता दे की निमोनिया बीमारी अधिकांशतः हमारे फेफड़े पर प्रभाव डालती है, ऐसे में यदि ये बीमारी लंबे समय तक किसी व्यक्ति को ग्रसित कर लेती हैं तो ऐसे में फेफड़ों में पानी जमा होना होने लगता हैं।

फेफड़ों में पानी भरने के कारण, लक्षण, और असरदार घरेलू, इलाज फेफड़ों में पानी भरना कौन सी बीमारी है।


कैंसर

छाती में कैंसर की वजह से भी फेफड़ो में पानी जमा होने लगते है, फेफड़ों में पानी जमा होने में मुख्य रूप से तीन तरह के कैंसर- फेफड़े का कैंसर, ब्रेस्ट का कैंसर तथा गिल्टी का कैंसर हो सकता है। इनके अलावा दूसरे अन्य कैंसर भी फेफड़ों में पानी के जमाव के कारण हो सकते होते हैं।


शरीर का कोई अंग खराब होना

कई बार ऐसा होता हैं कि जब हमारे शरीर का कोई हिस्सा सही तरीके से कार्य नहीं कर पाता है, तो भी फेफड़ों में पानी या द्रव जमा हो सकता है। जैसे कि (हृदय फेलियर, लिवर सिरोसिस, फेफड़ों की टीवी किडनी या लिवर का खराब होना इसके मुख्य कारण हो सकते हैं। 


कोरोना या अन्य तरह के इन्फेक्शन

बहुत से लोगों का कोरोना ने फेफड़ों को कमजोर कर दिया है, थोड़ा सा चलने पर लोगों की सांस फूल जाती है, सीढ़िया सही ढंग से नहीं चढ़ पाते, अतः ऐसे मे फेफड़े कमजोर होने पर इससे संबंधित बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता हैं।


टीबी की वजह से फेफड़ों में पानी

 फेफड़ों में पानी के जमा होने का सबसे बड़ा कारण टीबी का इन्फेक्शन भी हो सकता है। क्योंकि टीबी होने पर फेफड़ों के आस पास पीले पानी का जमाव होने लगता हैं, अतः समय रहते टीबी इन्फेक्शन वाले पीले पानी के जमाव को रोका नहीं गया तो फेफड़े के नष्ट होने के साथ ही साथ जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता हैं।


फेफड़े में पानी भरने के लक्षण (Symptoms of lung congestion in Hindi):-

नीचे लेख में फेफड़े में पानी भरने के लक्षण के बारे में बताया गया हैं, अगर आपको नीचे बताया गए लक्षण नजर आते है तो ऐसे में नजदीकी डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

  • खांसी, अक्सर गुलाबी रंग के झागदार थूक के साथ।
  • बहुत ज्यादा पसीना आना।
  • चिंता, घुटन और बेचैनी।
  • त्वचा के रंग का पीला होना।
  • सांस लेते समय घरघराहट की आवाज।
  • हार्ट बीट का बढ़ना।
  • थकान महसूस होना।
  • छाती में दर्द होना।
  • सीधे लेटने पर सांस लेने में दिक्कत होना।
  • पैरों में सूजन।
  • तेजी से वजन का बढ़ना।
  •  रात में अचानक सांस फूलना
  • कोई भी काम करते 
  • समय सांस फूलना।


फेफड़ों में पानी भरना कौन सी बीमारी है

फेफड़े में पानी भरने को पल्मोनरी एडिमा (pulmonary edema) कहते है। फेफड़े में पानी जमा होने के निम्न बीमारियां कारण हो सकती हैं।

  • दिल की बीमारी
  • फेफड़ों की टीबी 
  • निमोनिया
  • लिवर सिरोसिस
  • फेफड़ों का कैंसर
  • ब्रेस्ट कैंसर
  • गिल्टी कैंसर
  • कोरोना


