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कपालभाति प्राणायाम करने से पहले जान ले ये जरूरी बातें:कपालभाति प्राणायाम कब करें,इसकेn फायदे और नुकसान।

 योग आपके मन और शरीर को स्वस्थ रखने का बेहतरीन विकल्प है। इसे करने से पुराने से पुराना रोग भी चुटकियों में सही हो जाता है। अगर आप बीमारियों से बचना चाहते हैं, तो अपने जीवनशैली में योग को जरूर शामिल करे,योग हमें केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं बनाता ये हमे मानसिक तनाव से भी बचाने में मदद करता है,आज हम इस लेख में ऐसे ही महत्वपूर्ण योगाभ्यास के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम है “कपालभाति प्राणायाम”

कपालभात‍ि प्राणायाम, शरीर को अंदर से साफ करने का एक आसान तरीका है। कपालभाति प्राणायाम को यदि सही तरीके से किया जाए तो इस प्राणायाम से शरीर से 60 प्रतिशत विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते है,यह आपके दिमाग को शांत रखने के साथ 100 से भी ज्यादा बीमारियों से छुटकारा दिलाता है,आज हम इस लेख में कपालभाति प्राणायाम के फायदे और नुकसान के साथ ही कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

कपालभाति प्राणायाम करने से पहले जान ले ये जरूरी बातें:कपालभाति प्राणायाम कब करें,इसके फायदे और नुकसान।



कपालभाति प्राणायाम क्या है (what is kapalbhati pranayama in Hindi):-

कपालभाति प्राणायाम संस्कृत भाषा का शब्द है, कपालभाति संस्कृत के दो शब्दो (कपाल+भाति) से मिलकर बना हुआ है। इसमें कपाल का मतलब होता हैं सिर की हड्डी (skull),भाति का मतलब होता हैं चमकने (shining) या तेज से है, जबकि तीसरे प्राणायाम का मतलब होता है, प्राण या श्वसन को लम्बा करना या फिर जीवनी शक्ति को लम्बा करना।

अर्थात 'कपाल भाति' वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है। कपालभाति किसी तरह का प्राणायाम नहीं है। यह एक क्लेजिंग टेक्नीक है, जिसे षट्कर्म के अनुसार योग में शामिल किया गया है। कपालभाति योग में षट्कर्म (हठ योग) की एक विधि (क्रिया) है।

इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मुख पर आंतरिक प्रभा (चमक) से उत्पन्न तेज रहता है। कपाल भाति बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है। कपालभाति प्राणायाम को अंग्रेजी में ब्रेथिंग तकनीक (breathing techniques) कहा जाता हैं। इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए नियमित रूप से कपालभाति करना फायदेमंद साबित होता है।


कपालभाति प्राणायाम के प्रकार (Types of Kapalabhati Pranayama in Hindi):-

'कपाल भाति' वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है, कपालभाति प्राणायाम मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं ।

वातक्रम कपालभाति (Vatakrama Kapalabhati) :–

इस प्राणायाम में व्यक्ति नाक के एक नथुने से सांस अंदर लेता है,और तुरंत ही नाक के दूसरे नथुने से सांस को बाहर निकाल देता है। इस प्राणायाम में सांस छोड़ना सक्रिय और सांस लेना निष्क्रिय माना जाता हैं।

व्युतक्रम कपालभाति (vyutkram kapalbhati):-

इस प्राणायाम में व्यक्ति नाक के माध्यम से गुनगुने पानी को अंदर की ओर खींचता है, और मुंह के द्वारा उस पानी को बाहर की ओर फेंक देता है।

शीतक्रम कपालभाति (shitkram kapalbhati):-

 यह प्राणायाम व्युतक्रम का उल्टा है,क्योंकि इस प्राणायाम में मुंह के द्वारा गुनगुने पानी को अंदर की ओर खींचता है,और नाक के द्वारा उस पानी को बाहर फेंक दिया जाता है।

कपालभाति करने से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें:

कपालभाति प्राणायाम करने से पूर्व आपको निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है –

  1. इस प्राणायाम को सुबह के समय खाली पेट करने से ज्यादा लाभ होता है। परंतु अगर आप सुबह के समय प्राणायाम करने में असमर्थ हैं तो आप शाम के समय कर सकते है,परंतु ध्यान रहे कि इसे करने से चार से छह घंटे पहले कुछ भी ना खाया हो और आप इस प्राणायाम को करने से पूर्व शौच भी कर ले तो ज्यादा बेहतर होगा।
  2. कपालभाति करते वक्त आप सांस लेने की स्पीड को घटाएं या बढ़ाएं नहीं, एक समान रखें.
  3. इस आसन को करते वक्त आपका पूरा ध्यान पेट के मूवमेंट पर होना चाहिए, सांसों पर नहीं.
  4. कपालभाति करते समय आपके कंधे नहीं हिलने चाहिए.
  5. सांस अंदर लेते वक्त पेट बाहर की ओर और सांस छोड़ते वक्त पेट अंदर की ओर होना चाहिए।से 

