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अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का सही तरीका: इसके 11 लाभ,नुकसान,अर्ध मत्स्येंद्रासन कब करे।

  योग को आज पूरी दुनिया ने लोहा माना है, योग एक ऐसी क्रिया है,जिसे अगर आप अपने जीवनशैली में शामिल कर लेते है तो आप शारीरिक और मानसिक दोनो तरीके से स्वस्थ रह सकते हैं,योग में इतनी ताकत है कि इसके द्वारा कई गंभीर बीमारियो को नियंत्रित किया जा सकता हैं,आयुष मंत्रालय भी लोगों को योग करने की सलाह देता है। योग न केवल आपकी फिटनेस जर्नी में मदद करता है बल्कि ये बॉडी को फ्लेक्सिबल बनाने के साथ-साथ चेहरे की चमक भी बढ़ाता है।योग हमारे समग्र शरीर के विकास में सहायक होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, योग के दौरान अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास करने और ध्यान को शामिल करने से शरीर के ऊर्जा स्तर में संतुलन लाया जा सकता है,इस लेख में आपको अर्ध मत्स्येन्द्रासन से संबंधित सभी विषयों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की जाएगी।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का सही तरीका: इसके 11 लाभ,नुकसान,अर्ध मत्स्येंद्रासन कब करे।


अर्ध मत्स्येन्द्रासन क्या है (ardha Matsyendrasana in Hindi):–

अर्धमत्स्येन्द्र का अर्थ है शरीर को आधा मोड़ना या घुमाना अर्ध मत्स्येंद्रासन बैठकर किया जाने वाला आसन है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन संस्कृत भाषा का शब्द है,इस शब्द की अगर संधि विच्छेद किया जाय तो वो इस प्रकार से हो सकता हैं।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन=(अर्ध+मत्स्य+इंद्र+आसन)

जिसमे अर्ध का मतलब होता हैं,आधा,मत्स्य का तात्पर्य होता हैं मीन या मछली,इंद्र का मतलब होता हैं राजा और आसन का मतलब होता है,मुद्रा या स्थिति।

इस आसन को वक्रासन (Vakrasana) के नाम से भी जाना जाता हैं,जिसमे वक्र का मतलब होता हैं मुड़ा हुआ। इस आसन को दो अन्य नामो हाफ लॉर्ड ऑफ द फिश पोज और हाफ स्पाइनल ट्विस्ट( half spinal twist pose) से भी जाना जाता हैं। यह एक सिटिंग स्पाइनल ट्विस्ट है जो विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। यह आसन हठ योग के बारह आसनो में गिना जाता हैं,इस आसन को करना थोड़ा सा मुश्किल होता हैं,परंतु निरंतर अभ्यास करने से इस आसन को करना आसान हो जाता हैं।इस आसन को नियमित करने से पेट के सभी अंग किडनी,लीवर, ,पैनक्रयाज प्रभावित होते हैं,इस आसन से हमारे शरीर में रसायन निर्माण का संतुलन बना रहता हैं,और इस आसन से शुगर लेवल को भी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता हैं।

उत्पत्ति:

अर्ध मत्स्येन्द्रासन की रचना का श्रेय गोरखनाथ के गुरु स्वामी मत्स्येन्द्रनाथ को जाता हैं जो 9वीं शताब्दी के योग गुरु थे। मत्स्येंद्रनाथ वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने हठ योग की स्थापना की थी।।ऐसा माना जाता हैं कि वे इसी मुद्रा में ध्यान करते थे। अर्ध मत्स्येन्द्रासन मत्स्येन्द्रासन के आधे कार्यों से लोकप्रिय हो गया है। 

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने से पहले महत्वपूर्ण बातें:

स्तर: बुनियादी

शैली: हठ योग

समय: 30 से 60 सेकंड

दोहराव: हां (इसे पहले एक बार दाईं ओर और फिर बाईं ओर करें)

खिंचाव : कूल्हे, कंधे, गर्दन,पैर।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन की विधि (The method of Ardha Matsyendrasana in Hindi):

यह आसन सही मात्रा में फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है अथवा जननांगों के लिए अत्यंत ही लाभकारी है। यह आसन रीढ़ की हड्डी से सम्बंधित है इसीलिए इसे ध्यान पूर्वक किया जाना चाहिए।किसी भी आसन का उचित लाभ पाने के लिए यह जरूरी है कि उस आसन को सही तरीके से किया जाय,इस लेख में आपको अर्ध मत्स्येन्द्रासन क्या है के बारे में ऊपर लेख में बताया गया है,अब आगे हम अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने की विधि के बारे में चर्चा करेंगे।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का सही तरीका: इसके 11 लाभ,नुकसान,अर्ध मत्स्येंद्रासन कब करे।