फेफड़ों में पानी का घरेलू इलाज (Home Remedies for Water in Lungs in Hindi):-

नीचे लेख में फेफड़ों में पानी भर जाने के घरेलू उपाय बताएं गए हैं, परंतु इस बात का ध्यान रहे नीचे बताए गए घरेलू उपचार फेफड़ों को पूर्ण रूप से ठीक करने के उपाय नहीं है, यह आपके फेफड़ों को कुछ हद तक ठीक कर सकता है, अतः अपने फेफड़ो को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पूर्ण रूप से घरेलू उपचार पर आश्रित ना रहे।

 

1. तुलसी का उपयोग करे

हमारे आयुर्वेद में तुलसी को बहुत ही विशेष दर्जा दिया गया है, तुलसी में मौजूद कई सारे पोषक तत्व और एंटी ऑक्सीडेंट गुण के कारण यह हमारे फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी होता हैं।

प्रयोग: रोजाना तुलसी के पत्तों एक चम्मच रस निकालकर सुबह-शाम सेवन करने से फेफड़ों की सूजन में लाभ होता है। इसके अलावा आप तुलसी का काढ़ा बनाकर भी सुबह शाम पी सकते हैं।

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2. लौंग का उपयोग करें - 

लौंग का सेवन करना भी हमारे फेफड़ों के लिए लाभकारी होता है, इसके सेवन से फेफड़े मजबूत और सर्दी खांसी में भी आराम मिलता हैं 

प्रयोग: आप एक कली लौंग का पाउडर बनाकर 1 ग्राम शहद या देशी घी में मिलाकर सुबह-शाम खाए ध्यान रहे लौंग की तासीर गर्म होती हैं अतः दिन भर में केवल एक कली लौंग का ही सेवन करें।


3. बालू (रेत) का सेक करें- 

पुराने जमाने में जब सेक करने की कई मशीन उपलब्ध नहीं थी तो बालू की मदद से ही सेक किया जाता था, इससे फेफड़ों में हुई सूजन, पानी तथा सांस लेने में दिक्कत से कुछ हद तक राहत मिलती थी 

प्रयोग: इसको उपयोग में लाने के लिए बालू को किसी कपड़े में बांधकर हल्का-सा गर्म करके इसका सेक करने से फेफड़ों से जुड़ी समस्या को दूर किया जा सकता हैं।


4. मंजिष्ठा का उपयोग करें-

आयुर्वेद में मंजिष्ठा को एक रामबाण औषधि माना गया है, मंजिष्ठा में उपलब्ध एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टेरियल गुणों के कारण यह फेफड़ो के लिए कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है।

प्रयोग: मंजिष्ठा का चूर्ण 1 से 3 ग्राम दिन भर में तीन बार सेवन करने से यह फेफड़ों को बहुत ही ज्यादा लाभ पहुंचाता है।


5. गुग्गुल का उपयोग करें-

गुग्गुल अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाना जाता है, इसके सेवन से छाती, पीठ और चेहरे पर मुँहासे के उपचार में फायदेमंद पाया जाता है।

प्रयोग: गुग्गुल की 1 ग्राम मात्रा को दिन भर में तीन बार गुड़ के साथ लेने से फेफड़ों में आई सूजन कम होती है।


6. धतूरा का उपयोग करे-

धतूरे में एंटी इंफ़्लेमेटरी और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं. ये संक्रमण या इंफ़ेक्शन से बचाने में मदद करता है, यह अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत ही कारगर साबित हो सकता हैं 

प्रयोग: आप रोजाना दिन भर में एक बार धतूरे के पत्तों का सीने पर लेप करें या फिर इसके पत्तों के फेफड़े के ऊपर रखकर गर्म बालू से सेक करने पर भी आराम मिलता हैं।


7. त्रिफला का उपयोग करें-

आयुर्वेद में त्रिफला को फेफड़ों को साफ़ और स्वस्थ रखने के लिए रामबाण दवा माना जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एन्टिओक्सीडेटिव के गुण पाए जाते हैं जो इम्यून सिस्टम मजबूत करने में सहायक होते हैं। 