कपालभाति प्राणायाम कैसे करें (How to do Kapalabhati Pranayama in Hindi):

किसी भी प्राणायाम का उचित लाभ पाने के लिए जरूरी है की उस प्राणायाम को सही तरीके से किया जाय।कपालभाति प्राणायाम करने के चरण यहां दिए गए हैं:

कपालभाति प्राणायाम करने से पहले जान ले ये जरूरी बातें:कपालभाति प्राणायाम कब करें,इसके फायदे और नुकसान।


 1. योगा मैट या कुशन पर पालथी मारकर बैठने की स्थिति में आराम से बैठें। अपनी रीढ़ और कंधों को सीधा रखें और अपने हाथों को आराम से घुटनों पर रखें।

 2. मन को आराम और शांत करने के लिए कुछ गहरी साँसें लें।

 3. अभ्यास शुरू करने के लिए, अपनी नाक से गहरी सांस लें, अपने पेट और फेफड़ों को हवा से भरें।

 4. अपनी नाक से हवा को बाहर निकालते हुए अपने पेट की मांसपेशियों को सिकोड़कर जोर से और सक्रिय रूप से सांस छोड़ें। साँस छोड़ना त्वरित और शक्तिशाली होना चाहिए, और साँस लेना स्वचालित रूप से होना चाहिए।

 5. चरण 4 को 20-30 बार या अधिकतम एक मिनट के लिए दोहराएं (या यदि आप अभ्यास में नए हैं तो कम)।

 6. चक्र पूरा करने के बाद गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें। अपनी सांस को उसकी प्राकृतिक लय में लौटने दें और अपने शरीर में किसी भी संवेदना का निरीक्षण करें।

 7. चक्र को 2-3 राउंड तक दोहराएं, समय के साथ धीरे-धीरे अभ्यास की अवधि और तीव्रता बढ़ाएं।

 यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कपालभाति प्राणायाम एक शक्तिशाली अभ्यास है जिसे उचित मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के साथ किया जाना चाहिए, खासकर यदि आपको कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थिति है। शुरुआती लोगों को धीरे-धीरे शुरुआत करनी चाहिए और धीरे-धीरे कई सत्रों में अभ्यास की अवधि और तीव्रता बढ़ानी चाहिए


कपालभाति प्राणायाम के फायदे (Benefits of Kapalabhati Pranayama in Hindi):

अभी तक आपने इस लेख में कपालभाति प्राणायाम क्या है,इसे कैसे करते हैं आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की,अब आगे इस लेख में आपको कपालभाति के फायदे के बारे में जानकारी दी जाएगी।लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें की ये किसी भी बीमारी को ठीक करने का परमानेंट इलाज नहीं है।

1.किडनी रोग में कपालभाति प्राणायाम के लाभ:

किडनी शरीर के अतिरिक्त पानी के साथ बॉडी में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। इस समय खराब लाइफस्टाइल औरर खानपान के कारण कम उम्र में ही किडनी संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जो आगे चल किडनी फेल होने का कारण बन जाता है। किडनी को ठीक रखने के लिए कपालभाति प्राणायाम को एक बेहतर विकल्प माना जा सकता हैं , योग विशेषज्ञ के अनुसार इस प्राणायाम को नियमित अभ्यास से हम अपने किडनी और लिवर दोनो को मजबूत बना सकते हैं।

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2.डिप्रेशन के लिए कपालभाति लाभकारी:

तनाव हर किसी के जीवन में होता है,लेकिन अगर ये तनाव अगर लंबे समय तक रहे और आपके दिमाग में नकारात्मक सोच आने लगे तो ऐसे में संभावना बढ़ जाती हैं कि आप डिप्रेशन में हो।डिप्रेशन को ठीक करने के लिए कपालभाति को एक बेहतर विकल्प माना जा सकता हैं। क्योंकि यह आपके तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने में मदद करता है और आपको आराम और शांति महसूस कराता है। यह नकारात्मक विचारों पर अंकुश लगाने में भी मदद करता है। यह अवसाद को दूर रखता है, तनाव से राहत दिलाने में मदद करता है और आपको सकारात्मकता से भरकर आराम प्रदान करता है।

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3.डायबीटीज के लिए कपालभाति लाभकारी:

मधुमेह के रोगियों के लिए हमारे योगशास्त्र में अनेकों योगाभ्यास दिए गए हैं, जिसमे कपालभाती प्राणायाम का नाम भी शामिल हैं, क्योंकि इस प्राणायाम को करने से पैंक्रियाज के बीटा सेल्स दोबारा एक्टिव हो जाते हैं। जिससे तेजी से इंसुलिन बनने लगता है, जो मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता हैं।