  • इस आसन को की शुरुआत करने से पहले एक स्वच्छ और हवादार वातावरण का चयन करें।
  • अब योग मैट पर बैठ जाए और अपने दोनो पैरो को सामने की ओर सीधा फैलाकर रखे।
  • दोनों पैरों को साथ में रखें, आपके रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रहे।
  • अपने बाएँ पैर को मोडे और बाएँ पैर की एड़ी को दाहिने कूल्हे के पास रखें।
  • अब दाए पैर को मोड़ें और बाए घुटने के ऊपर से लाकर बाएं पैर को जमीन पर रखें।
  • दाए पैर के उपर से बाए हाथ को लायें और दाए पैर के अंगूठे को पकड़ें, अपने दाए हाथ को पीछे रखें।
  • अपने कमर, कंधे और गर्दन को दाहिनी तरफ से मोड़ते हुए दाहिने कंधे के ऊपर से देखने की कोशिश करे।ऊपर चित्र को देखे।
  • इसी अवस्था को आप अपनी क्षमता अनुसार 30-60 सेकेंड के लिए मुद्रा में रहें, और साधारण साँस लेते रहें।
  •  इस अवस्था में रहने के बाद साँस छोड़ते हुए, पहले दाहिने हाथ को ,उसके बाद कमर, छाती और फिर गर्दन को सामान्य अवस्था में लाए,उसके बाद आराम से सीधे बैठ जाएँ।
  • अब आप इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से यानी पैरो की प्रक्रिया बदलकर दोबारा ऊपर बताए गए विधि के अनुसार करे।

शुरुआती लोगों के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने की टिप (Tip for doing Ardha Matsyendrasana for beginners in Hindi):

अगर आप पहली बार अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने जा रहे हैं या फिर आपने इससे पहले इस आसन को नही किया है तो आप जैसे व्यक्तियों के लिए नीचे कुछ टिप्स शेयर किया गया है,जिससे आप लोगों को इस आसन को करने में मदद मिलेगी।

  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने से पहले आप कुछ हल्के आसन जैसे सुखासन,पवनमुक्तासन,बालासन आदि को कर सकते हैं,इससे आपकी बॉडी अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के लिए लचीली हो जाएगी।
  • आप अर्ध मत्स्येन्द्रासन करते वक्त अगर आप अपने पैर को कुल्हो के पास रखने में परेशानी हो तो ऐसे में आप तकिए का सहारा ले सकते हैं या फिर अपने पैर को सीधा रख सकते है।
  • अगर आप की कंधे ,गर्दन,और कमर को मोड़ने में परेशानी हो तो आप अपने शरीर के क्षमता के अनुसार ही बॉडी को मोडे ।
  • आप इस आसन को करते वक्त अगर अपने हांथ की अंगुलियों से अंगूठे को पकड़ने में असहज महसूस करे तो आप अपने हाथों को घुटनों पर रख सकते है,जबकि दूसरे हांथ। को जमीन पर रख सकते हैं।
  • अपने शरीर को बहुत ज्यादा खींचा तानी ना करे,इस आसन को अपने आरामदायक अवस्था के अनुसार ही करे।
  • आसन करते वक्त ध्यान को कही और न भटकाए,अपने मन को शांति और आसन पर एकाग्र रखने की कोशिश करे।
  • शुरुआत में इस आसन को करते वक्त अगर आप किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में इस आसन को करें तो ज्यादा बेहतर होगा।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ (Benefits of Ardha Matsyendrasana in Hindi):–

अभी तक आपने इस लेख में अर्ध मत्स्येन्द्रासन क्या है,अर्ध मत्स्येन्द्रासन की विधि के बारे में पढ़ा है,अब हम आगे इस लेख में जानेंगे की अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ क्या क्या है।लेकिन इस बात का ध्यान रहे की अर्ध मत्स्येन्द्रासन नीचे बताए गए सभी फायदे किसी बीमारी का पूर्ण तरीके से इलाज नहीं है।

1.मधुमेह रोगियों के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन फायदेमंद:

अर्ध मत्स्येन्द्रासन योग को मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद माना जाता हैं, मधुमेह होने का कारण शरीर में इन्सुलिन की कमी होना माना जाता है,योग विशेषज्ञ के अनुसार इस आसन को नियमित रूप से करने से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता हैं,क्योंकि इस आसन को करने से पैंक्रियास को स्वस्थ रखते हुए इन्सुलिन को बनने में मदद करता हैं,जिससे मधुमेह को कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता हैं,हालाकि इस आसन के साथ ही आपको सही तरीके की जीवनशैली और खान पान पर भी ध्यान देने की जरूरत है।