प्रयोग: त्रिफला तीन फलों हरीतकी, बिभीतकी और आंवला से मिलकर बनता है। लगभग 1 ग्राम त्रिफला चूर्ण तथा 1 ग्राम शिलाजीत को 100 मिली देसी गाय के मूत्र में मिलाकर दिन में दो बार लेने से फेफड़ों में जमा पानी निकल जाता है 


8. अर्जुन का उपयोग करें -

संक्रमण, खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी फेफड़ों की समस्याओं के लिए अर्जुन की जड़ बहुत उपयोगी है।

प्रयोग: अर्जुन की जड़ 5 ग्राम और लकड़ी का चूर्ण पांच ग्राम बराबर मात्रा में लेकर 250 लीटर देशी गाय के दूध के साथ दिन में 2 बार लेने से फेफड़ों में पानी जमा होने की समस्या ठीक हो सकती है।


9. धूम्रपान न करें:–

फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है कि धूम्रपान न किया जाए। धूम्रपान करने से फेफड़ों में निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार समेत सैकड़ों ऐसे रसायन मानव शरीर के अंदर चले जाते हैं, जिससे फेफड़ों के ऊतकों में सूजन होने लगती हैं। इसलिए फेफड़ों को नुकसान न पहुंचे इसके लिए धूम्रपान से दूर रहे।

फेफड़ों में पानी भरने के कारण, लक्षण, और असरदार घरेलू, इलाज फेफड़ों में पानी भरना कौन सी बीमारी है।


10. सांस लेने के व्यायाम करें :–

व्यायाम करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता हैं साँस लेने के कई व्यायाम जैसे (अनुलोम विलोम प्राणायाम, कपालभाती प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम आदि) हैं जो आप कर सकते हैं जो आपके फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही आप रोज सुबह शाम टहलने से भी फेफड़ो को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलती है।


11. पत्तेदार सब्जियां का प्रयोग करे:–

हमे अपने फेफड़ो को मजबूत बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे (पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली,पालक, चुकंदर, गाजर ) प्रयोग में लेना चाहिए। ये सभी सब्जियां फेफड़ों के कैंसर की प्रगति को रोकने और फेफड़ों के कैंसर के विकास के जोखिम को आधा गुण पाए जाते हैं । ये सब्जियां क्लोरोफिल में समृद्ध हैं जो हमारे रक्त को साफ और बनाता है और कुछ बहुत प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट से भरा होता है।


डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर आपकी बॉडी में निम्नलिखित स्थितियां दिखे तो ऐसे में आप जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें-

  • खांसी के साथ गुलाबी रंग का झागदार थूक या बलगम आना।
  • सांस लेते वक्त घरघराहट या अन्य किसी प्रकार की आवाज आना।
  • अचानक से सांस फूलने लगना।
  • सांस लेने में कठिनाई और अत्यधिक मात्रा में पसीना आना।
  • त्वचा नीली या ग्रे रंग की होना।
  • सिर घूमना, चक्कर आना। 
  • कमजोरी महसूस होना।


निष्कर्ष (conclusion):-

हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी है कि हमारे फेफड़े सही और सुचारू रूप से कार्य करें इस लेख के माध्यम से आपको फेफड़े फेफड़े में पानी भरने का कारण, लक्षण,  फेफड़ों में पानी का घरेलू उपचार आदि के बारे में बताया गया हैं, उम्मीद है कि आपको फेफड़े से संबंधित मेरा ये लेख पसंद आया होगा, परंतु फिर भी यदि आप मुझसे कोई भी प्रश्न या फिर इस लेख से संबंधित कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में बता या पूछ सकते हैं मै आपके प्रश्नों के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद।


अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। हरे कृष्णा हेल्थ केयर एंड फिटनेस इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।


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