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भस्त्रिका प्राणायाम के नुकसान,भस्त्रिका प्राणायाम करने से पूर्व क्या सावधानी बरतनी चाहिए,इसके फायदे।

प्राणायाम का महत्त्व हम सभी जानते हैं। जो लोग शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय होते हैं उन्हें बीमारियों का खतरा कम होता है, योग और प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं, दुनियाभर में प्रदूषण का स्तर प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से हमारे फेफड़ों में दूषित हवा, धूल-मिट्टी और अशुद्धियां घर कर लेती हैं। ऐसे में भस्त्रिका प्राणायाम की मदद से संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है. इसके नियमित अभ्यास से शारिरिक रूप के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ्य रह सकते, नियमित तौर पर प्राणायाम करने से न केवल हमारा शरीर बल्कि हमारा मन भी ताजा और तंदरुस्त रहता है। भस्त्रिका प्राणायाम एकमात्र ऐसा प्राणायाम है जो आपकी शरीर में मौजूद अंदरूनी अशुद्धियां निकालता है। इस लेख में हम आपको भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने की कोशिश करेंगे ।

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भस्त्रिका प्राणायाम क्या है (what is bhastrika pranayama in Hindi):-

भस्त्रिका प्राणायाम संस्कृत से लिया गया शब्द है, जिसमें भस्त्रिका मतलब होता है (धौंकनी),और प्राणायाम का मतलब होता हैं, प्राण या श्वसन को लम्बा करना या फिर जीवनी शक्ति को लम्बा करना। इस प्राणायाम का नाम भस्त्रिका इसलिए रखा गया क्योंकि इस प्राणायाम में सांस की गति धौंकनी की तरह हो जाती है। यानी श्वास की प्रक्रिया को जल्दी-जल्दी करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है।

धौंकनी क्या है” धौंकनी लोहार के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाला एक लोहे की वस्तु है जिसके द्वारा लोहार तेज हवा छोड़कर, लोहे को तपाता और उसकी अशुद्धियां दूर करता है। उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम में सांस के माध्यम से शरीर के अंदर मौजूद सभी नकारात्मक विचारों को खत्म करने के लिए धौंकनी का काम करता है। 

भस्त्रिका प्राणायाम वात, पित्त और कफ की समस्याओं के लिए राम-बाण इलाज है,भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों के साथ आंख, कान और नाक के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी लाभदायक है, इस प्राणायाम से पाचन संस्थान, लीवर और किडनी की भी एक्सरसाइज हो जाती है।

भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि (Method of doing Bhasrika Pranayama in Hindi):-

भस्त्रिका प्राणायाम, जिसे बेलोज़ ब्रीथ (bellows breath) के नाम से भी जाना जाता है, एक शक्तिशाली साँस लेने की तकनीक है जो शरीर और दिमाग को ऊर्जावान बनाने में मदद करती है। भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास कैसे करें:

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 1. अपनी पीठ सीधी करके आरामदायक पद्मासन,सुखासन या ध्यान मुद्रा में बैठें। यदि आवश्यक हो तो आप कुशन का उपयोग करके कुर्सी पर या फर्श पर बैठ सकते हैं।

 2. आराम करने के लिए अपनी आंखें बंद करें और कुछ गहरी सांसें लें।

 3. अपनी नाक के माध्यम से गहरी सांस लेना शुरू करें, अपने फेफड़ों को हवा से भरें। जैसे ही आप सांस अंदर लेते हैं, अपने पेट को फैलता हुआ महसूस करें।

 4. अपने पेट को सिकोड़ते हुए, अपनी नाक से जोर से और तेजी से सांस छोड़ें। जैसे ही आप साँस छोड़ते हैं, कल्पना करें कि आप एक मोमबत्ती को हवा के तेज़ झोंके से बुझा रहे हैं।

 5. इस तेज और जोरदार सांस को जारी रखें, गहरी सांस लें और जोर से सांस छोड़ें। सुनिश्चित करें कि आपकी सांसें समान लंबाई की हों - जितनी देर आप सांस छोड़ते हैं उतनी ही देर तक सांस लें।

 6. अपने पेट की गति के साथ सांस का समन्वय करें। जब आप सांस लेते हैं तो आपका पेट फूलना चाहिए और सांस छोड़ते समय सिकुड़ना चाहिए।

 7. भस्त्रिका प्राणायाम के 10 राउंड से शुरुआत करें और जैसे-जैसे आप अभ्यास के साथ अधिक सहज होते जाएं, धीरे-धीरे राउंड की संख्या बढ़ाएं।