2.पेट की चर्बी कम करने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन फायदेमंद:

अक्सर लोगों में देखा गया है कि उनके शरीर का बाकी सभी भाग फिट लेकिन पेट बाहर की और लटका हुआ नजर आता है,ऐसे में पेट को चर्बी को कम करने के लिए सही खान पान के साथ योगाभ्यास की जरूरत है,हमारे योगशास्त्र में पेट की चर्बी को कम करने के लिए कई योगाभ्यास बताए गए है,ऐसे ही इन्ही आसनों में अर्ध मत्स्येन्द्रासन का नाम भी शामिल हैं,योग विशेषज्ञ के अनुसार पेट की चर्बी को कम करने के लिए नियमित रूप से इस आसन को करना चाहिए,इस आसन के अभ्यास से पेट की चर्बी को गलाने में अच्छी सफलता मिलती है।

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3.पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन फायदेमंद:

पाचन तंत्र  कमजोर होने पर पेट से संबंधित कई बीमारी जैसे गैस,एसिडिटी,कब्ज आदि की समस्या हो जाती हैं। पाचन शक्ति को मजबूत बनाने के लिए सही तरीके से खान पान,पर्याप्त पानी के साथ ही रोज नियमित रूप से योगाभ्यास की जरूरत है, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए हमारे योगशास्त्र में कई प्राणायाम और आसन दिए गए हैं,इन्ही आसनों में अर्ध मत्स्येन्द्रासन का नाम भी सम्मलित हैं,योग विशेषज्ञ के अनुसार इस आसन के नियमित अभ्यास से पेट की एक मोड़ में आने से पेट के अंगों की अच्छे से मालिश हो जाती है, जिससे पाचक रसों में वृद्धि होती है और पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है,इस आसन का अभ्यास करने से शरीर अधिक सक्रिय रहता है और भूख न लगने की समस्या भी दूर हो जाती है।

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4.किडनी और लिवर के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन फायदेमंद:

किडनी और लिवर हमारे शरीर के बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है,अगर ये अंग सही तरीके से नहीं कार्य करते है तो हमारी बॉडी के लिए ये अच्छे संकेत नही है,किडनी और लिवर दोनो को सुचारू रूप से चलने के लिए सही खान पान के साथ ही योगाभ्यास की जरूरत है,हमारे योगशास्त्र में इन दोनो अंगो को ठीक रखने के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन को लाभकारी माना जाता हैं,इस आसन का अभ्यास करने से किडनी, हृदय (heart),लिवर (liver),और प्लीहा (spleen) उत्तेजित होते हैं और अपना कार्य सुचारू एवं सही तरीके से करते हैं। इससे शरीर में कई तरीके के रोगों से सुरक्षा होती है।

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5.रीढ की हड्डी को मजबूत बनाने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन फायदेमंद:

रीढ की हड्डी को मजबूत बनाने के लिए योगाभ्यास में अनेक आसन का नाम सम्मलित हैं,इन्ही आसनों में अर्ध मत्स्येन्द्रासन का नाम भी शम्मलित हैं,योग विशेषज्ञ इस आसन को रीढ की हड्डी के लिए विशेष लाभकारी बताते है,इनके अनुसार इस आसन को नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी अधिक लचीला बनाता है साथ ही यह रीढ़ की नसों को टोन करता है और रीढ़ की हड्डी के काम करने के तरीके में सुधार करता है। इसके साथ ही यह आसन कंधे और गर्दन के लिए भी फायदेमंद होता है और शरीर को ऊर्जा से भर देता है।इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से शरीर लचीला बनता है और विशेष रूप से कूल्हे और रीढ़ की हड्डी लचीली होती है। 


6.विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन फायदेमंद:

शरीर के अंदर जमी गंदगी के कारण हम कई बीमारियों से ग्रसित हो सकते है, अर्ध मत्स्येन्द्रासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से शरीर के अंदर जमी गंदगी बाहर निकल आते हैं। जिससे शरीर में असमय बीमारियां नहीं होती हैं और शरीर की स्वस्थ और सुंदर रहता है। इस आसन के बारे में योग गुरु की माने तो प्रतिदिन सुबह इस आसन का अभ्यास करने से शरीर में जमा कचरा बाहर निकल आता है और पाचन क्रिया मजबूत होती है। इस आसन को करने से भोजन बहुत आसानी से पच जाता है, शरीर में कब्ज या भारीपन की समस्या नहीं होती है।अर्ध मत्स्येन्द्रासन का सही तरीके से अभ्यास करने से यह शरीर के अंदर की अतिरिक्त गर्मी (heat) को बाहर निकालने में भी मदद करता है 