4.पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में कपालभाति लाभकारी:

गलत खानपान और अनियमित जीवनशैली के कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है जिसकी वजह से गैस, एसिडिटी,कब्ज जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है अपने पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए कपालभाति प्राणायाम को एक बेहतर विकल्प के रूप में माना जा सकता है, योग विशेषज्ञ के अनुसार इस प्राणायाम को नियमित रूप से अभ्यास करने से पेटों के अंगों की अच्छे से मालिश हो जाती है जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और हमें पेट से संबंधित बीमारियो का खतरा कम हो जाता हैं।

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5.स्वसन प्रणाली के लिए कपालभाति लाभकारी:

श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए कपालभाति प्राणायाम को बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता है एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार अनुलोम विलोम और कपालभाति प्राणायाम को नियमित रूप से करने से श्वसन प्रणाली मजबूत और फेफड़े की कार्यक्षमता में सुधार होता है, इस श्वास अभ्यास का नियमित रूप से अभ्यास करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन समस्याओं से राहत मिल सकती है। कपालभाति आपके फेफड़ों को मजबूत बनाता है और उनकी क्षमता को बढ़ाता है।

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6.चेहरे पर चमक लाने के लिए कपालभाति लाभकारी:

चेहरे पर पिंपल, दाग, धब्बे मुंहासे यह सभी हमारे चेहरे की खूबसूरती को छुपा देते हैं,जिस के कारण से हमारा आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है और हमें सबके सामने जाने में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता हैं। इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कपालभाति प्राणायाम को एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है योग विशेषज्ञ की माने तो इस प्राणायाम को नियमित अभ्यास से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल आते है,जिससे हारमोंस बैलेंस होते है और हमारे शरीर में ब्लड सरकुलेशन सही तरीके से होता हैं। 


7.पेट की चर्बी को कम करने में कपालभाति लाभकारी:

पेट की चर्बी बढ़ने के साथ ही साथ आपके शरीर में कई सारी नई बीमारियो जैसे,ब्लड प्रेशर ,मधुमेह,हार्ट संबंधी बीमारियो,को जन्म देता है।इन सभी समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है एक हेल्थी डाइट चार्ट,और थोड़ा योगाभ्यास। योगाभ्यास की बात करे तो कपालभाति यह विधि आपकी प्रतिरक्षा, चयापचय दर को बढ़ाती है, जिससे तेजी से वजन घटाने में सहायता मिलती है। प्राणायाम के नियमित अभ्यास से वजन को नियंत्रित किया जा सकता हैं, यह ब्रीथिंग एक्सरसाइज शरीर में चर्बी या फैट की मात्रा को नियंत्रित करने का काम करती है। जिसके कारण से बढ़ते वजन को कम किया जा सकता 

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कपालभाति प्राणायाम करने से पहले जान ले ये जरूरी बातें:कपालभाति प्राणायाम कब करें,इसके फायदे और नुकसान।

8.आंखों के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम (kapalbhati Pranayama for eyes in Hindi):

आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स आने से हमारी आंखो के साथ ही साथ हमारा चेहरा भी दिखने मे भद्दा लगता है,इसे ठीक करने के लिए 

कपालभाति प्राणायाम को आंखों के लिए फायदेमंद माना जाता हैं,क्योंकि इस प्राणायाम को नियमित रूप से करने से शरीर के हर अंग में अच्छी तरह से रक्त प्रवाह होते हैं और इसके साथ ही शरीर के हर पल्स को खोलता है जिससे ये आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद है,अतः इस प्राणायाम को नियमित करने से आंखें के कमजोर होने की समस्या नहीं होती हैं, यह आंखों से तनाव दूर करता है और काले घेरे मिटाता है।


9.एकाग्रता और याददाश्त में सुधार अनुलोम विलोम प्राणायाम:

अगर आपको भी बार–बार भूलने की बीमारी है या फिर आपका पढ़ाई या किसी और चीजों में आपका ध्यान एकाग्र नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में कपालभाति प्राणायाम आपके लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकता हैं,कपालभाति करने व्यक्ति को सोचने समझने में आसानी होती है और कार्यकुशलता बढ़ती है. इसके अलावा एकाग्रता बढ़ती है के नियमित अभ्यास से संज्ञानात्मक कार्य में वृद्धि होती है, एकाग्रता में सुधार होता है और याददाश्त बढ़ती है।कुल मिलाकर, कपालभाति प्राणायाम बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए एक उत्कृष्ट अभ्यास है, यह आपके मस्तिष्क को फिर से जीवंत करता है और आपकी नसों को ऊर्जावान बनाता है।

