Ads

ऊर्जा को अनलॉक करना: वृक्षासन शरीर और दिमाग को कैसे ऊर्जावान बनाता है

योगासन का नियमित रूप से अभ्यास आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए विशेष सहायक हो सकती है। योगासनों का अभ्यास करना बहुत ही आसान होता हैं, इस आसन के अभ्यास से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरीके के लिए विशेष फायदेमंद माना जाता है। योग कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, योग विशेषज्ञ सभी आयु वर्ग के लोगों को नियमित रूप से अपने दिनचर्या में योगासनों को शामिल करने की सलाह देते हैं, आज हम इस लेख में ऐसे ही महत्वपूर्ण आसन के बारे में बात करेंगे जिसका नाम है “वृक्षासन वृक्षासन एक ऐसा योग है जिसके नियमित अभ्यास से पैर और हाथों की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जो लंबाई बढ़ाने में बेहद ही फायदेमंद होता है, इस लेख में हम आपके लिए वृक्षासन से संबंधित सभी विषयों पर विस्तार पूर्वक जानकारी देने की कोशिश करेंगे।

    ऊर्जा को अनलॉक करना: वृक्षासन शरीर और दिमाग को कैसे ऊर्जावान बनाता है

    वृक्षासन की परिभाषा (Definition of Vrikshasana in Hindi):–

    वृक्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है, यह संस्कृत के दो शब्दो (वृक्ष+आसन) से मिलकर बना है, जिसमे वृक्ष का तात्पर्य होता हैं पेड़ और आसन का मतलब होता हैं, मुद्रा या स्थिति
    इस आसन का नाम वृक्षासन इसलिए कहा गया क्योंकि इस आसन को करते वक्त योगी का शरीर अंतिम अवस्था में वृक्ष के समान प्रतीत होता है।
    वृक्षासन खड़े होकर किए जाने वाले मूल योग आसनों में से एक है। वृक्षासन हठयोग का शुरुआती लेवल का आसन है, शरीर की बेहतर स्ट्रेचिंग के साथ रक्त संचार को ठीक रखने और मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने में रोजाना वृक्षासन योग करने के लाभ हो सकते हैं। 
    इसे अंग्रेजी में ट्री पोज (tree pose) के नाम से जाना जाता हैं।
    हिंदू धर्म में, इस मुद्रा का प्रयोग ऋषियों द्वारा तपस्या के रूप में किया जाता था। वृक्षासन एक प्राचीन योग मुद्रा है। इसका साक्ष्य सातवीं शताब्दी ई.पू. के मल्लापुरम में एक पुराने चट्टान में स्थित मंदिर में वृक्षासन के समान मुद्रा में एक व्यक्ति देखा जाता है। 

    वृक्षासन करने की विधि (Vrikshasana method in Hindi):-

    किसी भी आसन का उचित लाभ पाने के लिए आवश्यक है की उस आसन को सावधानी पूर्वक और सही तरीके से किया जाय,आज हम इस लेख में वृक्षासन करने की विधि के बारे में चर्चा करेंगे।

    ऊर्जा को अनलॉक करना: वृक्षासन शरीर और दिमाग को कैसे ऊर्जावान बनाता है

    Step:1- वृक्षासन करने से पहले एक स्वच्छ शांत और हवादार वातावरण का चुनाव करे।

    Step:2- एक समतल जमीन या योग मैट पर दोनों पांव व हाथ मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं।

    Step:3- अपने दाए पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाएं पैर की एड़ी को बायीं जांघ के मूल में रखें । पांव को मोड़ने के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं।

    Step:4- दोनों हाथ कंधे के बराबर ऊंचाई पर फैलाकर हथेलियों का रुख आसमान की ओर करें।

    Step:5- जब आपका शरीर आपके बाएं पैर पर संतुलित हो जाए, तो लंबी सांस लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर नमस्कार की मुद्रा मिला लें