8.भस्मिका प्राणायाम का अभ्यास तीन अलग सांस की गति से किया जा सकता है: धीमी गति यानी कि (2 सेकेंड में 1 श्वास), मध्यम (1 सेकेंड में 1 श्वास) और तेज (1 सेकेंड में 2 श्वास), आप अपनी क्षमतानुसार  मध्यम और तेज गति का अभ्यास कर सकते हैं,परंतु शुरुआत में केवल धीमी गति से ही इस प्राणायाम का अभ्यास करें।

 9. चक्र पूरा करने के बाद, कुछ सामान्य साँसें लें और अपने शरीर और दिमाग पर अभ्यास के प्रभावों को देखें।

 

प्राणायाम करने से पूर्व कुछ ध्यान देने योग्य बातें:

भस्त्रिका प्राणायाम को करने से पूर्व आप को निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

  1. इस प्राणायाम को शुरू करने से पूर्व अपने नाक को अच्छी तरह सफाई कर लें।
  2.  भस्त्रिका प्राणायाम को करने से पहले सभी आसनों ,जो आप नियमित रूप से करते है,उसे करने के बाद ही इस प्राणायाम को करें,
  3. अगर आप इस प्राणायाम को पहली बार करने जा रहे है तो आप भस्त्रिका प्राणायाम को धीमी गति के साथ ही अभ्यास में लाना चाहिए।
  4. इसे प्राणायाम को सुबह के समय खाली पेट करने से ज्यादा लाभ होता है। परंतु अगर आप सुबह के समय प्राणायाम करने में असमर्थ हैं तो आप शाम के समय कर सकते है,परंतु ध्यान रहे कि इसे करने से चार से छह घंटे पहले कुछ भी ना खाया हो और आप इस प्राणायाम को करने से पूर्व शौच भी कर ले तो ज्यादा बेहतर होगा।

  5. योग के दौरान मन को शांत रहना अति आवश्यक होता है। इसलिए इस प्राणायाम को करते वक्त शांत जगह पर करना चाहिए
  6. भस्त्रिका प्राणायाम करते समय यदि आपको कोई परेशानी महसूस हो तो ऐसे में इसे बंद कर देना चाहिए।
  7. पहली बार भस्त्रिका प्राणायाम करने वालों को योग विशेषज्ञ की निगरानी में इस प्राणायाम को करना चाहिए,उसके कुछ दिनों बाद आप स्वयं ही इस प्राणायाम को कर सकते हैं।


भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे (Benefits of Bhasrika Pranayama in Hindi):

अभी तक आपने इस लेख में भस्त्रिका प्राणायाम क्या है,भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि,आदि के बारे में पढ़ा भस्त्रिका प्राणायाम शरीर, मन और समग्र कल्याण के लिए कई लाभ प्रदान करता है। कुछ मुख्य लाभों में शामिल हैं, भस्त्रिका प्राणायाम  के फायदे के बारे में बताया जाएगा।

1.तीन दोष (वात, पित्त और कफ) के लिए फायदेमंद :

हमारे शरीर में (वात, पित्त और कफ) इन तीनों चीजों का संतुलित होना जरूरी है,अगर ये तीनों चीजें असंतुलित हो जाए तो हमारे शरीर में बिमारिया पनपना शुरू कर देती है,इन तीनों दोषों को संतुलित रखने के लिए प्राणायाम एक बेहतर विकल्प हो सकता हैं।हमारे योग विशेषज्ञ बताते है, कि अगर हम अपने जीवन में नियमित रूप से भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तो ये तीनों दोष शंतुलित रहते है और इन तीनों के संतुलित रहने पर व्यक्ति रोगों से बचा रहता है

2.ब्लड प्रेशर के लिए भस्त्रिका प्राणायाम फायदेमंद:

ब्लड प्रेशर की समस्या आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है, इस समस्या का कारण गलत आदते,खराब जीवनशैली हो सकती है,ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए योग को एक बेहतर विकल्प माना जा सकता हैं,भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से रक्तचाप नियंत्रित किया जा सकता हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट द्वारा प्रकाशित एक शोध से भी इस बात की पुष्टि होती है कि अगर धीमी श्वास गति के साथ भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास किया जाए, तो इसका असर ब्लड प्रेशर पर दिखाई दे सकता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से सिस्टोलिक यानी (ब्लड प्रेशर के ऊपर की संख्या) और डाइस्लोटिक यानी (ब्लड प्रेसर से नीचे की संख्या) दोनों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