कपालभाति प्राणायाम करने से पहले जान ले ये जरूरी बातें:कपालभाति प्राणायाम कब करें,इसके फायदे और नुकसान।

10.इम्यून सिस्टम के लिए कपालभाति लाभकारी:

प्रतिदिन नियमित तौर पर योगासन करने से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इन्हीं की वजह से रोग से प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है। जब हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है कि कोई वायरस या कीटाणु हमें संक्रमित नहीं कर पाता है। हमारे शरीर की रोगों से लड़ने वाली यह प्रणाली उसे स्वमेय खत्म कर देती है।


11.लो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में कपालभाति लाभकारी:

कपालभाति आसन में सांस लेने का यह उन्नत अभ्यास रक्त में कार्बनडाई ऑक्साइज लेवल को कम करने में मदद करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है. इस श्वास तकनीक में 'सक्रिय सांस छोड़ना और निष्क्रिय सांस लेना' शामिल है और शरीर में लो ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने में मदद करता है. यह अभ्यास आपके शरीर में चक्रों को साफ़ और सक्रिय करता है।

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कपालभाति प्राणायाम के नुकसान (Disadvantages of Kapalabhati Pranayama in Hindi):

जबकि कपालभाति प्राणायाम को आम तौर पर एक लाभकारी साँस लेने का व्यायाम माना जाता है, इसके कुछ संभावित नुकसान या सावधानियाँ हैं जिनसे सावधान रहना चाहिए:

कपालभाति प्राणायाम करने से पहले जान ले ये जरूरी बातें:कपालभाति प्राणायाम कब करें,इसके फायदे और नुकसान।

 1. उच्च तीव्रता वाली श्वास: 

कपालभाति प्राणायाम में तेजी से और जोरदार साँस छोड़ना शामिल है, जो अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन स्थितियों वाले व्यक्तियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसी स्थिति वाले लोगों को इस अभ्यास को सावधानीपूर्वक करना चाहिए और एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लेना चाहिए।


 2. पेट क्षेत्र पर दबाव:

इस प्राणायाम तकनीक में ज़ोरदार साँस छोड़ने से पेट की मांसपेशियों और अंगों पर दबाव पड़ सकता है। जिन व्यक्तियों की हाल ही में पेट की सर्जरी हुई है या उन्हें हर्निया है, उन्हें किसी भी तनाव या जटिलताओं से बचने के लिए इस अभ्यास से बचना चाहिए या संशोधित करना चाहिए।


 3. चक्कर आना या चक्कर आना: 

कपालभाति प्राणायाम में तेजी से सांस लेने और जोर से छोड़ने के कारण कुछ व्यक्तियों को चक्कर या चक्कर महसूस हो सकता है। धीरे-धीरे शुरू करना, धीरे-धीरे तीव्रता बढ़ाना और एक योग्य योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में अभ्यास करना महत्वपूर्ण है।


 4. हाइपरवेंटिलेशन: 

तेज़ और ज़ोरदार सांस लेने के पैटर्न के कारण हाइपरवेंटिलेशन का खतरा होता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में असंतुलन हो सकता है। सलाह दी जाती है कि कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास संयमित तरीके से करें और इसके अत्यधिक या लंबे सत्र से बचें।


 5. कुछ स्थितियों के लिए विरोधाभास: कपालभाति प्राणायाम आमतौर पर उच्च रक्तचाप, हृदय रोग,हरनिया या गर्भावस्था के दौरान व्यक्तियों के लिए अनुशंसित नहीं है। यदि आपको कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य संबंधी चिंता है तो किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या प्रमाणित योग प्रशिक्षक से परामर्श करना आवश्यक है।


 किसी भी योगाभ्यास की तरह, अपने शरीर की बात सुनना, सावधानी से आगे बढ़ना और एक योग्य प्रशिक्षक या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से मार्गदर्शन लेना महत्वपूर्ण है, खासकर यदि आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है।


कपालभाति प्राणायाम कितनी देर तक करना चाहिए:

जो भी लोग इस प्राणायाम की शुरुआत करने जा रहे है ऐसे में उन लोगों को ये प्राणायाम तीस सेकंड एक मिनट से ज्यादा नहीं करना चाहिए। जब आप इस प्राणायाम को करने में एक्सपर्ट हो जाए तो आप इस प्राणायाम को अपनी क्षमता के अनुसार पंद्रह से बीस मिनट तक कर सकते हैं।

निष्कर्ष (conclusions):

योग का नियमित अभ्यास करने से हम शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से स्वस्थ रह सकते हैं,इस लेख में आपको कपालभाति प्राणायाम से संबंधी सभी विषयों पर जानकारी प्रदान करने की कोशिश की गई है, उम्मीद है कि आपको ये लेख पसंद आया होगा परंतु फिर भी अगर आप मुझसे स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी प्रश्न पूछना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद!

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