    Step:6- शरीर को स्थिर रखने के लिए श्वास को नियंत्रित करें व आंखो को एक ¨बदु पर केंद्रित करें। अपनी क्षमता के अनुसार कुछ क्षण तक इस अवस्था में बने रहें।

    Step:7- वापस प्रारंभिक अवस्था में आने के लिए उन्ही स्टेप्स को दोहराएं ।

    Step:8- अब इस आसन का अभ्यास  दूसरे पांव से दोहराएं।

    वृक्षासन करने से पूर्व ध्यान देने योग्य बातें:–

    वृक्षासन करने से पूर्व आप निम्न बातों का विशेष ध्यान दे।
    • इस आसन को करने के लिए सुबह का समय उत्तम माना जाता है, आप इस आसन को सुबह के समय खाली पेट कर सकते है।
    • वृक्षासन करते वक्त आपकी आंखें खुली रहनी चाहिए । ऐसा इसलिए ताकि आप शरीर का संतुलन करने के साथ ही आसपास की गतिविधियों को देखते हुए खुद को स्थिर बनाए रख सकें।
    • इस आसन को करते समय एक टांग पर सिर्फ एक मिनट तक ही खड़े रहने की सलाह दी जाती है। इसके बाद ये आसन दूसरी टांग पर करना चाहिए। हर टांग पर कम से कम 5 बार ये आसन करना चाहिए।  
    • स्तर : साधारण 
    • प्रकार : हठ योग
    • दोहराव : हां, एक बार दाए पैर से दूसरे बार बाए पैर से।
    • खिंचाव : कंधे,मांसपेशीयों और पसलियों पर
    • मजबूत बनाता है : रीढ़ की हड्डी,पैर।

    शुरुआती लोगों के लिए वृक्षासन करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स (Important tips for beginners to do Vrikshasana in Hindi):–


    अगर आप एक शुरुआती लोग हैं या आप पहली बार वृक्षासन को करने जा रहे हैं तो ऐसे में आप लोगों के लिए वृक्षासन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आप नीचे बताए गए निम्न टिप्स को फॉलो करके इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं।
    • वृक्षासन करने के लिए खड़े होकर बैलेंस बनाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, ऐसे में आप दीवार या फिर किसी व्यक्ति के द्वारा सहारा ले सकते हैं।
    • वृक्षासन करते वक्त अपने पैरो को जांघ पर टिकना पड़ता है, अगर आप इस तरीके को करने में असमर्थ है, तो आप अपने पैरो को घुटनों पर या इसके और नीचे भी टिका सकते है।
    • वृक्षासन करते वक्त अपने हाथो को भी संतुलित करना पड़ता है, परंतु अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो आप अपने हाथों को कमर या फिर कंधो के पास रख सकते है।
    • वृक्षासन करते वक्त यदि इस अवस्था में रहने पर आपको पैर में दर्द महसूस हो तो इस आसन को बीच बीच में कुछ समय आराम करने के बाद दुबारा करे।
    • इस आसन को करते वक्त अपने शरीर पर अत्यधिक दबाव ना डाले वरना आपको अंदरूनी चोट भी आ सकती है।
    • वृक्षासन करते वक्त अपने क्षमता के अनुसार इस आसन को करे और धीरे धीरे इस आसन की समय गति को बढ़ाते जाए।

    वृक्षासन के फायदे (Benefits of Vrikshasana in Hindi):-

    वृक्षासन, जिसे ट्री पोज़ के नाम से भी जाना जाता है, एक खड़े होकर किया जाने वाला योग आसन है जो शरीर और दिमाग के लिए कई लाभ प्रदान करता है। यहाँ वृक्षासन के लाभों का गहन संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

    ऊर्जा को अनलॉक करना: वृक्षासन शरीर और दिमाग को कैसे ऊर्जावान बनाता है

     1. बेहतर संतुलन और स्थिरता: 