7.श्वासनली को मजबूत करने में अर्धमत्स्येंद्रासन फायदेमंद:

बेहतर जीवन के लिए श्वासनली का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है,श्वासनली को मजबूत बनाने के लिए हमारे योगाभ्यास में अनेकों आसन शामिल हैं, इन्ही आसनों में अर्धमत्स्येंद्रासन का नाम भी सम्मलित हैं,अर्ध मत्स्येन्द्रासन श्वासनली को मजबूत करने में मदद कर सकता है।यह छाती को खोलने और फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने में भी मदद करता है।यह आसन आपके फुप्पी में वायु को बढ़ावा देता है और श्वासनली की क्षमता को बढ़ाता है।यह श्वासनली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है और श्वास लेने के दौरान सांस की गति को बढ़ा सकता है

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8.ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में अर्ध मत्स्येंद्रासन फायदेमंद:

ब्लड का सही तरीके से संचार ना होने पर हम कई सारी बीमारियो जैसे–ब्लड प्रेशर, हृदय रोग,चक्कर,घबराहट आदि समस्याएं हो सकती हैं,इन सभी समस्याओं से बचाने के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन फायदेमंद माना जाता हैं,इस आसन के अभ्यास से रक्त के संचलन में वृद्धि देखने को मिलती है, रक्त को शुद्ध करता है और आंतरिक अंगों को शुद्ध करने में मदद करता है। इस आसन से शरीर के सभी अंगों को रक्त की आपूर्ति होती है। इस आसन से श्रोणि क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाता है, साथ ही पोषक तत्व, और ऑक्सीजन को हमारे शरीर को प्रदान करता है,इस आसन के अभ्यास से प्रजनन प्रणाली के और मूत्र प्रणाली के स्वास्थ्य में सुधार आता है। यह आसन मूत्र पथ के संक्रमण को ठीक करने में भी मदद करता है।


9.पीठ दर्द के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन फायदेमंद:

पीठ या कमर में दर्द होने का कारण लंबे समय तक एक ही अवस्था में खड़े रहना या बैठे रहने के कारण हो सकता हैं,इस दर्द से आराम पाने के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन योग को लाभकारी माना जाता हैं, अर्धमत्स्येंद्रासन योग प्रतिदिन करने से पीठ, पेट की नलें, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि से नीचे के भाग, छाती की नाड़ियों को अच्छा खिंचाव मिलने से उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। यह आसन कशेरुकाओं के बीच से अकड़न और पीठ दर्द को दूर करने में मदद करता है।

यह आसन शरीर के एक तरफ की मांसपेशियों को खींचने में मदद करता है जबकि दूसरी तरफ की मांसपेशियों को संकुचित करता है। इस आसन को करने से पीठ में तनाव को कम करने में मदद मिलती है।

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10.पीरियड के लिए अर्ध मत्स्येंद्रासन फायदेमंद:

पीरियड्स सभी के लिए अलग-अलग होते हैं, कुछ महिलाओं को बहुत कम या कोई असुविधा नहीं होती है, अन्य को अत्यधिक शरीर में दर्द और गंभीर ऐंठन का अनुभव होता है,ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए हमारे योगाभ्यास में अनेको आसन को शामिल किया गया है,इन्ही आसनों में अर्ध मत्स्येंद्रासन का नाम भी शामिल हैं,योग गुरु कहते है कि अर्ध मत्स्येन्द्रासन का रोजाना अभ्यास करने से महिलाओं को माहवारी में होने वाली परेशानी या दर्द खत्म हो जाता है। मासिक धर्म संबंधी विकारों जैसे– पेट में दर्द,मरोड़,ऐंठन आदि के लिए भी यह आसन लाभकारी है,यह आसन शरीर में थकान होने से बचता है और साइटिका की समस्या को दूर करने में मदद करता है।

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11.तनाव को दूर करने में अर्ध मत्स्येंद्रासन फायदेमंद:

अगर आप शारीरिक रूप से स्वस्थ है,परंतु मानसिक रूप से परेशान है तो ऐसे में योगाभ्यास करने का कोई फायदा नही है,खुद को फिट रखने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनो रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है,हमारे योगाभ्यास में अर्ध मत्स्येंद्रासन को इन दोनों के लिए फायदेमंद बताया गया है,इस आसन के नियमित अभ्यास से आप मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं,योग गुरु के अनुसार इस आसन के नियमित अभ्यास से आप चिंता,तनाव,हल्के डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद पा सकते हैं।