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3.वजन घटाने में भस्त्रिका प्राणायाम सहायक

वजन घटाने के लिए सही खान पान के साथ रोज थोड़ी देर योगाभ्यास करना जरूरी है।वजन घटाने के लिए हमारे योगशास्त्र में अनेकों योगाभ्यास दिए गए है,इन्ही योगा अभ्यासों में भस्त्रिका प्राणायाम का नाम भी शामिल है, भस्त्रिका प्राणायाम योग वजन को कम करने के लिए लाभकारी माना जाता हैं। एक वैज्ञानिक रिसर्च की अनुसार इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से वजन कम करने में सहायता मिल सकती है । क्योंकि भस्त्रिका प्राणायाम में वेग के साथ सांस को अंदर लेते हैं और छोड़ते हैं। इससे हमारे खून में कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का एक्सचेंज काफी तेजी से होता है, जिसकी वजह से मेटाबॉलिज्म बहुत ही ज्यादा तेज भी हो जाता है और बढ़ भी जाता है। इससे आपका वजन कम होना शुरू हो जाता हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे में वजन और चर्बी घटाने में सहायक हो सकता है।

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4.हृदय के लिए भस्त्रिका प्राणायाम फायदेमंद:

स्वस्थ रहने के लिए हार्ट का स्वस्थ रहना भी बहुत जरूरी होता हैं,हार्ट को स्वस्थ रखने के लिए हमारे योगशास्त्र में अनेकों योगाभ्यास दिए गए हैं,इन्ही योगाभ्यास में भस्त्रिका प्राणायाम का नाम भी शामिल हैं,भस्त्रिका प्राणायाम , हृदय के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है।एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, इस प्राणायाम के अभ्यास से ब्लड प्रेशर कम हो सकता है, जो हृदय रोग के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही इस प्राणायाम के दौरान होने वाली श्वसन क्रिया हमारे हृदय को बेहतर तरीके से काम करने में सहायता कर सकता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि हृदय गति को नियंत्रित करने में भस्त्रिका प्राणायाम लाभदायक हो सकते हैं।

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5.ऊर्जा में वृद्धि

भस्त्रिका प्राणायाम सहानुभूति तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है, जो शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है।


 6.श्वसन स्वास्थ्य में सुधार:

 यह प्राणायाम फेफड़ों और श्वसन मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता और श्वसन दक्षता में सुधार होता है। यह श्वसन तंत्र से जमाव को दूर करने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद कर सकता है।

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 7.फोकस और मानसिक स्पष्टता में वृद्धि:

 भस्त्रिका प्राणायाम में तेज और जोरदार सांसें मस्तिष्क को ऑक्सीजन को बढ़ावा देती हैं, जिससे सतर्कता, फोकस और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। यह तनाव और चिंता से राहत दिलाने में भी मदद कर सकता है।


 8.बेहतर पाचन शक्ति:

 इस तकनीक में लयबद्ध सांस लेने से पाचन तंत्र उत्तेजित होता है, जिससे पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार होता है। यह गैस, सूजन और कब्ज जैसी स्थितियों में भी मदद कर सकता है।


 9.विषाक्त पदार्थों को निकाले बाहर:

 भस्त्रिका प्राणायाम रक्त को शुद्ध करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। ज़ोरदार साँस छोड़ना लसीका तंत्र को उत्तेजित करता है, अपशिष्ट को खत्म करने और समग्र विषहरण में सुधार करने में मदद करता है।


 10.  प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर: 

भस्त्रिका प्राणायाम के नियमित अभ्यास से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिलता है, जिससे शरीर संक्रमण और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाता है।


 11. शांत और संतुलन:

 हालांकि भस्त्रिका प्राणायाम एक ऊर्जावान अभ्यास है, यह मन को शांत और संतुलित करने में भी मदद कर सकता है। सांस और पेट की गति पर ध्यान केंद्रित करके, यह विश्राम को बढ़ावा देता है और तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।

 यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं, और उचित तकनीक और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी योग्य योग शिक्षक या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के मार्गदर्शन में भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करना सबसे अच्छा है।