    एक पैर पर खड़े होकर और अपने गुरुत्वाकर्षण के केंद्र को ढूंढकर, वृक्षासन समग्र संतुलन और स्थिरता में सुधार करने में मदद करता है। यह उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो खेल या गतिविधियों में शामिल होते हैं जहां संतुलन महत्वपूर्ण है।


     2. मजबूत पैर और कोर:

    पैरो और कोर को मजबूत बनाने में वृक्षासन लाभकारी माना जाता हैं, योग विशेषज्ञ के अनुसार वृक्ष मुद्रा के लिए आपको क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग और पिंडलियों सहित अपने खड़े पैर की मांसपेशियों को शामिल करने की आवश्यकता होती है। यह पेट की गहरी मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के साथ की मांसपेशियों सहित मुख्य मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद करता है।

     3. लचीलेपन में वृद्धि:

     जैसे ही आप एक पैर को विपरीत पैर की आंतरिक जांघ के खिलाफ रखते हैं, वृक्षासन कूल्हों, कमर और आंतरिक जांघों में लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करता है। नियमित अभ्यास से इन क्षेत्रों में धीरे-धीरे आपके लचीलेपन में सुधार हो सकता है।

    4. बेहतर फोकस और एकाग्रता: 

    वृक्षासन जैसी संतुलन आसन को करने के लिए फोकस और एकाग्रता की आवश्यकता होती है, क्योंकि मुद्रा को बनाए रखते हुए आपको अपनी आंतरिक स्थिरता खोजने की आवश्यकता होती है। नियमित अभ्यास आपकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ा सकता है और शांत और एकाग्र मन विकसित कर सकता है। ये आसन विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी हो सकता है, क्योंकि इस आसन को करते वक्त बैलेंस और फोकस दोनों की जरूरत होती है, जिससे विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सके। इस आसन को करने से लंबाई में भी वृद्धि होती हैं।

     5. तनाव से राहत:

    अगर आप भी खुद को तनावग्रस्त महसूस करते है तो ऐसे में वृक्षासन आपके लिए लाभकारी हो सकता है, वृक्षासन का शरीर और दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे तनाव और चिंता को कम करने में मदद मिलती है। जैसे ही आप अपने खड़े पैर के माध्यम से जड़ें जमाते हैं, आप स्थिरता और आंतरिक शांति की भावना को प्रोत्साहित करते हैं।

     6. बेहतर मुद्रा:

     वृक्षासन जैसे संतुलन आसन मुख्य मांसपेशियों में ताकत विकसित करके और रीढ़ की हड्डी के उचित संरेखण को प्रोत्साहित करके आपकी मुद्रा को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। यह सीधी मुद्रा को बढ़ावा देता है और पीठ के निचले हिस्से पर तनाव को कम करने में मदद करता है।

     7. शारीरिक जागरूकता में वृद्धि: 

    वृक्षासन का अभ्यास करने से शारीरिक जागरूकता बढ़ती है, क्योंकि आप मुद्रा के दौरान अपने शरीर की संवेदनाओं और संरेखण पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह बढ़ी हुई शारीरिक जागरूकता आपकी दैनिक गतिविधियों में शामिल हो सकती है और आपको अधिक अनुग्रह और दक्षता के साथ आगे बढ़ने में मदद कर सकती है।

     8. स्फूर्तिदायक:

    अगर आप दिनभर अपने आपको कमजोर या थका हुआ महसूस करते है तो ऐसे में वृक्षासन आपके लिए लाभकारी हो सकता हैं, क्योंकि वृक्षासन अपने स्फूर्तिदायक और स्फूर्तिदायक प्रभावों के लिए जाना जाता है। खड़े पैर को जमीन पर टिकाकर और सिर के ऊपर से ऊपर की ओर पहुंचकर, यह मुद्रा ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने और जीवन शक्ति की भावना को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।