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अर्धमत्स्येंद्रासन करते समय सावधानी (Caution when doing Ardha matsyendrasana in Hindi):

 अभी तक आपने इस लेख में अर्ध मर्त्स्येद्रासन करने के फायदे के बारे में जानकारी प्राप्त की,किंतु इस आसन का लाभ पाने से पूर्व यह जानना जरूरी है की इस आसन को करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

1.चिकित्सा समस्याएं: अगर आपके पास किसी प्रकार की चिकित्सा समस्या है, तो आपको इस आसन को करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

2.हर्निया: पेप्टिक अल्सर और हर्निया से पीड़ित मरीजों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

3.गठिया: यदि आपको गठिया है, तो इस आसन को करने से बचें, क्योंकि इससे आपके जोड़ों में तनाव हो सकता है।

4.गर्भवती महिला: अगर आप एक गर्भवती महिला है तो ऐसे में आप अर्ध-मत्स्येन्द्रासन ना करे तो बेहतर होगा या फिर इस आसन को करने से पहले अपने ग्यानेकोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए। 

5.चोट,घाव या सर्जरी: अगर आपके पीठ, कमर, या जोड़ों में कोई चोट या घाव है, या आपकी ब्रेन या शरीर के किसी भी अंग में सर्जरी हुई हो ऐसे में आपको इस आसन को करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

6.हृदय संबंधी: अगर आपके पास हृदय संबंधी समस्या है, तो आपको इस आसन को करने से बचना चाहिए या फिर इस आसन को करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

7.स्लिप-डिस्क: हल्के स्लिप-डिस्क में इस आसन से लाभ हो सकता है, लेकिन गंभीर मामलों में इसे नहीं करना चाहिए।

नोट (Note):–आप इन सभी सावधानियों का पालन करते हुए, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास आराम से कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान अगर आप योग की शुरुआत एक योग गुरु या विशेषज्ञ की देखरेख में करें,जब आप इस आसन को करने में सक्षम हो जाए तो आप स्वयं भी इस आसन को कर सकते हैं।

अर्धमत्स्येंद्रासन करने का सही समय:

किसी भी आसन या प्राणायाम को करने का सही समय सुबह का समय माना जाता हैं,साथ ही यदि आप आसन करने पहले शौच कर ले और पेट एक दम खाली रहे तो यह अति उत्तम माना जाता हैं परंतु अगर आप सुबह के समय किसी कारण वश इस आसन को करने में असमर्थ है तो ऐसे में आप इस आसन को करने से पूर्व चार से छह घंटे कुछ भी ना खाया हो और आसान करने से पहले शौच कर ले।

अर्धमत्स्येंद्रासन कितने देर करना चाहिए:

अर्धमत्स्येंद्रासन कितनी देर करना चाहिए,इसके बारे में कोई स्पष्ट रूप से प्रमाण नहीं है,अगर आप शुरुआती दौर मेंअर्धमत्स्येंद्रासन योगा का अभ्यास कर रहे है तो ऐसे में आप इस मुद्रा को करीब 30 सेकंड के लिए रहने की सलाह दी जाती है। वहीं, कुछ समय के अभ्यास के बाद इस समय सीमा को धीरे-धीरे बढ़कर एक दो मिनट तक किया जा सकता है।

अर्ध मत्स्येंद्रासन से पहले करे ये आसन:

अर्धमत्स्येंद्रासन को करने से पहले आप निम्नलिखित आसनों को कर सकते हैं–

  1. सुखासन (Sukhasana)
  2. बद्ध कोणासन (Baddha Konasana or Bound Angle Pose
  3. पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana)
  4. भद्रासन (Bhadrasana)
  5. वीरासन (virasana)

अर्धमत्स्येंद्रासन के बाद करें ये आसन: 

अर्धमत्स्येंद्रासन  के बाद आप निम्नलिखित आसनों को कर सकते हैं–

  1. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)
  2.  जानुशीर्षासन (Janu Sirsasana)
  3. पद्मासन (Padmasana)
  4. शवासन (Shavasana)

निष्कर्ष (conclusions)):-

अर्ध मत्स्येंद्रासन क्या है,इस आसन के क्या फायदे हैं,इस आसन को करते वक्त क्या क्या सावधानी की जरूरत है, अर्ध मत्येंद्र आसन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी देने की पूरी कोशिश की गई है,परंतु फिर भी अगर आप को इस लेख में कोई त्रुटि या फिर आप कुछ प्रश्न पूछना चाहते हैं तो आप अपने विचारो को कमेंट बॉक्स में प्रकट कर सकते है।

धन्यवाद!

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