भस्त्रिका प्राणायाम के नुकसान (Disadvantages of Bhasrika Pranayama in Hindi):-

भस्त्रिका प्राणायाम एक शक्तिशाली साँस लेने का व्यायाम है जिसमें गहरी और तेजी से साँस लेना और छोड़ना शामिल है। हालांकि इसके कई फायदे हैं, लेकिन कुछ संभावित नुकसान या सावधानियां भी हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए:

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 1. उच्च रक्तचाप या हृदय की समस्याओं वाले व्यक्तियों के लिए अनुशंसित नहीं:

 भस्त्रिका प्राणायाम में जोर से सांस लेना शामिल है और यह रक्तचाप और हृदय गति को बढ़ा सकता है। यदि आपको कोई अंतर्निहित हृदय संबंधी समस्या है तो अभ्यास करने से पहले किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।


 2. चक्कर आना या सिर घूमना हो सकता है: भस्त्रिका प्राणायाम में तेज और जोर से सांस लेने से कभी-कभी चक्कर आना या सिर घूमना हो सकता है, खासकर अगर इसे गलत तरीके से या अत्यधिक किया जाए। सावधानी के साथ अभ्यास करना और धीरे-धीरे शुरू करना आवश्यक है, समय के साथ धीरे-धीरे तीव्रता और अवधि बढ़ाना।


 3. श्वसन प्रणाली पर संभावित तनाव: 

भस्त्रिका प्राणायाम में ज़ोर से सांस लेना शामिल है जो श्वसन प्रणाली पर दबाव डाल सकता है, खासकर यदि आपको श्वसन या फेफड़ों की कोई समस्या है। किसी अनुभवी योग शिक्षक के मार्गदर्शन में अभ्यास करने की सलाह दी जाती है।


 4. गर्भावस्था के दौरान इससे बचना चाहिए: आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को भस्त्रिका प्राणायाम की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि जोर-जोर से सांस लेने और तेज गति से करने से विकासशील भ्रूण पर संभावित प्रभाव पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्राणायाम का अभ्यास करने से पहले स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।


 5. हाइपरवेंटिलेशन का खतरा बढ़ जाता है: भस्त्रिका प्राणायाम में गहरी और तेज सांस लेने से संभावित रूप से हाइपरवेंटिलेशन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप झुनझुनी, सुन्नता या चक्कर आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। अपनी स्वयं की श्वास के प्रति जागरूक रहना और यदि आवश्यक हो तो ब्रेक लेना महत्वपूर्ण है।

6.हार्निया, दमा, टीबी, अल्सर, पथरी, मिर्गी से ग्रस्त रोगी को नहीं करना चाहिए। 


 किसी भी योगाभ्यास की तरह, अपने शरीर की बात सुनना, अपनी सीमा के भीतर अभ्यास करना और एक योग्य योग प्रशिक्षक से मार्गदर्शन लेना हमेशा आवश्यक होता है।

भस्त्रिका प्राणायाम कितनी देर करना चाहिए:

भस्त्रिका प्राणायाम अगर आप पहली बार इस आसन को करने जा रहे है तो ऐसे में आप  इस प्राणायाम को अपनी क्षमता के अनुसार दो से तीन मिनट तक करें ।क्योंकि शुरुआत में इस प्राणायाम को ज्यादा देर तक करने से आपके पेट में दर्द भी हो सकता है। समय बीतने पर धीरे धीरे आप इस प्राणायाम को दस से पंद्रह मिनट तक आराम से कर सकते है।


नोट (note)-

उपर्युक्त सभी बातों का ध्यान रखकर आप हलासन की प्रैक्टिस कर सकते है,लेकिन इस बात का ध्यान रखे आप योग की शुरुआत एक योग गुरु या विशेषज्ञ की देखरेख में करें,जब आप इस आसन को करने में सक्षम हो जाए तो आप स्वयं भी इस आसन को कर सकते हैं


निष्कर्ष (conclusions):-

योग का हमारे जीवन में कितना महत्व है,इसी बताने की जरूरत नहीं है,योग हम सभी को शारीरिक और मानसिक दोनो तरीके से स्वस्थ और सुंदर बनाता है योग के द्वारा ही मन शांत और एकाग्र हो सकता है, इस लेख में हमने भस्त्रिका प्राणायाम के फायदे,भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि,भस्त्रिका प्राणायाम के नुकसान आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है उम्मीद है कि आपको ये लेख पसंद आया होगा परंतु फिर भी अगर आप मुझसे स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी प्रश्न पूछना चाहते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं मैं आपके प्रश्नों के उत्तर देने की पूरी कोशिश करूंगी धन्यवाद!

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