     सभी योग मुद्राओं की तरह, वृक्षासन का अभ्यास उचित संरेखण के साथ और एक योग्य योग शिक्षक के मार्गदर्शन में करना महत्वपूर्ण है। विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों या चोटों वाले कुछ व्यक्तियों को इस मुद्रा को संशोधित करने या इससे बचने की आवश्यकता हो सकती है। हमेशा की तरह, अपने शरीर की सुनें और अपनी सीमाओं के प्रति जागरूकता और सम्मान के साथ अभ्यास करें।


    वृक्षासन के नुकसान (Disadvantages of Vrikshasana in Hindi):-


    वृक्षासन, जिसे ट्री पोज़ के रूप में भी जाना जाता है, एक खड़े होकर योग मुद्रा है जिसमें एक पैर पर संतुलन बनाना और दूसरे पैर को आंतरिक जांघ या पिंडली पर टिकाना शामिल है। हालाँकि यह मुद्रा कई लाभ प्रदान करती है, इसके कुछ नुकसान और सावधानियाँ भी हैं जिनसे सावधान रहना चाहिए:

    ऊर्जा को अनलॉक करना: वृक्षासन शरीर और दिमाग को कैसे ऊर्जावान बनाता है

     1. गिरने का खतरा

    एक पैर पर संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर शुरुआती लोगों या खराब संतुलन वाले व्यक्तियों के लिए। वृक्षासन का अभ्यास करते समय गिरने या स्थिरता खोने का जोखिम रहता है। सुरक्षा के लिए यदि आवश्यक हो तो दीवार के पास या कुर्सी या दीवार के सहारे अभ्यास करना महत्वपूर्ण है।

     2. घुटने या टखने में खिंचाव: 

    घुटने या टखने के जोड़ पर अत्यधिक दबाव डालने से संभावित रूप से तनाव या चोट लग सकती है। घुटने या टखने की समस्या वाले व्यक्तियों को वृक्षासन का अभ्यास करते समय सावधान रहना चाहिए और उन्हें मुद्रा को संशोधित करने या इसे पूरी तरह से टालने की आवश्यकता हो सकती है।

     3. मांसपेशियों में असंतुलन:

     वृक्षासन के लिए मुख्य रूप से खड़े पैर में ताकत और स्थिरता की आवश्यकता होती है। यदि बाएं और दाएं पैरों की ताकत के बीच एक महत्वपूर्ण असंतुलन है, तो इस मुद्रा का बार-बार अभ्यास करने से उन विषमताओं में वृद्धि हो सकती है।


     वृक्षासन की सावधानियां (Precautions of Vrikshasana in Hindi):-

    अभी तक आपने इस लेख में वृक्षासन कैसे करते हैं,वृक्षासन के फायदे, वृक्षासन के नुकसान आदि के बारे में पढ़ा, अब वृक्षासन करते वक्त निम्न सावधानी की जरूरत होती हैं।

    ऊर्जा को अनलॉक करना: वृक्षासन शरीर और दिमाग को कैसे ऊर्जावान बनाता है

     1. वार्म-अप:

     वृक्षासन का प्रयास करने से पहले, शरीर को गर्म करना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से पैरों और कूल्हों को, हल्के स्ट्रेचिंग या अन्य खड़े आसन जैसे ताड़ासन (पर्वत मुद्रा) या उत्थिता त्रिकोणासन (विस्तारित त्रिकोण मुद्रा) के साथ।

    2. रक्त चाप:

     यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर, और लो ब्लड प्रेशर का शिकार है। तो आप इस आसन को ना करे, या फिर एक बार योग विशेषज्ञ के सलाह पर इस आसन का अभ्यास करें।

    3. सिर दर्द की समस्या होने पर:

     यदि आपके सिर में दर्द, तो वृक्षासन ना करे, यदि आप अनिद्रा से पीड़ित हैं, तो वृक्षासन ना करें जिन्हें वर्टीगो यानी सिर का चक्कर आता हो, तो भी इस योग को करने से बचना चाहिए।

     4. पैर को घुटने के जोड़ पर रखने से बचें:

     घुटने के तनाव के जोखिम को कम करने के लिए, पैर को सीधे घुटने के जोड़ पर रखने से बचें।  इसके बजाय, पैर को घुटने के ऊपर या नीचे भीतरी जांघ या पिंडली पर रखें। गठिया की समस्या होने पर भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।

     4. संशोधित बदलाव के साथ शुरुआत करें:

     यदि एक पैर पर संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है, तो संतुलन में सुधार होने तक उठे हुए पैर के पंजों को सहारा देने के लिए जमीन को छूते हुए संशोधित बदलाव के साथ शुरुआत करें।

     5. समर्थन के लिए सहारा का उपयोग करें:

     वृक्षासन का अभ्यास करते समय, विशेष रूप से शुरुआती चरणों में, संतुलन और स्थिरता बनाए रखने में मदद के लिए दीवार, कुर्सी या योग ब्लॉक के समर्थन का उपयोग करें।

    6. योग विशेषज्ञ की देखरेख में इस आसन को करें:

    किसी भी प्रकार का योग किसी अच्छे ट्रेनर या फिर योग गुरु की देखरेख में ही करना चाहिए। किसी भी प्रकार के योग को जबरन नहीं करना चाहिए, जितनी क्षमता हो उतनी देर ही योग करें तो बेहतर होगा। योग को सही मुद्रा में और सही जानकारी के साथ ही करना चाहिए।

    7. मोटापे की समस्या:

    अगर किसी को मोटापे की समस्या है, तो उसे इस आसन को करने से परहेज करना चाहिए। या फिर योग विशेषज्ञ के देखरेख में वृक्षासन का अभ्यास करें।

    8. गर्भावस्था के दौरान:

    अगर आप एक गर्भवती स्त्री है तो ऐसे में गर्भावस्था में योग को अकेले नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिला को वृक्षासन करने से पहले

     किसी भी योग मुद्रा की तरह, अपने शरीर की बात सुनना, अपनी सीमा के भीतर अभ्यास करना और यदि आपको कोई विशिष्ट चिंता या चिकित्सीय स्थिति है तो एक योग्य योग शिक्षक से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।


    वृक्षासन करने से पहले यह आसन करें - (Vrikshasana karne se pahle ye aasan kare in Hindi)

    वृक्षासन करने से पहले  आप निम्न आसन कर सकते है, इन आसन को करने से शरीर में लचीलापन आ जाता है, जिससे आपकी बॉडी इस आसन को करने के लिए तैयार हो जाएगी।

    • बद्ध कोणासन 
    • उत्थित त्रिकोणासन
    • वीरभद्रासन 

    वृक्षासन करने के बाद आसन - Vrikshasana karne ke baad ye aasan kare in Hindi

    वृक्षासन करने के बाद आप निम्न  आसान कर सकते हैं।

    • उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन 
    • अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन 

    वृक्षासन कब करना चाहिए?

    वृक्षासन करने का सही समय खली पेट सुबह का समय माना जाता हैं, क्योंकि सुबह के समय वातारण शांत और आपका पेट एकदम खाली रहता है,जिसके कारण आपको इस आसन का उचित लाभ मिलता है, परंतु अगर आप इस आसन को सुबह के वक्त करने में असमर्थ है, तो आप इस आसन को शाम के वक्त, या फिर किसी भी समय कर सकते है, परंतु इस बात का ध्यान रहे कि जब भी आप इस आसन को करें तो आप इस आसन को करने के चार से पांच घंटे पहले कुछ भी ना खाया हो और इस आसन को करने के तीस मिनट पश्चात ही कुछ खाए पिए।

    ऊर्जा को अनलॉक करना: वृक्षासन शरीर और दिमाग को कैसे ऊर्जावान बनाता है

    नोट (Note ):-

    वृक्षासन से संबंधित सभी बातों को ध्यान में रखकर आप इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं, परंतु फिर भी अगर आप इस आसन को करने में असमर्थ है, तो आप योग विशेषज्ञ या गुरु की देखरेख में वृक्षासन का अभ्यास कर सकते हैं।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

    वृक्षासन कितनी देर तक करना चाहिए?

    वृक्षासन को धारण करने की अवधि व्यक्ति के अभ्यास के स्तर और आराम के आधार पर भिन्न हो सकती है। शुरुआती लोग प्रत्येक पैर पर लगभग 30 सेकंड से 1 मिनट तक मुद्रा बनाए रखने से शुरुआत कर सकते हैं। नियमित अभ्यास और बेहतर स्थिरता के साथ, यदि चाहें तो अवधि को धीरे-धीरे 2-3 मिनट या इससे भी अधिक तक बढ़ाया जा सकता है। अपने शरीर की बात सुनना और अपनी सीमा से आगे न बढ़ना महत्वपूर्ण है।

    वृक्षासन से कौन सा रोग ठीक होता है?

    वृक्षासन का उद्देश्य विशिष्ट बीमारियों का इलाज नहीं है,बल्कि यह किसी व्यक्ति के समग्र कल्याण के लिए विभिन्न लाभ प्रदान कर सकता है। वृक्षासन जिन स्थितियों या मुद्दों में मदद कर सकता है उनमें संतुलन और फोकस में सुधार, पैरों और कोर की मांसपेशियों को मजबूत करना, अच्छी मुद्रा को बढ़ावा देना, लचीलेपन को बढ़ाना, तनाव को कम करना और समग्र शरीर की जागरूकता बढ़ाना शामिल है।

    वृक्षासन कैसे करें?

    वृक्षासन (वृक्ष मुद्रा) करने के लिए, आप इन चरणों का पालन कर सकते हैं:

     1. खड़े होकर शुरुआत करें, अपने पैरों को कूल्हे-चौड़ाई पर अलग रखें और अपनी बाहों को अपनी तरफ रखें।

     2. अपना वजन अपने बाएं पैर पर डालें और अपना संतुलन बनाएं।

     3. अपने दाहिने घुटने को मोड़ें और अपने दाहिने पैर के तलवे को अपनी आंतरिक बाईं जांघ पर रखें। यदि इसे जांघ पर रखना बहुत चुनौतीपूर्ण लगता है, तो आप इसे पिंडली या टखने पर रख सकते हैं, लेकिन इसे सीधे घुटने के जोड़ पर रखने से बचें।

     4. एक बार जब आपका पैर सही स्थिति में आ जाए, तो अपने हाथों को प्रार्थना की स्थिति (अंजलि मुद्रा) में अपने हृदय केंद्र पर लाएँ या उन्हें ऊपर की ओर फैलाएँ।

     5. संतुलन बढ़ाने के लिए अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, अपने सामने एक स्थिर बिंदु पर अपनी दृष्टि केंद्रित करें। 

     6. वांछित अवधि तक मुद्रा बनाए रखते हुए धीरे-धीरे और लगातार सांस लें।

     7. अपने दाहिने पैर को वापस जमीन पर लाकर और खड़े होने की स्थिति में लौटकर धीरे-धीरे मुद्रा छोड़ें। 

     8. दूसरी तरफ भी यही चरण दोहराएं, अपने दाहिने पैर पर संतुलन बनाए रखें और अपने बाएं पैर को अपनी आंतरिक दाहिनी जांघ के खिलाफ रखें।

    निष्कर्ष (conclusions):-

    योग का हमारे जीवन में कितना महत्व है ये बात आपको इस लेख को पढ़कर समझ में आ गया होगा, इस लेख में आपको वृक्षासन से संबंधित सभी विषयों पर विस्तार पूर्वक जानकारी देने की कोशिश की गई है, उम्मीद है कि आपको ये लेख पसंद आया होगा परंतु फिर भी अगर आप मुझसे स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी प्रश्न या इस लेख से संबंधित कुछ सुझाव साझा करना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ या बता सकते है। मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद!


    इसे भी पढ़ें:–

    एक टिप्पणी भेजें

    0 टिप्पणियाँ